राइजिंग इंडिया का सन्निकट भविष्य ऋषियों-मुनियों संतों, जगदगुरुओं का देश भारतवर्ष 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश शासन की दासता से स्वतंत्र हुआ। वैसे प्राचीन समय से ही भारत विश्व में आध्यात्मिक मार्गदर्शक व धनाढ्य राष्ट्र रहा है। वर्तमान में भी पाश्चात्य राष्ट्र भारत का अनुकरण करने में लगे हैं। यदि हम भारतवर्ष की स्वतंत्रता की पृष्ठभूमि में जाते हैं तो यह पाते हैं कि 1946 में प्रारंभ हुए जातीय दंगों का अंत, अंतिम अंग्रेज शासक लार्ड माउन्ट बेटन द्वारा 14 एवं 15 अगस्त के 24 घंटों में भारत व पाकिस्तान ारानामक दो राष्ट्रों के सृजन द्वारा, खंडित राष्ट्रों की आजादी के रूप में हुआ। यदि ज्योतिषीय दृष्टि से भी देखें तो शनि एवं बुध की दशा में भारत की नींव मजबूत हुई पर केतु की दशा में समस्याएं आयीं व यह स्थिति जल्दी ही संभल गई व शुक्र की दशा आने पर भारत की उपलब्धियां ऊंचाइयों को छूने लगीं। शुक्र की दशा में जहां हमने एक ओर उपलब्धियां प्राप्त की, वहीं दूसरी ओर इस दशा में पाश्चात्य सभ्यता के अंधानुकरण से मुक्त यौन संबंधों व ऐश्वर्य का प्रादुर्भाव भी हुआ जिससे भ्रष्टाचार को काफी बढ़ावा मिला। शुक्र के बाद सितंबर 2009 में प्रारंभ हुई सूर्य की दशा । आइये, अब उसी सूर्य की महादशा के वर्तमान शेषांश पर विचार करें। सूर्य/गुरु 28/9/2011 से 16/11/2012 इस दशा में देश में आंतरिक सुरक्षा संबंधी समस्याएं व आर्थिक समस्याएं आने की उम्मीद है। लग्नकुंडली में सूर्य चतुर्थेश होकर तृतीय भाव में है व गुरु अष्टमेश व एकादशेश होकर छठे भाव में है। नवांश में सूर्य षष्ठेश होकर लग्न में व गुरु दशमेश व लग्नेश होकर तृतीय भाव में है। अतः इस समय में पड़ोसी राष्ट्रों से समस्या हो सकती है। गोचर के अनुसार 24 से 26 अगस्त 2011 में कोई अप्रिय घटना घट सकती है। इस दशा में संचार, कंप्यूटर व शिक्षा क्षेत्र में विशेष बदलाव आने की संभावना है। सूर्य/शनि 16/7/2012 से 28/6/2013 तक शनि लग्न कुंडली में नवमेश व दशमेश है व नवांश में शनि एकादशेश व द्वादशेश है। शनि सूर्य पिता-पुत्र हैं व उनके आपसी संबंध अच्छे नहीं है लग्न कुंडली में शनि-सूर्य नवम भाव को दृष्ट कर रहे हैं। अतः धार्मिक उन्माद होने की संभावना बनती है। दशम भाव प्रभावित होने से देश के किसी प्रमुख शासक को नुकसान होने की संभावना भी रहेगी। नवांश में चूंकि शनि से एकादश व द्वादश भाव प्रभावित हो रहा है। अतः कंप्यूटर के क्षेत्र में भारत को बड़ी उपलब्धि होने की उम्मीद है। चूंकि नवांश का शुक्र तृतीयेश व अष्टमेश होकर एकादश भाव में है अतः किसी खेल में अचानक किसी महिला खिलाड़ी या महिला टीम को कोई उपलब्धि मिले, यह संभव है। 26 से 28 जून 2012 तक देश का एकादशेश शनि मंगल से पीड़ित होने के कारण कोई कष्टकारी घटना घट सकती है। गोचर के प्रभावों के कारण अक्तूबर-नवंबर 2012 ज्यादा कष्टदायी होने की उम्मीद रहेगी। लग्न कुंडली में सूर्य चतुर्थेश होकर तृतीय भाव में है व केतु वृश्चिक राशि में सप्तम भाव में है। सप्तमेश मंगल द्वितीय भाव में है अतः इस समय में कोई अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संधि हो यह संभव है। साथ में मंगल का प्रभाव नवम भाव पर भी है अतः धार्मिक उन्माद जैसी स्थिति का निर्माण होना संभव है। नवांश में केतु सिंह राशि में छठे भाव में तथा सूर्य लग्न में है जो कि मीन राशि में है। चूंकि गुरु दशमेश व लग्नेश होकर तृतीय भाव में है अतः 9, 10, 11 भाव प्रभावित होने के कारण इस समय में शासक को लेकर भाग्यशाली घटना हो सकती है। गोचर के अनुसार 20 से 22 जुलाई 2014 में विशेष दुर्घटना संभव है। सूर्य/शुक्र 9/9/14 से 10/9/15 जन्मकुंडली में सूर्य चतुर्थेश होकर तृतीय भाव में व शुक्र लग्नेश व षष्ठेश होकर तृतीय भाव में ऐसी स्थिति में है कि पड़ोसी राष्ट्रों से समस्या आए व अंतर्राष्ट्रीय दबाव आए, यह संभव है। नवांश में चूंकि शुक्र तृतीयेश व अष्टमेश होकर एकादश भाव में है अतः यह उक्त स्थिति की पुष्टि करते हैं। मेदिनी का एक प्रमुख सिद्धांत है कि जब-जब गोचर में शनि-बृहस्पति आमने-सामने आते हैं तो ऐतिहासिक घटनाएं लाते हैं। इस वर्ष का 2 जी घोटाला, आदर्श घोटाला, सत्यम् घोटाला, अंतर्राष्ट्रीय स्तर की लीबिया समस्या, सउदी अरब की घटनाएं व बिन लादेन की हत्या भी उक्त सिद्धांत का प्रतिपादन ही करती है।