स्वप्न या सपने अलग-अलग व्यक्तियों द्वारा भिन्न-भिन्न ढंग से समझे जाते रहे हैं। इस अंक में हम यह जानने की कोेशिश करेंगे कि सपने होते क्या हैं? क्यों आते हैं? इसका हमारे जीवन पर क्या प्रभाव है? सम्मोहन उपचार में सपनों का क्या महत्व है? इत्यादि-इत्यादि। सपना क्या होता है नींद की अवस्था में भ्रमिक अनुभव जो कि व्यक्ति को वास्तविक लगते हैं सपने कहलाते हैं अर्थात् पहला आधार है कि व्यक्ति नींद में होना चाहिए उसकी मस्तिष्क तरंगें डेल्टा होनी चाहिए। दूसरा अवयव है अनुभव अर्थात कुछ करना या होना प्रतीत होता है जैसे व्यक्ति कुछ कर रहा है या कुछ होते हुए घटना का अनुभव करता है और तीसरा अवयव है, कि व्यक्ति को अनुभव वास्तविक लगता है जबकि वह वास्तविक होने का भ्रम मात्र होता है। इस अनुभव में व्यक्ति का मस्तिष्क वास्तविकता की तरह शामिल होता है। सपने केवल व्यक्ति मात्र तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि जीव जंतु भी सपने देखते हैं लेकिन हम अपनी चर्चा केवल व्यक्तियों तक ही सीमित रखेंगे। सपना एक मानसिक अनुभव है जिसमें कभी-कभी शारीरिक क्रियाएं भी शामिल होती हैं। कभी-कभी सपने किसी बीती हुई घटना को दिखाते हैं, तो कभी-कभी आने वाली बातों को भी दिखाते हैं। कभी-कभी कुछ भूली बिसरी यादें सपनों के माध्यम से ताजा हो जाती हैं तो कभी-कभी बहुत महत्वपूर्ण जानकारियां भी सपनों में मिलती हैं। कुल मिलाकर ऐसा लगता है कि सपने व्यर्थ नहीं होते अर्थात् सपनों में बहुत कुछ रहस्य छुपे रहते हैं। क्या सपनों का कोई वैज्ञानिक आधार है या सपनों में मिलने वाले अनुभव हमारे किसी काम के होते हैं इत्यादि अनेक महत्वपूर्ण बातें हैं जो कि मानव जाति हजारों वर्षों से समझने की कोशिश कर रही हैं। काफी कुछ निष्कर्ष भी लोगों ने निकाले हैं। सपनों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि सपने अभी मानव जाति के आकर्षण का केंद्र बने हों ऐसा नहीं है अपितु प्राचीन काल से ही येे जिज्ञासा जगाते रहे हैं। इतिहास या प्राचीन ग्रंथों में भी सपनों से संबंधित विवरण मिलते रहे हैं। बड़ी प्राचीन कथा है कि राजा जनक ने सपने में अपने आपको एक गरीब भिखारी के रूप में देखा जिसका अर्थ उन्होंने राज पुरोहित से समझा। अर्थात् प्राचीन काल में भी लोगों का विश्वास था कि सपनों में दिखाई देने वाली घटनाओं या अनुभवों का हमारे वास्तविक जीवन से संबंध होता है। यह ज्ञान पुरोहितों या ऋषि-मुनियों तक ही सीमित नहीं था बल्कि लोग भी अपने ढंग से इनका अर्थ निकालते रहते थे। ऐसा आज भी होता है और दुनिया के हर कोने में होता है। आधुनिक काल में अनेकों मनोवैज्ञानिकों ने इस क्षेत्र में काम किया है। सिगमण्ड फ्रायड, एक मनोवैज्ञानिक जो कि आॅस्ट्रिया देश के वियना शहर के रहने वाले थे, ने सपनों के सिद्धांत और उनके महत्व पर महत्वपूर्ण कार्य किये। फ्रायड का कहना था कि हमारे मन में कई धरातल होते हैं जिन्हें चेतन मन, अवचेतन मन और अचेतन मन के नाम से जाना जाता है। हमारी अनेकों आकांक्षाएं जो पूरी नहीं हो पाती हैं हमारे अचेतन मन में चली जाती हैं क्योंकि हमारी प्रबल इच्छा उन इच्छाओं को पूरा करने की होती है। अतः हमारा अचेतन मन उन इच्छाओं को पूरा करने का एक रास्ता तलाश करता है और स्वप्न को उन्हांेने उसी रास्ते के रूप में देखा। फ्रायड इच्छाओं को अभाव की इच्छाएं भी कहता था। स्वप्न की क्रिया फ्रायड ने स्वप्न की क्रिया को बड़े आसान तरीके से समझाया। उनका मानना था कि सपने संकेतात्मक भाषा के रूप में आते हैं। अर्थात जिस रूप में दिखाई देते हैं वह सच्चाई न होकर किसी और सच्चाई का संकेत होता है। संकेत वाली बात हम सभी काफी पहले से ही मानते रहे हैं। संकेत बनना इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि असलियत में वह मजबूरी और नाकामी या अधूरेपन को दखा सकता है और उससे नींद में विघ्न पड़ सकता है। इस प्रकार सपने नींद के संरक्षक के रूप में भी काम करते हैं। फ्रायड के एक विद्यार्थी जिनका नाम कार्ल युंग था ने भी सपनों पर काफी कार्य किया। फ्रायड ने अपने ढंग से और युंग ने अपने ढंग से सपनों के चिह्नों के अलग-अलग अर्थ बताए। दोनों ने उन अर्थों का प्रयोग करके इंसानी व्यवहार के लिए प्रभावी ढंग से कार्य