अंक 4 व्यक्ति के जन्मांक अथवा नामांक से संबंध रखता है तो व्यक्ति को व्यवसाय की ओर जाने के लिए रुचि पैदा करता है। यही नहीं स्वास्थ्य से लेकर व्यक्ति का विकास काफी आकर्षक तथा लुभावना रहता है, तर्क-वितर्क की भावना प्रबल रहती है व सहयोग की भावना अधिक देखने को मिलती है। अपने लक्ष्य को धन, व्यवसाय, उद्योग धंधे के प्रति लगाते हैं। यदि नौकरी करते हैं तो संतुष्ट नहीं रह पाते हैं तथा एक सफल व्यवसायी के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल रहते हैं।
यह अंक जहां व्यक्ति को व्यवसायिक एवं बहुल व्यवसायी बनाता है तो दूसरी तरफ प्रेम प्रसंगों की ओर भी आकर्षित करता है तथा पारीवारिक जीवन में 31 साल तक उतार-चढ़ाव, मन-मुटाव हो सकता है। अतः सतर्कता बरतनी चाहिए। जन्मांक में अंक 4 की उपस्थिति अच्छी योग्यता को भी दर्शाता है। तकनीकी क्षेत्र में इसका महत्व है। अंक 4 की उपस्थिति अंक 1-7 से संबंध में आर्थिक क्षेत्र में तरक्की का कारक बनता है। व्यक्ति निश्चित तौर पर आर्थिक रूप से संपन्न रहता है।
किंतु यही अंक अथवा जन्मांक 4 अंक 3, 6 अथवा 8 के साथ संबंध बनाता हो अथवा अंक 3 व 6 की पुनरावृŸिा 2 या अधिक बार होने पर 41 वर्ष बाद मानसिक परेशानी चिंता, तनाव देता है। अतः जन्मांक 4 को 8 एवं 9 से बचना चाहिए। जो लंबे समय के लिए अशुभ प्रभाव देता है। महीने की 4, 13, 22, 31 तारीख का मूलांक 4 होता है। अंक 4 का झुकाव या आकर्षण जन्मांक 1, 2, एवं 8 के प्रति स्वाभाविक है क्यांेकि अंक 4 का प्रतिनिधि राहु होने के कारण इसका रंग कुछ नीला होता है।
ज्योतिष चिकित्सा में चर्म रोग, घाव में यह विशेष उपयोगी साबित होता है। ज्योतिष में भी राहु से चंद्रमा अशुभ प्रभाव होने पर तथा चैथे तथा पांचवे घर का कारक हो तो निमोनिया, खांसी, सर्दी तथा मानसिक तनाव देता है। ऐसी परिस्थिति में मोती या गोमेद एक साथ पहनने से पहले ज्योतिष सलाह लाभकारी रहेगी।