क्या शनि स्थान वृद्धि करता है?
क्या शनि स्थान वृद्धि करता है?

क्या शनि स्थान वृद्धि करता है?  

रामप्रवेश मिश्र
व्यूस : 4688 | नवेम्बर 2006

शनि उदासीनता, दुख, दर्द, विपŸिा एवं मृत्यु का कारक माना जाता है। ज्योतिर्विदों का कथन है कि भाव स्थित शनि भाव की वृद्धि करता है। किंतु उसकी दृष्टि भाव को दूषित जबकि गुरु की दृष्टि पुष्ट करती है, शुभ करती है। गुरु स्थान का नाश करता है जबकि शनि स्थान की वृद्धि करता है। किंतु यह विचार पूर्णः सत्य नहीं है।

एक विद्वान ज्योतिषी के अनुसार केवल केंद्रगत शनि स्थान की वृद्धि करता है और केंद्र के परे गुरु स्थान का नाश करता है। श्री पराशर का भी मत है कि केंद्रेश पापी ग्रह पापत्व एवं शुभ ग्रह शुभत्व भूल जाता है। दोनों सामान्यतः शुभ फल ही प्रदान करते हैं।

नीचस्थ ग्रह भी अशुभ फल नहीं देते हैं। आइए, देखें यह तथ्य कहां तक सही है। मर्यादा पुरुषोŸाम श्री राम श्री राम की कुंडली का लग्न कर्क है। लग्न तथा राशि एक ही है। शनि पूर्ण अकारक है और उच्चस्थ होकर और बलवान हो गया है। अकारक ग्रह का बलवान होना अच्छा नहीं माना जाता है। लेकिन चतुर्थ भाव में बैठकर शनि ने स्थान की वृद्धि की। माता दीर्घायु रहीं। राजकीय सुख मिला। किंतु शनि ने दशम भाव पर दृष्टि डालकर राज से अलग कर 14 वर्ष का वनवास दिलाया। श्री अटलबिहारी वाजपेयी श्री वाजपेयी का लग्न तुला है। तुला का योग कारक ग्रह शनि लग्न में है।

यह पंचमहापुरुष में शश योग बना रहा है। जिसके फलस्वरूप उन्हें सŸाा मिली। लग्नस्थ शनि के कारण श्री वाजपेयी दीर्घायु हैं और उनका स्वास्थ्य अच्छा है। राष्ट्रपति डाॅ. अब्दुल कलाम यह कुंडली धनु लग्न की है। शनि द्वितीयेश एवं तृतीयेश होकर लग्न में स्थित है। द्वितीयेश एवं तृतीयेश मारक होता है। लेकिन क्योंकि शनि लग्न में स्थित होकर केंद्र में है, इसलिए श्री कलाम दीर्घजीवी हैं। उसकी नीच दृष्टि है। यही कारण है कि उन्हें अभी तक सŸाा नहीं मिल पाई है। श्री मुलायम सिंह यादव श्री मुलायम सिंह यादव उŸार प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं।


Get Detailed Kundli Predictions with Brihat Kundli Phal


वह एक से अधिक बार सŸाा के अधिकारी बने हैं। इसका कारण है केंद्रगत शनि। इनका जन्म कर्क लग्न में हुआ। शनि अकारक है। इसके बाद नीचस्थ होगा, तब सŸाा उनके हाथ से जा सकती है। साथ में केतु भी बुरा है। लेकिन केंद्र में होने के कारण शनि ने स्थान का नाश नहीं किया है अपितु उसकी वृद्धि की है। स्व. जगजीवन राम स्व. जगजीवन राम कई बार केंद्रीय मंत्री हुए। इनका लग्न मीन है। शनि एकादश एवं व्यय भावों का स्वामी है। शनि कारक ग्रह नहीं है। वह लग्न में है। साथ में सूर्य भी है। शनि सूर्य से आक्रांत भी है। तथापि स्व. जगजीवन राम को शनि ने स्वस्थ तथा दीर्घायु बनाया। यह केंद्रस्थ शनि का फल है।

ी अशोक कुमार श्री अशोक कुमार सिने संसार के प्रख्यात अभिनेता थे। इन्हें भी लग्नस्थ शनि ने दीर्घायु एवं स्वस्थ बनाया। जातक का लग्न मेष है। शनि दशम तथा एकादश भावों का स्वामी है और लग्न में नीचस्थ है। साथ में राहु है। मान्य नियम के अनुसार ऐसी कुंडली का जातक अल्पायु और आजीवन रोगी होता है। लेकिन लग्नस्थ एवं केंद्रगत राहु और शनि ने उन्हें दीर्घायु एवं स्वस्थ बनाया। श्री अभिताभ बच्चन श्री अभिताभ बच्चन को आज कौन नहीं जानता।

वह सिने संसार के प्रमुख व्यक्ति हैं। देश-विदेश में उनका नाम है। इनका शनि भी केंद्रगत है। इनका जन्म कुंभ लग्न में हुआ है, जिसके स्वामी शनि चतुर्थ स्थान में है। शनि वृष राशि का होकर केंद्र में है। इसलिए अमिताभ लंबे और दुबले हैं। शनि ने इन्हें संसार की सभी सुविधाएं प्रदान कीं। स्वस्थ एवं बलवान बनाया।


For Immediate Problem Solving and Queries, Talk to Astrologer Now




Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.