सूर्य-चंद्र दिलाते हैं कामायाबी
सूर्य-चंद्र दिलाते हैं कामायाबी

सूर्य-चंद्र दिलाते हैं कामायाबी  

निरंजन भट्ट
व्यूस : 12950 | जुलाई 2013

व्यक्ति के सफलता व प्रभावशीलता ग्रहों की स्थिति, गति और नक्षत्रों की चाल से तय होती है। इनकी स्थिति के अनुरूप व्यक्ति को कामयाबी मिलती है। इनके विपरीत स्थिति में होने पर व्यक्ति चाह कर भी सफलता का स्वाद नहीं चख पाता है। ग्रहों का राजा सूर्य व्यक्ति को सफलता के शिखर पर पहुंचा सकता है। विश्व में अपने-अपने क्षेत्र में कामयाबी के शिखर पर पहुंचने वाले उद्योगपति, कलाकार, धर्म गुरू, संगीतकार, वैज्ञानिक, लेखक, ज्योतिषी, राजनीतिज्ञों आदि की द टाइम्स आफ एस्ट्रोलाजी में संपादित 351 कुण्डलियों के अध्ययन करने पर यह तथ्य उभर कर सामने आए कि सभी दिग्गज पुरूषों की कुण्डलियों में सूर्य स्त्री राशि में स्थित था तथा स्त्रियों की कुण्डलियों में सूर्य पुरूष राशि में था। सूर्य प्रत्येक प्राणि के जीवन का आधार है इसलिए कुण्डली में सूर्य महत्वपूर्ण स्थान रखता है। सूर्य ग्रह राजा है, जो राजसी सुख दिलाता है और उच्च पद पर पहुंचाता है।

इन 351 कुण्डलियों में से 187 कुण्डलियों में सूर्य स्त्री राशि में था और 164 कुण्डलियों में सूर्य पुरूष राशि में था। ज्योतिष में अध्ययन के दौरान यह बात सामने आई कि प्रातःकाल, अर्धरात्रि, संध्याकाल एवं दोपहर अर्थात् दिन व रात्रि के गण्डकाल में जन्म लेने वाला अद्भुत व्यक्ति होता है। इस आधार पर 119 कुण्डलियों का अध्ययन किया गया, जिसमें प्रातःकाल में 49 व्यक्ति, संध्याकाल में 28, दोपहर में 26 एवं अर्धरात्रि में 16 व्यक्तियों का जन्म हुआ। सर्वप्रथम 15 उद्योगपतियों की कुण्डलियां ली गईं, जिसमें 11 व्यक्तियों की कुण्डलियों में सूर्य नवांश में स्त्री राशि में एवं 4 पुरूषों की कुण्डली में सूर्य पुरूष राशि में था एवं 9 व्यक्तियों का जन्म प्रातःकाल में हुआ था। इस प्रकार 74 राजनेताओं की कुण्डलियों का अध्ययन किया गया, जिसमें से 30 व्यक्तियों की कुण्डलियों में सूर्य नवांश में स्त्री राशि में तथा 24 कुण्डलियों में पुरूष राशि में था। इसके साथ ही 24 व्यक्तियों का जन्म प्रातःकाल में हुआ।

कलाकारों की 72 कुण्डलियों के अध्ययन से यह तथ्य सामने आया कि 42 लोगों की नवांश कुण्डली में सूर्य स्त्री राशि में तथा 30 व्यक्तियों की कुण्डलियों में सूर्य पुरूष राशि में था। कलाकारों के जन्म में एक विशेषता यह रही कि दोपहर में 23 व्यक्तियों का, सायंकाल 20, प्रातःकाल 18 तथा अर्धरात्रि में 11 व्यक्तियों का जन्म हुआ। इसके अलावा यह बात भी स्पष्ट नज़र आई कि जिन व्यक्तियों कि कुण्डलियों में जन्म लग्न में सूर्य स्त्री राशि में था वह नवांश में पुरूष राशि का हो गया, लेकिन स्त्री कलाकारों के सूर्य पुरूष राशि में थे। बिरले ही कुण्डलियां ऐसी थीं जो जन्म लग्न में व नवांश में पुरूष व स्त्री राशि में सूर्य रहा हो। चंद्र जो कि मन का स्वामी है। यह भी कालपुरूष की कुण्डली में अपनी प्रतिष्ठा में कमी नहीं करना चाहता। विश्लेषण से ज्ञात हुआ कि सबसे अधिक लोगों की कुण्डलियों (38) में चन्द्रमा सिंह राशि में था, फिर तुला राशि में (37 लोगों), मकर राशि में (37 लागों), कन्या राशि में (34 लोगों), कर्क राशि में (31 लोगों) एवं मेष राशि में चंद्रमा 30 व्यक्तियों का था।

