इस विद्या में तीन त्रिभुज बनाये जाते हैं। इनके चित्र के अनुसार नौ नौ की संख्या में नक्षत्र लिखा जाता है। प्रथम त्रिभुज में अश्विनी से अश्लेषा तक नक्षत्र है तथा चक्र का नाम अश्वपति है। मघा से ज्येष्ठा तक द्वितीय चक्र को नरपति चक्र कहते हैं। तृतीय त्रिभुज में मूल से रेवती तक के नक्षत्र हैं इसे गजपति चक्र कहते हैं। जो नक्षत्र जिस रेखा पर है वह रेखा उसकी नाड़ी कहलाती है। जैसे अश्विनी की नाड़ी आधार है। चक्र के पांच भाग हैं जो महत्वपूण्र् ा हैं। आधार - यह देश की जनता का घर है।
2. आसन - यह प्रशासनिक अधिकारियों की कुर्सी है।
3. पत्ता - यह मंत्री या राजकुमार की कुर्सी है।
4. सिंह - प्रधानमंत्री के समकक्ष की कुर्सी है।
5. सिंहासन- यह राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री की कुर्सी है।
सिंहासन चक्र से सरकार का जीवन, प्रधानमंत्री की कार्यप्रणाली एवं उनके मंत्री, पुत्र, पुत्री तथा प्रजा एवं देश की घटनाओं के संबंध में जाना जा सकता है। चंद्रमा एवं शनि ग्रह का विशेष महत्व है। ये दोनों शुभ नक्षत्र में होने चाहिये। चंद्र आयु को प्रभावित करता है तथा मुहूर्त के लिए शुभ होना आवश्यक है। शनि प्रजातंत्र का कारक ग्रह है एवं गोचर में घटनाएं देता है। दोनों शपथ समारोह के समय अशुभ नक्षत्र में स्थित नहीं होना चाहिए। श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने दिनांक 26-5-2014 को सायं 6.04 बजे शपथ ली। चक्र निम्न है। जिसका स्वामी शुक्र है जो शुभ है। भरणी का अर्थ है
भरण पोषण करने वाली। स्वामी शुक्र है जो आधार नाड़ी में है अतः देश की जनता का भरण पोषण सरकार की प्राथमिकता होगी। स्वामी देव यम हैं जो 5 हैं- सत्य, अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह एवं ब्रह्मचर्य। अतः सरकार यम के पालन का प्रयास करेगी। यम का एक अर्थ मृत्यु देव है। अतः जनता एवं सरकार में रोग एवं दुर्घटना से मृत्यु होगी क्योंकि केतु ग्रह आधार नाड़ी में है। सरकार दयालु एवं लोकप्रिय होती है तथा देश में स्वर्ग उतारने की कल्पना करती है तथा कार्य भी करती है। संहिता के अनुसार चंद्र आसन नाड़ी में है
जिसका फल है कि शासन नैतिक नियमों का पालन करता है तथा सबको साथ लेकर एवं सबकी राय लेकर कार्य करता है। ऐसा ही होगा। सरकार कार्यकाल पूरा करेगी। शनि - शनि वक्री है जो 19 जुलाई 2014 तक है। यह विशाखा नक्षत्र में है स्वामी गुरु शुभ ग्रह है। सरकार में उथल-पुथल रहेगा। तरह-तरह के नियम बनंेगे। कार्य पद्धति में बदलाव होगा। सरकार में ऋणात्मक ऊर्जा दग्ध होगी। नक्षत्र का प्रतीक कुम्हार का चक्र एवं धनुषबाण है। चक्र सृष्टि का प्रतीक है।
विशाखा का अर्थ है तत्परता संन्नधता अतः निर्माण कार्य होंगे तथा ईमानदारी एवं तत्परता से प्रत्येक कार्य समय सीमा में संपन्न होंगे। विदेश यात्रा होगी। शनि पत्ता नाड़ी में है जिसका संहिता के अनुसार फल है कि प्रधानमंत्री एवं उनके परिवार को अपने जीवन रक्षा हेतु सतर्क रहना होगा। शनि का गोचर आसन नाड़ी में 30-10-2014 से 20-10-2016 तक रहेगा जो युद्ध, अपयश, प्रजा को कष्ट एवं सफलता भी देगा। अक्तूबर 2016 से अक्तूबर 2017 तक आधार नाड़ी में रहेगा जिसका फल दैवी आपदा आने पर शासक का दोष नहीं। रचनात्मक कार्य हो। अक्तूबर 2017 से मई 2018 तक शनि आधार नाड़ी में रहेगा पुनः मई 2019 तक आसन नाड़ी में जायेगा जो आतंकवाद, युद्ध एवं सफलता भी देगा। शनि शुभ ग्रह के नक्षत्र में है
यह सिंह या सिंहासन नाड़ी में अगले 5 वर्ष तक नहीं रहेगा अतः सरकार कार्यकाल पूरा करेगी। जैमिनी पद्धति से गणना करने पर आयु विराग आती है अतः सरकार कार्यकाल पूरा करेगी। 5 वर्ष को विंशोत्तरी दशा में समानुपाती ढंग से परिवर्तित करने पर शुक्र महादशा 2/15 तक जो व्यय कारक है। आय व्यय बराबर बल्कि घाटा हो, बाहर से परेशानी पाकिस्तान से। सूर्य दशा - 2/15 से 5/15 - सरकार में विरोध, एवं पड़ोसी की सहायता हो- किसी बुजुर्ग नेता का मरण। चंद्र दशा - 5/15 से 10/15 - अनेक कार्य हो, निर्माण कार्य, महिलाओं का सशक्तिकरण हो। गंगा सफाई कार्य। विदेश यात्रा।
मंगल दशा- 10/15- 2/16 - विदेश यात्रा, व्यय अधिक, परेशानी, शत्रुता दुर्घटना। राहु दशा- 2/16-11/16 शत्रु बढ़े बाहर भीतर, रोग देश में। गुरु दशा- 11/16-7/17 चतुर्दिक उन्नति, भ्रष्टाचार समाप्त हो, प्रशंसा शनि दशा - 7/17 - 4/18 - अच्छा समय, चतुर्दिक उन्नति, यश, नाम। बुध दशा - 4/18 - 1/19 - विदेश यात्रा नाम यश दुर्घटना । केतु दशा - 1/19-4/19 शुभ समय नहीं, कड़ी मेहनत शासक को रोग आदि विस्फोट।