कष्ट निवारक शनि अष्टक
कष्ट निवारक शनि अष्टक

कष्ट निवारक शनि अष्टक  

व्यूस : 19878 | नवेम्बर 2006
कष्ट निवारक शनि अष्टक पं. श्रीकृष्ण शर्मा िन द े व क ी प ्र स न् न त ा एवं अनुकूलता प्राप्त करने हेतु दशरथकृत शनि स्तोत्र बहुत प्रभावशाली माना जाता है। इसके नित्यपाठ से शनि तथा अन्य ग्रहों की पीड़ा से मुक्ति मिलती है। पाठकों के हितार्थ शुद्धरूप में स्तोत्र दिया जा रहा है। शनि अष्टक के पाठ से भी पाइक लाभान्वित हो सकते हैं। महाराजा दशरथकृत सिद्ध शनि स्तोत्र स्तोत्रम्: नमः कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च। नमः कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नमः।। नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च। नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।। नमः पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नमः। नमो दीर्घायशुष्काय कालदष्ट्रं नमोऽस्तुते।। नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निरीक्ष्याय वै नमः। नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।। समस्ते सर्वभक्षाय वीलीमुखनमोऽस्तुते। सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च।। अधोदृष्टे नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तुते। नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते।। तपसा दग्धदेहाय नित्यं योगरताय च। नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नमः।। ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यापात्मजसूनवे। तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।। देवासुरमनुष्याश्च सिद्धविद्यारोरगाः। त्वया विलोकिताः सर्वे नाशंयांति समूलतः।। प्रसादं कुरु मे देव वरार्होऽहमुपागतः। एवं स्तुतस्तदा सौरिग्र्रहराजो महाबलः।। (पद्म पुराण) शनि अष्टक का पाठ विश्वासपूर्वक किया जाए, तो लाभ निश्चित होता है यहां इस अष्टक का अर्थ सहित वर्णन प्रस्तुत है। नित्यं स्मृतो यो हरते च पीडां तस्मै नमः श्रीरविनंदनाय।। दशरथ ने कहा, कोकण, अंतक, रौद्र, यम, बभ्रु, कृष्ण, शनि, पिंगल, मंद, सौरि इन नामों का नित्य स्तवन करने से जो पीड़ा का नाश करते हैं, उन रवि पुत्र शनि को नमस्कार है। नरा नरेन्द्राः पशवो मृगेन्द्रा वन्याश्च ये कीटपतंगभृंगाः। पीड्यन्ति सर्वे विषमस्थितेन तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय।। जिसके विपरीत होने पर राजा, मनुष्य, सिंह, पशु और अन्य वनचर कीड़े, पतंगे, भांैरे ये सभी पीड़ित होते हैं, उन शनि को नमस्कार है। देशाश्च दुर्गाणि वनानि यत्र सेनानिवेशाः पुरपŸानानि। पीड्यन्ति सर्वे विषमस्थितेन तस्मै नमः श्री रविनंदनाया।। देश, किले, वन, सेनाएं, नगर, मह¬ानगर भी जिनके विपरीत होने पर पीड़ित होते हैं, उन शनि को नमस्¬कार कष्ट निवारक शनि अष्टक श है। तिलैर्यवेर्माषगुड़ान्नदानैः लौर्हेश्च नीलाबरदानतो वा।। प्रीणाति मंत्रैर्निजवासरे च तस्मै नमः श्रीरविनंदनाय।। तिल, जौ, उड़द, गुड़, अन्न, लोहे, नीले वस्त्र के दान और शनिवार को स्तोत्र के पाठ से जो प्रसन्न होते हैं, उन शनि को नमस्कार है। प्रयागकूले यमुनातटे वा सरस्वती पुण्यजले गुहायाम्। यो योगिनां ध्यानगतोऽपि सूक्ष्म- स्तस्मै नमः श्रीरविनंदनाय।। प्रयाग में, यमुना तट पर, सरस्वती के पवित्र जल में या गुहा में योगियों के ध्यान में जो सूक्ष्मरूपधारी शनि हैं, उन्हंे नमस्कार है। अन्यप्रदेशात् स्वगृहं प्रविष्ट स्तदीयवारे स नरः सुखी स्यात् गृहाद् गतो यो नपुनः प्रयाति तस्मै नमः श्रीरविनंदनाय।। दूसरे स्थान से यात्रा करके शनिवार को अपने घर में जो प्रवेश करता है, वह सुखी होता है और जो अपने घर से बाहर जाता है, वह शनि के प्रभ्¬ााव से पुनः लौटकर नहीं आता, ऐसे शनिदेव को नमस्कार है। स्रष्टा स्वयम्भुर्भुवनत्रयस्य त्राता हरीशो हरते पिनाकी। एकस्त्रिधा ऋग्यजुसाममूर्ति- स्तस्मै नमः श्रीरविनंदनाय।। यह शनि स्वयंभू हैं, तीनों लोकों के स्रष्टा (सृष्टिकर्ता) और रक्षक हैं, विनाशक हैं तथा धनुषधारी हैं। एक होने पर भी ऋग, यजु तथा साममूर्ति हैं, ऐसे सूर्यसुत को नमस्कार है। शन्यष्टकं यः प्रयतः प्रभाते नित्यं सपुत्रैः पशुबान्धवैश्च। पठेŸाु सौख्यं भुवि भोगयुक्तः प्राप्नोति निर्वाणपदं तदन्ने।। शनि के आठ श्लोकों को जो अपने पुत्र, पत्नी और बांधवों के साथ प्रतिदिन पढ़ता है, वह इस लोक में सारे सुखों का भोग कर अंत में मोक्ष को प्राप्त करता है।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.