इसके अतिरिक्त सबसे कम केवल 21 लोगों की कुण्डलियों में चंद्रमा वृश्चिक व धनु राशि में था। यदि भाव कुण्डली की बात करें तो बारह भावों में से- आचार्य रजनीश के छः, श्री राम शर्मा के छः, दिलीप कुमार के छः, हेमामालिनी के छः, इंदिरा गांधी के छः, काजोल मुखर्जी के छः, जयललिता के छः, देवानन्द के सात, जूही चावला के सात, ज्योति बसु के सात, अरविन्द महर्षि के आठ, आशा पारीख के आठ, धर्मेन्द्र के आठ, हरिवंश राय बच्चन के आठ, अभिताभ बच्चन के नौ, अशोकुमार के नौ, रितिक रोशन के नौ, डिम्पल कपाड़िया के पांच, गुरूदत्त के पांच, कपिल देव के पांच, अनिल कपूर के दो, जवाहरलाल नेहरू के चार, करिश्मा कपूर के एक तथा किरन बेदी के चार भाव प्रबल थे। अन्य कुण्डलियों का अध्ययन जारी है। चंद्र व सूर्य की अपनी अधिष्ठित राशि से यह ज्ञात हुआ कि सूर्य की राशि 5, 6, 7, 8, 9, 10 व चंद्र अधिष्ठित राशि 4, 3, 2, 1, 12, 11 राशियों में सूर्य की राशि में जिनके सबसे अधिक ग्रह रहे वह साधारण व्यक्ति होते हुए भी उच्चस्तर पर पहंचे।

अगर देखा जाए तो एक तरह से होरा कुण्डली का विश्लेषण सूर्य अधिष्ठित राशि व चंद्र अधिष्ठित राशियों से करना हमारे लिए अधिक लाभप्रद रहता है। महात्मा गांधी 5 ग्रह, डा राजेन्द्र प्रसाद 5 ग्रह, डा. राधाकृष्णन 6 ग्रह, के. आर नारायण् 6 ग्रह, अब्दुल कलाम 6 ग्रह, राजगोपालाचारी 5 ग्रह, जवाहरलाल नेहरू 6 ग्रह, अभिताभ बच्चन 5 ग्रह, इंदिरा गांधी 5 ग्रह, इन्द्रकुमार गुजराल 5 ग्रह, अटल बिहारी बाजपेयी 6 ग्रह, राजीव गांधी 6 ग्रह, लालकृष्ण आडवानी 5 ग्रह, बंशीलाल 6 ग्रह, एम. जीरामचंद्रन 5 ग्रह, सम्पूर्णानन्द 7 ग्रह, मायावती 6 ग्रह, सोनिया गांधी 5 ग्रह, नरेन्द्र मोदी 6 ग्रह जहां सूर्य अधिष्ठित राशियों में (राहु व केतु को छोड़कर) थे। वहीं अन्य व्यक्तियों के चंद्र अधिष्ठित राशियों में थे। इसी कारण इन लोगों ने अपने-अपने क्षेत्र में सफलता का परचम लहराया। कर्क लग्न दिलाता है राजनीतिक सफलता भारतीय राजनीति में सत्ता के शिखर पर पहुंचने वाले 82 राजनेताओं की कुण्डलियों के सूक्ष्म अध्ययन करने पर सामने आया कि कर्क लग्न में जन्म लेने वाले लोग राजनीति में सफलता प्राप्त कर सत्ता के शिखर पर पहुंचते हैं।

