ताजिक ज्योतिष में शनि
ताजिक ज्योतिष में शनि

ताजिक ज्योतिष में शनि  

फ्यूचर समाचार
व्यूस : 5769 | नवेम्बर 2006

ताजिक ज्योतिष में शनि दवे समीर गिरीश कुमार शनि शांति के अनेकानेक उपाय हैं। लाल किताब में भी कुछ भिन्न प्रकार के उपाय दिए गए हैं। ये छोटे-छोटे उपाय शनि संबंधी कष्ट एवं दोष निवारण में उपयोगी सिद्ध होते हैं। विस्तृत जानकारी के लिए पढ़िए यह आलेखकृ शनि जिस भाव में स्थित होता है, वहां से तीसरे और दसवें भाव को एक चरण तथा पूर्ण दृष्टि से, चैथे भाव को तीन चरण दृष्टि से, पांचवें एवं नवें को दो चरण दृष्टि से, सातवें को पूर्ण दृष्टि से और आठवें भाव को तीन चरण दृष्टि से देखता है।

उसे भगवान शिव ने व्यक्ति के कर्म का फल प्रदान करने का अध् िाकार दिया है। ताजिक अर्थात यूनानी ज्योतिष में वर्ष लग्न से विभिन्न भावों में शनि की स्थिति का फल इस प्रकार वर्णित है-

लग्न-शरीर कष्ट, धनव्यय।

द्वितीय-शासन से भय, असफलता।

तृतीय-धनलाभ, शासन से सफलता, धर्म में रुचि।

चतुर्थ-सुखहानि, धनव्यय, रोग, व्यसन और भय।

पंचम-चोरी का भय, पुत्र व मित्र सुख में बाधा, धनव्यय, बुद्धिभ्रम, रोग, दृव्र्यसनों में प्रवृŸिा।

षष्ठ-धनलाभ, सुख, शत्रुनाश।

सप्तम-दाम्पत्य सुख में कमी, स्त्री या पति कष्ट, कलह, सेवकों से भय।

अष्टम-कष्टप्रद।

नवम-सहोदरों से क्लेश, पशुहानि।

दशम-पशुहानि, धनहानि, वाहन हानि एकादश-उत्तम स्वास्थ्य, लाभ, सम्मान, मित्रसुख।

द्वादश-व्यय, किंतु किसी कार्य विशेष में सफलता।

शनि की साढे़साती या ढैया के सामान्य उपाय: शनिवार को सरसों के तेल का दान करें। सूर्यदेव की आराधना करें। 6 शनि यंत्र धारण करें। बादाम बांटें। सर्प को दूध पिलाएं। बहती नदी में शराब प्रवाहित करें। लोहा दान करें। घोड़े की नाल या नाव की कील का छल्ला धारण करें। उपर्युक्त उपाय कोई भी जातक कर सकता है। द्वादश भावों में शनि के अशुभ फल निवारण के उपाय एवं टोटके

प्रथम भाव: ऐसे जातक को निम्नलिखित उपाय करने चाहिए। बंदर पालें। माथे पर दही या दूध का तिलक करें। शनिवार को सरसों के तेल का दान करें। वट वृक्ष अथवा केले की जड़ में कच्चा दूध डालें।

द्वितीय भाव: ऐसे जातक को निम्नलिखित उपाय करने चाहिए। मस्तक पर तेल न लगाएं। शनिवार को आटे की गोलियां बनाकर मछलियों को खिलाएं। कच्चा दूध शनिवार को कुएं में डालें। भूरे रंग की भैंस पालें और उसकी सेवा करें। सर्प को दूध पिलाएं।

तृतीय भाव: काला कुŸाा पालें। मकान के अंत में एक अंधेरा कमरा बनाएं। केतु का उपाय करने से धन संपŸिा में वृद्धि होगी। शराब एवं मांसाहारी भोज्य पदार्थों का सेवन न करें। दक्षिण दिशा की ओर भवन का मुख्य द्वार हो तो उसे बंद कर उŸार की ओर बनाएं।

चतुर्थ भाव: मजदूर की सेवा करें। अपनी सुरक्षा ध्यान में रखकर सर्प को दूध पिलाएं। बहती नदी में शराब प्रवाहित करें। स्वयं या परिवार का कोई सदस्य शराब का सेवन न करे। काले वस्त्र धारण करना वर्जित है। रात्रि काल में दूध का सेवन न करें।

