वहम का इलाज तो हकीम लुकमान के पास भी नहीं था तो फिर कैसे दूर होगा सीमा का वहम? आप सभी के संपर्क में कभी न कभी ऐसा व्यक्ति अवश्य आया होगा जिसे वहम की बीमारी होती है। यह बीमारी किसी भी तरह की हो सकती है। कुछ लोग लगातार हाथ धोते रहते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि हाथ गंदे हैं। इसी तरह कुछ बार-बार ताले को चेक करते हैं कि कहीं खुला तो नहीं रह गया या फिर बार-बार सफाई इस हद तक करते हैं कि घर में जीना दुश्वार हो जाता है। अंग्रेजी में इस बीमारी को ---OCD obsessive compulsive disorder कहते हैं और इसका Medical Treatment भी चलता है परंतु इस बीमारी को पूरी तरह खत्म होने में काफी समय लग जाता है। ऐसा ही केस अभी हाल ही में देखने को मिला। सीमा का बचपन एक मध्यम वर्गीय परिवार में बीता जहां सब संयुक्त परिवार में रहते थे।
उसने अपना बचपन अपनी दादी, ताई, बुआ को देखते हुए बिताया। जैसा कि पहले बुजुर्ग छुआ छूत ज्यादा मानते थे उसकी दादी, ताई आदि भी काफी सफाई रखती थी और हाथ धोने पर काफी जोर देती थी। परिवार में उनका काफी दबदबा था और सब उनकी बातों को मानते थे। सीमा के विवाह के पश्चात वह मुंबई आ गईं और अपने पति के साथ एक अच्छी सोसायटी में एक अच्छे फ्लैट में रहने लगीं। सभी कुछ ठीक-ठाक चल रहा था। सीमा भी अपने परिवार की तरह साफ-सफाई का पूरा ख्याल रखती थी। उसके पति शैलेश भी उसका पूरा साथ देते थे और किसी भी काम में अन्यथा हस्तक्षेप नहीं करते थे। उनके यहां दो पुत्रियों ने जन्म लिया जिनका लालन-पालन सीमा बड़े प्यार से कर रही थी पर उसके स्वभाव में थोड़ा-थोड़ा परिवर्तन आ रहा था।
उसका ध्यान ज्यादा से ज्यादा धूल मिट्टी साफ करने में लगा रहता। उसको बच्चों का बाहर जाना या किसी का घर में आना बिल्कुल नहीं सुहाता था। उसको लगता था कि बच्चे बाहर जाएंगे तो गंदे होकर आएंगे, फिर से नहलाना पड़ेगा, कपड़े धोने पड़ेंगे और कोई आएगा तो उसके आने से घर गंदा होगा और फिर से पूरी सफाई करनी पड़ेगी। इसी सोच के चलते उसने बच्चों का घर से बाहर जाना बंद कर दिया। वे केवल स्कूल जाते और स्कूल से आने के बाद भी उनका बैग अलग रख दिया जाता ताकि उससे कोई वस्तु छू न जाए और बाहर से भी उनकी सहेलियां नहीं आ सकती थीं। पहले तो सीमा पड़ोसियों से बात करती थी लेकिन इस डर से कि कहीं वे अंदर न आ जाए उसने सबसे बात करना हीं बंद कर दिया।
शैलेश के किसी भी दोस्त का आना उसे पसंद नहीं था और अगर कभी आ भी जाए तो शैलेश को उन्हें बाहर ही ले जाना पड़ता। ऐसे में कुछ दिन के लिए शैलेश के माता-पिता रहने के लिए आ गये तो शैलेश ने राहत की सांस ली कि शायद सीमा अब कुछ बदल जाए पर सीमा का रंग ढंग वही रहा। वह तो अब सारा दिन ही सफाई में लगी रहती। खाना बनाने का तो समय ही नहीं मिलता था। काम वाली बाई भी उसकी चिकचिक से तंग आकर काम छोड़ कर चली गई। कोई भी उसके साथ काम करने को तैयार नहीं थी क्योंकि वह बर्तनों को दस बार धुलवाती थी। नतीजा यह हुआ कि घर के सारे काम का बोझ शैलेश की माता जी पर आ गया।
वह बेचारी खाना बनाना, बर्तन साफ करना, उसके पिता की सेवा करना आदि में जरूरत से ज्यादा व्यस्त हो गई और उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगा और एक दिन जब उनके संयम की सीमा भी पार हो गई तो वे दोनों अपने घर वापिस चले गये। शैलेश अपने बूढ़े मां बाप को अपने घर रखना चाहते थे और उनकी सेवा करना चाहते थे पर सीमा के आगे उनकी एक न चली उनको भी लगा कि मां का वापिस जाना ही अच्छा है वरना यहां तो वह कोल्हू के बैल की तरह काम में ही लगी रहेगी। बच्चे अब बड़े हो रहे थे पर सीमा की मानसिक बीमारी बढ़ती जा रही थी। उसकी बहुत मिन्नतें कर शैलेश उसे डाक्टर के पास ले गये। डाक्टर की दवाई का पांच टका ही फायदा हुआ।