किया। सपने में एक कमजोर इंसान अपने से ताकवर की पिटाई कर सकता है, जमीन पर चलने वाला उड़ सकता है और भी अनेकों कार्य ऐसे हैं जो संभव न होते हुए भी सपने में संभव हो जाते हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि सपने दबी हुई इच्छाओं से तो संबंध रखते हैं। लेकिन सभी सपने ऐसे नहीं होते। किसी सपने में भौतिक क्रियाएं ज्यादा होती हैं तो किसी में भावनात्मक क्रियाएं ज्यादा होती हैं। जब हम सपने में भागने या चलने का अनुभव करते हैं तो वास्तव में तो ऐसा नहीं करते हैं। अर्थात् भौतिक क्रियाओं का वास्तविक स्वरूप बंद हो जाता है। लेकिन हमेशा तो ऐसा नहीं होता। कभी-कभी सपनों में रोते या हंसते हैं तो वास्तव में भी वही अनुभव करते हैं। सभी सपनों को एक मापदण्ड से नहीं देखा जा सकता। कुछ सपने बार-बार आते हैं यानी किसी अंतराल के बाद फिर से आते हैं। कई सपने एकदम अनजान जगह से संबंधित आते हैं जिनका हमारी जानकारी से कोई संबंध नहीं होता। डाॅ. प्रीति शर्मा ने 2012 में अपने अनुसंधान में पाया कि कई सपनों का पिछले जन्मों से भी संबंध होता है। इसी प्रकार आगे होने वाले कार्यों या अनुभवों को भी कई बार सपनों में हम सभी कभी न कभी देखते हैं। सपनों के बारे में जितना हम जानते हैं उतना रहस्य और बढ़ता जाता है। लेकिन सपनों की दुनिया है बड़ी विचित्र। सपनों का अर्थ कैसे समझें यह एक बड़ा ही पेचीदा प्रश्न है जिसके बारे में एकदम निश्चित कोई नहीं कह पाया है। हां बहुत कुछ तो पता लग जाता है। जैसे- अस्टावक्र ने राजा जनक को कहा सपने में भिखारी होना उस वक्त की सच्चाई थी अब आप जागृत अवस्था में राजा हो यह इस वक्त की सच्चाई है अथवा भिखारी होना उस वक्त का भ्रम था और राजा होना इस वक्त का भ्रम है। फ्रायड ने सपनों को अपने अतृप्त आनंद को पूरा करने का माध्यम माना जबकि युंग ने आध्यात्मिकता को भी सपनांे से जोड़ा। इस प्रकार हमारे हिंदुस्तानी समाज में अनेकों पुस्तकें स्वप्न विज्ञान का वर्णन करती हैं। एक उदाहरण के रूप में किसी को सपने में एक नाग दिखाई देता है तो इसका अर्थ फ्रायड नाग को पुरुष लिंग से जोड़कर निकालते हैं। युंग इसका अर्थ कठिनाइयों से या दुश्मनों से जोड़कर निकालते हैं और हिंदुस्तानी पृष्ठभूमि इसका अर्थ कुंडली से जोड़कर निकालते हैं। सपना एक है और यहीं पर उसके तीन अर्थ दिखाई दे रहे हैं। ये तीनों अर्थ तीन अलग-अलग व्यक्तियों के लिए सही हो सकते हैं। अर्थात् सपनों का अर्थ निकालने में बहुत जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। अर्थ समय, हालात, व्यक्ति और सामाजिक पृष्ठभूमि में बदल सकता है। थोड़ा समझने की आवश्यकता है। हम सभी अपना अलग-अलग अचेतन या अवचेतन मन रखते हैं। अवचेतन मन हमारे अनुभवों, जानकारियों सफलताओं और असफलताओं का एक स्टोर है। सभी के अवचेतन मन में स्वयं पर विशेष के अनुभव व इच्छाएं रहती हैं तो सभी व्यक्तियों के सपनों का एक ही अर्थ कैसे निकाला जा सकता है? अब सवाल पैदा हेाता है कि सपनों के अर्थ को कैसे समझें और कौन समझाये? सपनों का अर्थ निकालने से पहले कई बातें ध्यान में रखना जरूरी है जैसे कि क्या सपना भौतिक क्रियाओं पर आधारित था या भावनाओं पर आधारित था? क्या यह सपना किसी समय की घटना से संबंधित है? क्या सपना पिछले दिन की किसी घटना को दिखाता है? सपना नींद की किस अवस्था में आता है अर्थात् क्या सोने के तुरंत बाद आया है, नींद के मध्य में आया है या उठने से कुछ समय पहले आया है क्योंकि अलग-अलग अवस्थाओं में आये सपनों का अर्थ अलग-अलग हो सकता है। किसी एक दिन के एक सपने को लेकर उसका अर्थ निकालना ही खतरे से खाली नहीं। हर रोज सुबह उठते ही अपने सपने को नोट कर लेना चाहिए और ऊपर कही गई सारी बातें भी ध्यान रखनी चाहिए। इसके लिए हमें एक स्वप्न डायरी बनानी चाहिए जिसमें हर रोज सपनों को नोट करना चाहिए। अलग बहुत ही कठिन सवाल यह है कि क्या सपने हमें याद रहते हैं। किसी को भी सारे सपने कभी भी याद नहीं रहते और याद रखने की आवश्यकता भी नहीं है। हमें सपनों का अर्थ स्वयं निकालना चाहिए लेकिन किसी मनोवैज्ञानिक के सहयोग से। मनोवैज्ञानिक या हिप्नोथेरेपिस्ट पूरा मार्गदर्शन करेगा कि आपको क्या-क्या रिकार्ड करना है तथा आपको सपने याद कैसे रहेंगे इत्यादि।