पुंसवन व्रत फ्यूचर समाचारपुंसवन व्रत मार्गशीर्ष शुक्ल प्रतिपदा से प्रारंभ होकर मार्गशीर्ष की अमावस्या को पूर्ण होता है। श्री शुक्रदेव जी ने राजा परीक्षित को इस व्रत का वर्णन सुनाते हुए कथा था की यह व्रत समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाला है। स्त्री को चाहे ... moreदेवी और देवनवेम्बर 2006Views: 11410
पवित्र पर्व : कार्तिक पूर्णिमा फ्यूचर समाचारसृजनात्मक समभाव, कृतज्ञात ज्ञापन व् सक्रियता का उद्दीपन भाव हमारी पर्व संस्कृति के मुख्य उत्प्रेरक रहें। शास्त्रीय विधानों से उन्हें संकल्प शक्ति की सामूहिक परंपरा प्राप्त होती आई है। शास्त्रों में भगवान विष्णु के निमित् सूर्योदय ... moreदेवी और देवनवेम्बर 2006Views: 6282
विवाह विलम्ब का महत्वपूर्ण कारक शनि फ्यूचर समाचारसप्तम भावस्थ प्रत्येक ग्रह अपने स्वभावानुसार जातक –जातका के जीवन में अलग-अलग फल प्रदान करता है। वैसे तो जन्मकुंडली का प्रत्येक भाव का अपना विशिष्ट महत्व है, किन्तु सप्तम भाव जन्मांग का केन्द्रवती भाव है, जिसके एक और शत्रु भाव और... moreदेवी और देवनवेम्बर 2006Views: 9251
क्या शनि स्थान वृद्धि करता है। फ्यूचर समाचारशनि उदासीनता, दुःख, दर्द विपति एवं मृत्यु का कारक माना जाता है। ज्योतिर्विदों का कथन है की भाव स्थित शनि भाव की वृद्धि करता है। किन्तु उसकी दृष्टि भाव को दूषित जबकि गुरु की दृष्टि पुष्ट करती है। शुभ करती है। एक स्थान का नाश करता ह... moreदेवी और देवनवेम्बर 2006Views: 17918
ताजिक ज्योतिष में शनि फ्यूचर समाचारशनि जिस भाव में स्थित होता है। वहां से तीसरे और दसवें भाव को एक चरण तथा पूर्ण दृष्टि से चौथे भाव को तीन चरण दृष्टि से, पांचवे एवं नवें को दो चरण दृष्टि से देखता है। उसे भगवान शिव ने व्यक्ति के कर्म का फल प्रदान करने का अधिकार दिया... moreदेवी और देवनवेम्बर 2006Views: 5772
जब हथेली में शनि बैठा हो फ्यूचर समाचारशनि ग्रह हाथ में बीच वाली उंगली के नीचे होता है। शनि अध्यात्म बन, दांतों के रोग, संगीत, कला, प्रकृति, प्रेम, ज्योतिष, गुप्त विद्या, गुण दोष निकालने की कला, नौकरी, सात्विक विचार आदि से संबन्ध रखता है। अगर यह हथेली में उठा हुआ हो,... moreदेवी और देवनवेम्बर 2006Views: 8014
कहां-कहां बसे हैं शनि धाम फ्यूचर समाचारशनि धामों में अनेक शानि तीर्थ क्षेत्र ऐसे हैं, जिनका पौराणिक ग्रंथों में जिक्र है और कई तीर्थ क्षेत्र ऐसे है जिनका पौराणिक कथाओं में जिक्र ही नहीं है। किन्तु वे अपनी महिमा के कारण लाखों भक्तों की श्रद्धा का केंद्र बने हुए है। शनि ... moreदेवी और देवनवेम्बर 2006Views: 8365
कैसे हो शनि की पीड़ा से बचाव फ्यूचर समाचारज्योतिष शास्त्र में शनि को शनैश्चर कहा गया है। यह सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह है। यह बड़ा है इसलिए यह एक राशि का भ्रमण करने में ढाई वर्ष तथा १२ राशियों का भ्रमण करने में लगभग ३० वर्ष का समय लगाता है। यह जैसा दीखता है, वैसा नहीं... moreदेवी और देवनवेम्बर 2006Views: 22766
रामायण की चौपाई से करें मनोकामना की पूर्ति भगवान सहाय श्रीवास्तवतुलसीदास जी मंत्रसृष्टा थे। रामचरित मानस की हर चौपाई मंत्र की तरह सिद्ध है। रामायण कामधेनु की तरह मनोवांछित फल देती है। रामचरित मानस में कुछ चौपाइयां ऐसी है जिनका विपत्तियों तथा संकट से बचाव और।... moreदेवी और देवउपायविविधअप्रैल 2008Views: 309361
क्या शनि पर सूक्ष्म जीव हैं फ्यूचर समाचारसौर मंडल में गुरु के बाद शनि ग्रह स्थित है जो भूमि से एक तारे के सामान दिखाई देता है, परन्तु उसका रंग काला सा है। इसके पूर्व-पश्चिम व्यास की अपेक्षा दक्षिणोतर व्यास लगभग ७ ५ हजार मिल कम है, अत: यह पूर्णता: गोल न होकर चपटा है। इसके... moreदेवी और देवनवेम्बर 2006Views: 5369
द्वारकापुरी: जहां छिपी हैं कृष्ण वैभव की कई गाथाएं फ्यूचर समाचारभगवान कृष्ण ने अपने जीवनकाल में कई विचित्र कार्यों का संपादन किया। बालपन से लेकर वृद्धावस्था तक वे कुछ ऐसा करते रहे की हमेशा चर्चा में रहे। समुद्र के बींचोबीच आलीशान द्वारका नगरी का निर्माण भी इसी विचित्रता का एक उदाहरण है। कृष्ण ... moreदेवी और देवनवेम्बर 2006Views: 9381
श्री लक्ष्मी नारायण व्रत फ्यूचर समाचारश्रीलक्ष्मी नारायण व्रत मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से प्रारम्भ होने वाला है जो वर्ष की प्रत्येक पूर्णिमा को मनाया जाएगा और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिका को समाप्त होगा। यह सब पापिन को दूर करें वाला, पुण्... moreदेवी और देवदिसम्बर 2006Views: 12422