खगोल-विज्ञान (पृष्ठ-2)
कैलेंडर व पंचांग में भिन्नता क्यों

आधुनिक (ग्रेगोरियन) कैलेंडर में प्रति चार वर्ष पश्चात एक लीप वर्ष होता है, 100 वर्ष पश्चात लीप वर्ष नहीं होता एवं 400 वर्ष पश्चात पुनः लीप वर्ष होता है।... और पढ़ें

ज्योतिषखगोल-विज्ञानग्रहणआकाशीय गणितपंचांगगोचर

अप्रैल 2010

व्यूस: 3177

पंचांग इतिहास - विकास - गणना विधि

इस अनुपम विशेषांक में पंचांग के इतिहास विकास गणना विधि, पंचांगों की भिन्नता, तिथि गणित, पंचांग सुधार की आवश्यकता, मुख्य पंचांगों की सूची व पंचांग परिचय आदि अत्यंत उपयोगी विषयों की विस्तृत चर्चा की गई है। पावन स्थल नामक स्तंभ के अं... और पढ़ें

ज्योतिषखगोल-विज्ञानआकाशीय गणितपंचांग

अप्रैल 2010

व्यूस: 27703

ज्योतिष एक परिचय

ज्योतिष एक परिचय

राजेंद्र शर्मा ‘राजेश्वर’

‘‘ज्योतिष’’ शब्द ‘‘ज्योति’’ से बना है। ज्योति का सीधा-सादा शाब्दिक अर्थ है- द्युति, प्रकाश, उजाला, रोशनी, चमक, आभा इत्यादि। ‘‘ज्योतिष’’ एक विज्ञान है।... और पढ़ें

ज्योतिषखगोल-विज्ञानटैरोभविष्यवाणी तकनीक

अप्रैल 2015

व्यूस: 4058

वक्री ग्रह

वक्री ग्रह

फ्यूचर पाॅइन्ट

जब पृथ्वी ठ स्थान पर आती है, तब पृथ्वी से शनि 180° पर नजर आता है एवं जब पृथ्वी ब् स्थान पर पहुंचती है, तो शनि 180° से कम अंश पर दृश्य होता है।... और पढ़ें

ज्योतिषखगोल-विज्ञानग्रह

अप्रैल 2015

व्यूस: 8029

ब्रह्मांड की उत्पत्ति

संपूर्ण चराचर भूतगण ब्रह्मा के दिन के प्रवेशकाल में अव्यक्त से अर्थात् ब्रह्मा के सूक्ष्म शरीर से उत्पन्न होते हैं और ब्रह्मा की रात्रि के प्रवेशकाल में उस अव्यक्त नामक ब्रह्मा के सूक्ष्म शरीर में लीन हो जाते हैं।... और पढ़ें

ज्योतिषखगोल-विज्ञानपंचांग

आगस्त 2012

व्यूस: 14805

पंचांग - सुधार आवश्यक क्यों?

पंचांग - सुधार आवश्यक क्यों?

ब्रजेंद्र श्रीवास्तव

इस अनुपम विशेषांक में पंचांग के इतिहास विकास गणना विधि, पंचांगों की भिन्नता, तिथि गणित, पंचांग सुधार की आवश्यकता, मुख्य पंचांगों की सूची व पंचांग परिचय आदि अत्यंत उपयोगी विषयों की विस्तृत चर्चा की गई है। पावन स्थल नामक स्तंभ के अं... और पढ़ें

ज्योतिषखगोल-विज्ञानआकाशीय गणितपंचांग

अप्रैल 2010

व्यूस: 9145

ज्योतिष में सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण

प्रश्न: ज्योतिष में सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण का क्या महत्व है ? ग्रहण के पूर्व या ग्रहण के समय पूजा आदि का क्या विधान है? सूतक क्या है? इसमें कौन से कर्म वर्जित हैं? इस दौरान किन ग्रहों का उपाय, मंत्र जप आदि करना शुभ है?... और पढ़ें

ज्योतिषखगोल-विज्ञानभविष्यवाणी तकनीक

अप्रैल 2006

व्यूस: 8920

ज्योतिष में शिक्षा और अनुसंधान

ज्योतिष वेदांग है। वेदों की रचना स्वयं ब्रह्मा ने की थी। तब से वेद श्रवण-कथन द्वारा एक से दूसरे के पास और तब से आज हमारे पास पहुंचे हैं।... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय विश्लेषणज्योतिषीय योगखगोल-विज्ञानशिक्षाभविष्यवाणी तकनीक

नवेम्बर 2010

व्यूस: 8321

तारीख से वार की गणना और उसका आधार

वार, पंचांग के पाँच अंगों में से एक है और इसकी गणना का एक आधार है। इसी आधार से कुछ सूत्र भी बने हैं और इस सरल से आधार को समझने के बाद आप भी अपने सूत्र बना सकते हैं। आइये, सर्वप्रथम हम वार के आधार को समझें: कैलेंडर के आरंभ की ... और पढ़ें

ज्योतिषखगोल-विज्ञानग्रहणपंचांग

जनवरी 2015

व्यूस: 10558

वक्री ग्रहों का शुभाशुभ प्रभाव

आकाश में जब कोई ग्रह वक्री होता है तो उस काल में जन्मे सभी प्राणियों मनुष्य, पशु, पक्षी, जलचर, कीट, वृक्षादि पर एवं संपूर्ण भूमंडल (मेदनीय ज्योतिष) पर समान रूप से प्रभाव पड़ता है। यहां तक कि गोचरीय स्थिति में ग्रहांे की वक्रत... और पढ़ें

ज्योतिषखगोल-विज्ञानग्रहभविष्यवाणी तकनीक

अप्रैल 2015

व्यूस: 11774

ब्रह्म सृष्टि विज्ञान

ब्रह्म सृष्टि विज्ञान

गिरजा शंकर प्रसाद

विश्व ब्रह्मांड का रहस्य कौतूहल का विषय है। आज का विज्ञान इन रहस्यों को उजागर करने में प्रयत्नशील है। सृष्टि का प्रादुर्भाव अण्ड विस्फोट से होने की जानकारी आज के वैज्ञानिकों को सन 1926-27 में हुई, जिसे बिग बैग की संज्ञा देकर उन्हो... और पढ़ें

उपायअध्यात्म, धर्म आदिखगोल-विज्ञानविविध

अकतूबर 2008

व्यूस: 13316

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