हाथ मस्तिष्क का दर्पण है पूनम आज ‘साइंस’ और टैक्नोलाॅजी ने हमारे जीवन को परिवर्तित कर दिया है लेकिन प्रगति जन्य तनाव ने भावनात्मक स्तर पर मनुष्य को खोखला कर दिया है। विशेष रूप से युवा शक्ति को हार्टअटैक और डायबिटीज़ जैसे और रोगों ने जकड़ लिया है। मेडिकल साइंस का रोल भी आज उस समय प्रारंभ होता है जब रोग जड़ पकड़ लेता है और बहुत नुकसान हो चुका होता है। ऐसे में ‘इन्वेस्टिगेटिव पामिस्ट्री’ हमारी मदद कर सकती है। हाथ की रेखाएं व्यक्ति के ‘नर्वस सिस्टम’ के संचालन को, शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्तर को बखूबी दर्शाती हैं, जिससे हम किसी भी व्यक्ति के इन तीनांे पहलुओं को आंक सकते हैं। जीवन रेखा जहां एक ओर ‘‘मस्क्यूलर वाइटैलिटी’’ अर्थात ‘शारीरिक स्वस्थता’ बताती है, वहीं पारिवारिक और सामाजिक दबाबों से शारीरिक शक्ति किस तरह से प्रभावित होती है, इसका पता भी देती है। क्या व्यक्ति विशेष में इतनी जीवनशक्ति है कि वह प्रजनन करके इसे आगे बढ़ाये अथवा ‘अप्रजनन योग्य संबंधों’ में घिर जाये, जिसका सीधा इशारा समलैंगिक संबंधों की ओर ले जाता है। व्यक्ति की जीवनशक्ति का आधार बिंदु है माता-पिता और इन्हीं दोनों से वह जीवनशक्ति विरासत में प्राप्त करता है। आगे चलकर व्यक्ति विशेष जीवन साथी के साथ मिलकर भावी संतान की जीवनोत्पŸिा के प्रयोजन में कितना सक्रिय और सफल होता है? ‘अपोज़िट सेक्स’ से किस तरह के, कितने संबंध बनाता है, इन सबका ब्यौरा मिलता है जीवन रेखा से! इसी प्रकार मस्तिष्क रेखा जहां व्यक्ति विशेष की मानसिक शक्तियों की द्योतक है वहीं दूसरी ओर उसकी विवेक शक्ति, एकाग्रता, कल्पनाशीलता, व्यवहारिकता का आभास देती है। व्यक्ति का स्वयं पर अर्थात अपनी भावनाओं, इच्छाओं, इंद्रियों, लालच और क्रोध पर नियंत्रण है या वह बेकाबू हो जाता है उसका मन स्थिर है या थोड़े से लाभ से विचलित हो जाता है अपनी बुद्धि के द्वारा लिए गये फैसलों को कार्यान्वित कर सकता है या केवल मनसूबे बनाकर रह जाता है, जीवन में धन कमाने के लिए वह कल्पना का सहारा लेता है या कर्मण्ता के बल पर धन प्राप्त करता है, उसके ‘स्नायु अर्थात नव्र्स में इन सब बाहरी दबावों से कोई दुर्बलता आती है या नहीं, इन सबके बारे में हम मस्तिष्क रेखा द्वारा जान सकते हैं। जहां तक बात है हृदय रेखा की। जैसा कि आप भली भांति जानते हैं कि कभी-कभी दुर्घटना के फलस्वरूप या पक्षाघात की वजह से ‘बे्रनडेड!’ हो जाता है ऐसे में हृदय निरंतर धड़कता रहता है। इसी प्रकार माँ के गर्भ में भ्रूण अभी विकास की पहली सीढ़ी भी पार नहीं कतर, मस्तिष्क और तांत्रिका तंत्र का विकास आगे चलकर होगा परंतु हृदय में स्पंदन निर्बाध गति से प्रारंभ हो जाता है। कहने का तात्पर्य है कि इस स्पंदन और इसकी गति को नियंत्रित करने की ‘नव्र्स’ मस्तिष्क के नियंत्रण से हटकर स्वतंत्र रूप में कार्य करती है हृदय रेखा इन्हीं तंत्रिकाओं का पता देती है। ये उन भावनाओं का पता देती है जिस पर बुद्धि या मस्तिष्क का कोई नियंत्रण नहीं है। वह सब मामले जो हमारे हृदय को सकून देते हैं या उसकी धड़कन की गति को बढ़ाते हैं, उन सबका परिचय हमें हृदय रेखा से मिलता है। इसीलिए यह रेखा प्रेम संबंधों को दर्शाती है। प्रेम से जुड़ी उम्मीदों को, मित्रता, दयालुता, वफादारी, कवित्व, रोमांस जैसे कोमल भावनाओं को उजागर करती है। पे्रम में वह कितना स्थिर रह सकता है या दिलफेंक आशिक है, मुसीबत में भाग खड़ा हो जाने वाला मतलबी दोस्त है या सुख दुःख में साथ निभाने वाला है। उसके प्रेम की नींव वासनाओं से जुड़ी है या प्रेम की उच्चतम् भावनाओं से शारीरिक स्तर पर हृदय कितना पुष्ट और स्वस्थ है वियोग और तनाव की स्थिति में किस तरह से अपनी भावनाओं का निर्वाह करता है कब और किस अवस्था में उसकी शक्तियों में गिरावट आयेगी और हृदयघात की संभावनाओं को जन्म देगी, इन सबका पता देती है! हृदय रेखा।