दमा रोग, फेफड़ों में वायु का कफ बनाता अवरोध शीत बर्फीला धूल धुआं भट्ठी सीमेंट इसकी पौध तृतीय चतुर्थेश भाव बुध चंद्र दूषित मारकेश से शौध मूलहटी फूल सुहागा सौंठ पीपरमैंट से ना करे विरोध उदर रोग, अमाशय छोटी बड़ी आंत ना करे उचित पाचन अफारा कब्ज पेचिश अतिसार मंदाग्नि बने डायन लग्न लग्नेश द्वितीय पंचम षष्ठेश से मिले ज्ञान अजवायन हरड़ आंवला त्रिफला चूर्ण लौंग करे इसे श्मशान मधुमेह, यकृत क्लोम ग्रंथि गड़बड़ से ग्लूकोज आॅक्सीजन रूकता प्यास लगना बार-बार पेशाब दृष्टि परिवर्तन कमजोरी इससे है
हो सकता पंचम भाव गुरु शुक्र ग्रह का फल उचित नहीं मिल पाता टमाटर जामुन दही करेला मैथी तथा जल पीने की अधिकता नेत्र, नजर कमजोरी मोतियाबिंद रोहे व दुखना पानी का आना कंप्यूटर पर लगातार काम क्रोध शोक मल प्रवृत्ति का रोकना द्वितीय द्वादश व छठा भाव सूर्य चंद्र लग्न का उपयुक्त न होना गुलाब जल रसांजन शुद्ध शहद सुरमा घी दूध का नियमित पीना। बवासीर, मस्से बनना, जलन शौच क्रिया में होती पीड़ा वाहन चलावे कम पानी पीवे मांस मच्छी मिठाई कीड़ा शनि मंगल अष्टम भाव व सप्तम भाव का आंव-मरोड़ा गाजर मूली दही लस्सी पालक का पीना अधिक काड़ा हृदय रोग, अशुद्ध से शुद्ध रक्त फेफड़े मे ना बन सके संचार वात पित्त कफ असंतुलन भय शोक चिंता तनाव का भंडार कर्क सिंह राशि चतुर्थ पंचमेश षष्ठ भाव का इसमें है विचार प्याज हल्दी लहसुन हरड़ पुष्कर खजूर है
उपयुक्त उपचार सिर दर्द, दंत दृष्टि कमजोर उच्च रक्त चाप हड्डियों में विकार अक्सर बुखार संक्रमण गांठ चिंता भय का शरीर में प्रसार लग्न लग्नेश सूर्य पीड़ित होना पित्त का बढ़ना रखता दरकार बादाम गिरी आंवला गौ घी हरड़ छिलका धनिया से है उपचार कर्णरोग, दर्शाता वात श्वेत पित्त कफ में खुजली द्रव होना खसरा काली खांसी छिद्र सूजन पानी का कान में जाना बुध तृतीय एकादश पीड़ित वाक श्रवण का होता है हर्जाना स्वस्थ हेतु तुलसी प्याज अदरक रस सरसों तेल है डलवाना