अब उसने कभी-कभी बाजार जाना शुरू कर दिया था पर बाकी गतिविधियां उसी तरह चल रही थी। हां आजकल उसने टीवी पर ज्योतिषीय प्रोग्राम देखना जरूर शुरू कर दिया था। वह सारा दिन इसी तरह के प्रोग्राम देखती रहती है और तरह-तरह के उपाय सोचती रहती है। घर में कोई छिपकली आ जाए तो मानो घर में भूचाल आ जाता है। सीमा तो चंडी की तरह उसके पीछे पड़ जाती है और जब तक छिपकली घर से निकाल न दी जाए घर में सभी का रहना दूभर हो जाता है। शैलेश जब टूर से वापिस आते तो उनका सामान अछूत की तरह अलग रख दिया जाता ताकि कोई उसे छू न सके।
घर में कभी -कभी तीन चार दिन तक खाना नहीं बनता था क्योंकि बर्तन ही साफ नहीं होते थे। घर का सारा सामान बिखरा पड़ा रहता है क्योंकि सीमा सबको बार-बार पोछती रहती है। सीमा की कुंडली का ज्योतिषीय विश्लेषण सीमा की कुंडली के केंद्र भाव एवं त्रिकोण भावों में कोई भी शुभ या अशुभ ग्रह नहीं है। सभी केंद्र रिक्त हैं जिसके कारण सीमा में विवेक एवं सोचने समझने की शक्ति में कमी है। फलित ग्रंथों के अनुसार यदि बृहस्पति पाप युक्त या पाप दृष्ट हो तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति को मानसिक रोग अथवा मति भ्रम होने की संभावना रहती है। सीमा की कुंडली में बृहस्पति केतु के साथ होने से पाप युक्त है तथा शनि और राहु की दृष्टि भी पड़ने से बृहस्पति पाप दृष्ट है जिसके कारण उसकी मति भ्रमित है। ज्योतिष रत्नाकर के अनुसार यदि बुध अकारक होकर लग्नेश के साथ 6, 8 या 12 स्थानगत हो तो जातक मानसिक रोग से ग्रसित होता है।
सीमा की कुंडली में भी लग्नेश सूर्य अकारक बुध के साथ छठे भाव में स्थित है जिसके फलस्वरूप वह भी एक तरह के मानसिक रोग से ग्रसित है। सीमा की कुंडली में मनकारक ग्रह चंद्रमा का लग्नेश सूर्य तथा बुध से षडाष्टक योग भी बन रहा है जिसके कारण वह अपनी बुद्धि और मन का परस्पर सामंजस्य नहीं बिठा पा रही है और उनकी नकारात्मक सोच उनके व्यक्तित्व पर हावी हो जाती है और उसे यही लगता है कि जो वह कर रही है वही सही है। सीमा की कुंडली में मन रूपी चंद्रमा, बुद्धि रूपी बुध, ज्ञान रूपी बृहस्पति तीनों ही अशुभ स्थिति में हैं लेकिन सतोगुणी ग्रह बृहस्पति की लग्नेश व बुध पर दृष्टि होने से यह भ्रम अत्यधिक सफाई तक ही सीमित रहा और इसमें अधिक अशुभता नहीं आई।
पति स्थान का स्वामी ग्रह शनि चलित में भाग्य स्थान में होने से उसे अपने पति की सहानुभूति और पूर्ण समर्थन भी प्राप्त है और उनकी ओर से कोई अवहेलना नहीं मिल रही है। जैमिनी ज्योतिष के अनुसार आत्मकारक ग्रह शनि अकारक होकर लग्न से अष्टम भाव में राहु के साथ बैठे हैं और दूसरे भाव को देख रहे हैं जिससे सीमा की बुद्धि, वाणी और सोचने समझने की शक्ति प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो रही है। लाभ स्थान चंद्रमा तथा धन स्थान में बृहस्पति एवं भाग्येश मंगल की भाग्य भाव पर दृष्टि होने से इन्हें अपने जीवन काल में धन संपत्ति व भौतिक सुख साधनों की कमी नहीं रहेगी। पिछले सत्रह वर्ष से इनकी बुध की दशा चल रही थी।
चूंकि बुध अकारक होकर लग्न से षष्ठ स्थान पर तथा चंद्र से अष्टम है इसलिए बुध की दशा में ज्यादा भ्रमित रही है और अपनी नकारात्मक व वहमी सोच पूरे परिवार पर लादती रही। जून 2013 से इनकी केतु की दशा आरंभ हो रही है। केतु गुरु के साथ सौम्य राशि कन्या में स्थित है। सीमा का वहम कुछ कम हो सकता है। उन्हें डाक्टरी इलाज के साथ 5-6 रत्ती का पुखराज धारण करना चाहिए। बुध और शनि ग्रह का दान भी उनके लिए लाभकारी रहेगा और उनको सद्बुद्धि प्रदान करेगा।
शैलेश बहुत परेशान है कि वे क्या करं, किस तरह सीमा की इस मानसिक बीमारी का इलाज किया जाए ताकि वह और आम औरतों की तरह अपनी घर गृहस्थी चला सकें।