पंचम भाव: बुध का उपाय करें। काला कुŸाा पालें, संतान को सुख होगा। अड़तालीस वर्ष की आयु के पूर्व मकान न बनवाएं। सौंफ, गुड़, शहद, तांबा, चांदी आदि नए वस्त्र में बांधकर अंधेरे कमरे में रखें।

षष्ठम भाव: सरसों का तेल मिट्टी के बर्तन में भरकर तालाब आदि में मिट्टी के नीचे दबाएं। बर्तन को मिट्टी के नीचे दबाने से पूर्व तेल में अपना चेहरा अवश्य देख लें। शनिवार को बहते जल में बादाम प्रवाहित करें। काला कुŸाा पालें, संतान को सुख होगा। कृष्ण पक्ष में शनिवार का व्रत अवश्य रखें। सर्प को सावधानीपूर्वक दूध पिलाएं।

सप्तम भाव: परस्त्री गमन न करें। काली गाय की सेवा करें। शनिवार को बांसुरी में चीनी भरकर निर्जन स्थान में मिट्टी के नीचे दबाएं। शराब और मांस-मछली का सेवन न करें। पहला भाव खाली हो, तो शहद से भरा बर्तन एकांत स्थान में दबाएं। एक लोटा जल में गुड़ डालकर शनिवार को पीपल की जड़ में चढ़ाएं।

अष्टम भाव: चांदी का चैकोर टुकड़ा सदैव अपने पास रखें। संभव हो, तो चांदी की चेन धारण करें। शराब का सेवन न करें। शुद्ध शाकाहारी रहें। यदि शनि अशुभ हो, तो आठ सौ ग्राम कच्चा दूध सोमवार को बहते जल में प्रवाहित करें। आठ किलो काली उड़द के दाने या आठ सौ ग्राम उड़द में सरसों का तेल मिलाकर शनिवार के दिन किसी पवित्र नदी में प्रवाहित करें। पत्थर पर या कच्ची मिट्टी पर बैठकर स्नान करें। नवम भाव: बृहस्पतिवार का व्रत रखें और पीला प्रसाद बांटें। घर के पीछे की ओर कोने में अंध् ोरी कोठरी बनाएं। मकान की छत पर कूड़ा-करकट अर्थात व्यर्थ की वस्तुएं न रखें। बृहस्पतिवार को ढाक के 100 पŸो कच्चे दूध में धोकर नदी में प्रवाहित करें।

दशम भाव: अंधे व्यक्ति की सेवा करें। नशाखोरी और मांस मछली का सेवन न करें। गणेश जी की उपासना करें। बृहस्पति का उपाय करें। उस दिन व्रत रखें। पीले रंग के वस्त्र धारण करना उत्तम है। पीले रंग का समाान सदैव अपने पास रखें। एकादश भाव: परस्त्री गमन न करें। शनिवार को व्रत रखें। 43 दिन तक प्रातःकाल सूर्योदय से पहले अपने मकान के मुख्य द्वार पर शराब या सरसों का तेल जमीन पर गिराएं। घर से बाहर जाते समय जल से भरा घड़ा द्वार पर रखें और उसमें अपना चेहरा देखकर जाएं। कार्य पूर्ण होने की संभावना ज्यादा रहेगी। घर में चांदी की ठोस ईंट रखें। बृहस्पति का उपाय करने से शनि की अशुभता का शमन होगा।

द्वादश भाव: शनि यंत्र धारण करना लाभकारी होगा। मकान में पीछे की ओर खिड़की या दरवाजा न बनवाएं। शराब तथा मांस-मछली का सेवन न करें झूठ न बोलें। बारह बादाम नए काले कपड़े में बांधकर लोहे के पात्र में बंद करके सदैव कायम रखें।

उपर्युक्त उपाय लाल किताब के अनुसार हैं। उसके अनुसार सभी कुंडलियां मेष राशि को लग्न मानकर बनाई जाती हैं। इन उपायों के अतिरिक्त श्री दशरथकृत शनिस्तोत्र महामृत्यंजय मंत्र एवं महामृत्युंजय स्तोत्र भी शनि ग्रह की पीड़ा का शमन करते हंै। शनि की पत्नियों के नामों का पाठ भी शनि ग्रह की पीड़ा का शमन करता है।

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