इस लग्न में जन्म लेने वाले लोगों में सम्राट अशोक, जवाहर लाल नेहरू, मदन मोहन मालवीय, बाल गंगाधर तिलक, सरदार वल्लभ भाई पटेल, इंदिरा गांधी, के. आर. नारायण, वी.पी. सिंह, इंद्र कुमार गुजराल, एच.डी. देवेगौड़ा, कमलापति त्रिपाठी, सोनिया गांधी, नजमा हेपतुल्ला, मेनका गांधी, वसुन्धरा राजे, मायावती, मुलायम सिंह, शीला दीक्षित तथा एम. करूणानिधि मुख्य हैं। विश्व के जाने माने 33 राजनीतिज्ञों की कुण्डली का अध्ययन करने पर पता चला कि इनमें से 9 व्यक्ति कर्क लग्न के, छह धनु लग्न के और पांच व्यक्ति कन्या लग्न के थे। उसमें से सात भारतीय राजनेता कर्क लग्न के, कन्या लग्न वाले यूएसए और सिंह लग्न वाले ब्रिटेन के थे। भारत व पाकिस्तान में धनु लग्न वाले नेता उच्च राजनीतिक पदों पर आसीन रहे। वृश्चिक लग्न कराता है संघर्ष कर्क लग्न वालों में शासन चलाने की प्रतिभा होती है तथा उन्हें इसका अवसर भी प्राप्त होता है।

इसी प्रकार धनु लग्न में जन्म लेने वाले प्रखर बुद्धि के धनी होते हैं और उसी के बल पर शिखर शिरोमणि बनते हैं। इस लग्न के धारक डा. राजेन्द्र प्रसाद, डा. राधाकृष्णन तथा डा. एपीजे अब्दुल कलाम ने राष्ट्रपति पद को सुशोभित किया, जबकि डा. हेडगेवार, टी.एन. शेषन, मोहनलाल सुखाड़िया, फारूख अब्दुल्ला, बेनजीर भुट्टो, डाॅ. मनमोहन सिंह तथा टीपू सुल्तान ने अपने असाधारण वैशिष्ट्य का परचम लहराया। शोध में एक बात यह भी उभर कर आई कि वृश्चिक लग्न वाले लोग काफी संघर्ष के बाद बडे़ पद पर पहुंचते हैं। और उसे बरकरार रखने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है।

बावजूद इसके इनको अपने परिश्रम का पूरा लाभ नहीं मिल पाता। वर्तमान राजनीतिक स्थितियों को देखें तो नरेन्द्र मोदी के भी वृश्चिक राशि व वृश्चिक लग्न है। वहीं सीराजगोपालाचारी, लालबहादुर शास्त्री, लालकृष्ण आडवाणी तथा शरद पवार के नाम भी शामिल हंै। लालकृष्ण आडवाणी की कुंडली में वृश्चिक का शनि है जो कडे परिश्रम के बावजूद पूरा फल नहीं दे पाता है। यही वृश्चिक का शनि मायावती, मेनका गांधी व वी.सी. शुक्ला की कुंडली में भी मौजूद है। कुम्भ लग्न में जन्मे लोगों के लिए राजनीति में विवादास्पद होने का संकेत मिलता है। हालांकि ऐसे लोग प्रगति तो करते हैं लेकिन सदैव गुप्त बने रहते हैं। एम.जी. रामचन्द्रन, उमा भारती, अजीत जोगी, दिलीप सिंह जूदेव, मुरली मनोहर जोशी जैसे नेता कुंभ लग्न के धनी हैं।

अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म लग्न तुला है। यही लग्न महात्मा गांधी, व एन.टी. रामा राव का भी है। अटल जी का जन्म 25 दिसम्बर को हुआ। उनकी कुंडली में धनु का सूर्य है जो लम्बे जीवन संघर्ष के उपरान्त सत्ता सुख प्रदान करता है। शोध में यह तथ्य भी सामने आया कि किसी की कुंडली में यदि सिंह का मंगल है तो उस व्यक्ति को अनायास तथा अंाशिक प्रयास में ही सफलता हासिल हो जाती है। इंदिरा गांधी, वी.पीसिंह, देवगौड़ा, ज्योति बसु, प्रमोद महाजन, रामविलास पासवान, जयललिता आदि की कुंडलियां इसका उदाहरण हैं। राजनीति में सफलता देने वाले कारकों में सर्वाधिक महत्व सिंह के मंगल का रहता है जो कि शोध में 14 लोगों के था। इसी प्रकार 13 लोगों में वृश्चिक का शनि, 12-12 लोगों में मकर का बुध व सिंह का गुरू तथा 11-11 लोगों की कुण्डली में कन्या का चन्द्रमा व तुला का शुक्र शामिल है। तीन मूलांक दिलाता है सफलता शोध के अनुसार सूर्योदय के समय जन्म लेने वालों का भविष्य राजनीति में उज्ज्वल होता है क्योंकि 82 में से 36 का जन्म ब्रह्ममुहूर्त में ही हुआ था।

