वास्तु में जन्म तिथि का महत्व
वास्तु में जन्म तिथि का महत्व

वास्तु में जन्म तिथि का महत्व  

व्यूस : 5617 | नवेम्बर 2013
पिछले सप्ताह पं0 जी तथास्तु द्वारा आयोजित वैलनेस एक्सपो में आन्टैरियो, कनाडा गए। वहां पर एक बहुत बड़े प्रख्यात व्यापारी के घर जाने का अवसर मिला। उनके विदिषा घर के सामने दक्षिण-पष्चिम में एक बहुत भारी पत्थर का फव्वारा जमीन पर बना हुआ था। दक्षिण-पष्चिम की तरफ से ही प्रवेष द्वार था। घर के पीछे एक नहर बह रही थी जो उत्तर दिषा से उत्तर-पूर्व व पूर्व की तरफ से जाकर वहां के प्रसिद्ध टोरंटो झील में मिल रही थी। ईषान में खुला बगीचा था जहां एक भूमिगत फव्वारा भी था। द्वितीय तल पर दक्षिण क्षेत्रा में उनका मुख्य षयन कक्ष था जहां बेड इस प्रकार रखा था जहां वह दक्षिण-पूर्व में सिर करके सोते थे। घर के अन्दर ही उन्होंने प्रथम तल पर षयनकक्ष के नीचे कार्यालय बना रखा था जिसमें वे उत्तर में बैठकर पूर्वाभिमुखी होकर अपना कारोबार संभालते थे। उनके घर तथा जन्म तिथि (30.04.1946) का अवलोकन करने पर पं0 जी ने उन्हें बताया कि अनजाने में ही वह अपनी षुभ दिषाओं से लाभ उठा रहे थे। उनका कुआ संख्या 9 है जिसके अनुसार पूर्व उनकी सफलता की दिषा है, दक्षिण-पूर्व उनकी स्वास्थ्य की दिषा है, उत्तर उनकी पारिवारिक सुख की दिषा तथा दक्षिण उनकी व्यक्तिगत विकास की दिषा है। उनका रसोईघर उत्तर-पष्चिम में बना था जो कि उनकी मानसिक संताप की दिषा है। वहां अग्नि होने से उनका सारा संताप जल गया। इसी कारण से वह हमेषा प्रसन्न रहते थे। दक्षिण-पष्चिम उनकी हानि का स्थान है जहां भारी वजन होना अच्छा था लेकिन वहां पानी व मुख्य द्वार का होना जीवन में कोई न कोई कमी दे देता है। उन्हें बताया गया कि आपका नौ स्थानों से अधिक पर व्यापार होना चाहिए तथा बिना अधिक प्रयास किये आय के स्रोतों में बढ़ोत्तरी होती रहनी चाहिए। लेकिन घर में बीमारी हो सकती है तथा घर का कोई महत्वपूर्ण सदस्य घर से अधिकतर दूर ही रहता है। व्यापारी ने बताया कि कनाडा व अमेरिका में उनके बत्तीस गोल्फ कोर्स हैं तथा चार सौ भवन हैं। परन्तु उनका एक लड़का अमेरिका में रहता है। न तो वह परिवार के साथ रहना चाहता है न ही वह परिवार के पारंपरिक व्यवसाय में साथ देना चाहता है। किसी काम में उसकी कोई रुचि नहीं है। उसकी जन्म तिथि (19.01.1980) बताने पर पं0 जी ने बताया कि इस बालक के जन्म के बाद (पष्थ्वी तत्व 8,भाग्यांक व कुआ नं0 2) जमीन जायदाद के काम से ही अप्रत्याषित लाभ हुआ है। परन्तु षादी, बच्चे व परिवार के अंक न रहने के कारण ( 6, 7, 3, 4) परिवार से अलग रहने का ही योग दिखता है। षादी में भी विलंब होता है। दक्षिण-पष्चिम का मुख्य द्वार भी उसे घर से दूर रखता है, तथा दक्षिण-पष्चिम का पानी परिवार से अनावष्यक मन मुटाव बनाये रखता है। घर के सामने वाले फाउन्टैन में से पानी निकाल देना चाहिए। वहां फूल व छोटे पौधे लगा सकते हैं। घर में प्रवेष द्वार पर एल्युमिनियम की जगह ब्र्रास की दहलीज बनानी चाहिए। कुछ और सुझाव दिए गए- 30.04.1946 अनुपस्थित अंक 2, 5, 7, 8 - षयनकक्ष/कार्यालय के दक्षिण-पष्चिम में बिना पानी के पहाड़ का चित्रा लगाने को तथा क्रिस्टल के षो पीस रखने को कहा गया। - घर के मध्य में क्रिस्टल बाल/झूमर लगाने को कहा गया। - पृथ्वी तत्व न होने से उन्हें नंगे पांव घास पर चलने की सलाह दी गई। - पष्चिम में 7 राड की सिल्वर विंड चाईम लगाने को कहा गया। 19.01.1980 भाग्यांक व कुआ संख्या 2 अनुपस्थित अंक 3, 4, 6, 7 - षयन कक्ष के पूर्व में लकड़ी की घड़ी लगाने को कहा गया। - दक्षिण-पूर्व में लकड़ी के फ्रेम में हरियाली व पेड़ों की सीनरी लगाने को कहा गया। - जल्द षादी के लिये उत्तर-पष्चिम में 6 राड की गोल्डन विंड चाईम तथा पष्चिम में 7 राड की सिल्वर विंड चाइम लगाने को कहा गया। - पुत्रा के कमरे में दक्षिण-पष्चिम में टुटे हुए षीषे लगे थे जिसे तुरन्त हटाने की सलाह दी तथा दक्षिण में रखे ड्रैसिंग टेबल के षीषे को पूर्व में लगाने को कहा गया। - घर के पूर्व/दक्षिण-पूर्व में लकड़ी की विंड चिम लगाना भी व्यापार में रुचि प्रदान करेगा। चूंकि यह मकान चारों तरफ से खुला है, इस मकान को भी संषोधित करके दक्षिण-पष्चिम का दरवाजा बन्द करके दक्षिण-पूर्व से/पूर्व से प्रवेष द्वार बनाया जा सकता है अथवा खाली प्लाट पर वास्तु सम्मत घर बनाना अति उत्तम रहेगा।



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