इसी प्रकार देखा गया कि राजनीति में तीन मूलांक वाले लोग सफल रहते हैं। शोध निष्कर्ष में 25 लोगों का मूलांक 3 पाया गया जबकि 15 लोगों का पांच, 11 लोगों का एक तथा 12 जनों का मूलांक 8 था। शोध में एक रोचक तथ्य यह भी दृष्टिगत हुआ कि 82 में से 67 राजनेताओं का नाम जन्म राशि के आधार पर नहीं रखा गया। केवल 15 लोगों का नाम ही उनकी जन्म राशि के अनुरूप था। 351 कुण्डलियों में अद्भुत बात यह नजर आई कि सभी कुण्डलियां देखने में साधारण सी लगती हैं। कुण्डलियों को देखकर यह पता नहीं लगा सकते हैं कि यह व्यक्ति इतना उन्नतिशील व यशस्वी क्यों है, धन सम्पदा से भौतिक संसाधनों से, युक्त क्यों है, यह बात ठीक लगती है कि केन्द्र व त्रिकोण की युति या लग्न को लग्नेश का देखना धन-समपति युक्त बनाता है, फिर भी गरीब व्यक्तियों की कुण्डली में भी यह योग देखे जा सकते हैं, परन्तु अंतिम अवस्था तक वह गरीब ही रहता है।

परन्तु विशेष बात यह कि महानतम व्यक्तियों की कुण्डलियों में पाप व शुभ ग्रहों का संबंध, शनि-चंद्र का संबंध, शनि-सूर्य का संबध, राहु-चंद्र, राहु-सूर्य या शुभ ग्रह एवं पाप ग्रहों का संयोग देखने में मिला। इनपर दृष्टि संबंध ने ही इनको उच्च स्थान पर पहुंचाया अर्थात् इस युग में हमें इस बात को भूलना पड़ेगा कि शुभ ग्रह के संयोग से ही व्यक्ति उच्च स्तर पर पहुंचेगा। यह युग कलह युग है, समस्या प्रधान युग है, अतः व्यक्ति के जीवन में आत्मा पर, मन पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव नहीं होगा तो वह जीवनशैली को कैसे पहचान सकेगा। अगर हम ब्रह्माण्ड के महानतम पुरूष श्री राम एवं श्री कृष्ण की कुण्डली का अध्ययन करेंगे तो यह बात स्पष्ट हो जाएगी कि दोनों की कुण्डलियों में शनि-सूर्य का संबंध सम सप्तम दृष्टि से है, तभी वह ईश्वर के स्वरूप को प्राप्त कर सके।

जिनकी कुण्डलियों में ऐसा संयोग है तो उस व्यक्तियों को जनता की पीडा़ को अपने मन से देखना पड़ेगा, आत्मा से देखना पड़ेगा, जो ऐसा करता है, वह व्यक्ति अपने आप महान एवं उच्च स्तर पर अवश्य जायेगा। शोध में यह भी पता चला कि 351 कुण्डलियों में 48 व्यक्तियों की कुण्डली में मंगल की दशा, 43 कुण्डली में राहु की दशा, 42 कुण्डलियों में केतु की दशा, 38-38 कुण्डलियों में गुरू और शुक्र की दशा एवं 34 कुण्डलियों में शनि की दशा, 41 कुण्डली में चंद्र की दशा, 36 कुण्डलियों में बुध की दशा में जन्म हुआ। योगिनी दशाओं को लेते हैं, तो 54 कुण्डलियों में भ्रामरी दशा, 53 कुण्डलियों में भद्रिका दशा, 45 कुण्डलियों में उल्का दशा, 46 कुण्डलियों में पिंगला दशा, 29 कुण्डलियों में सिद्धा दशा, 37 कुण्डलियों धान्या दशा, 38 कुण्डलियों संकटा, 50 कुण्डलियों में मंगला दशा में जन्म हुआ था।

इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि वर्तमान समय में पाप ग्रहों की दशा अत्यधिक फल देने वाली व शुभ ग्रहों की दशा खराब फल देने वाली होती है।



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