बुध रत्न पन्ना-प्रकृति व ज्योतिषीय स्वरूप डाॅ. टीपू सुल्तान ‘‘फैज पन्ना अपनी हरितिमा से आंखों को सुख देता ही है लेकिन इस रत्न का प्राकृतिक वैज्ञानिक तथा चिकित्सीय सकारात्मक स्वरूप क्या है, यह अत्यंत महत्वपूर्ण पक्ष है। और पाठक अपने लग्न के आधार यह निर्णय कर सकते हैं कि यह रत्न और उपरत्न उनके लिए लाभप्रद होगा कि नहीं। हरे रंग की प्राकृतिक आभा से युक्त पत्थर पन्ना संस्कृत में हरित्मणि, मरकत, पाचि, गरुत्मत, सोपर्णि आदि नामों से भी संबोधित किया जाता है। अतः अपनी गुण-विशेषी विशिष्टताओं व सुंदर स्वरूपों के फलस्वरूप सदियों से आकर्षण का केंद्र रहे तथा साज-सज्जा, श्रृंगारिक, औषधीय व ज्योतिषीय कार्यों के हेतु उल्लेखनीय पन्ने की गणना संसार के नौ रत्नों में एक बहुमूल्य रत्न के रूप में की जाती है। पन्ना के उद्गम क्षेत्र: पन्ना उत्पादक के रूप में रूस, मिस्र, ईरान, ब्राजील, दक्षिणी अफ्रीका, आस्ट्रेलिया, इटली आदि देशों का नाम प्रमुखता से लिया जाता है, परंतु श्रेष्ठता के दृष्टिकोण से कोलम्बिया देश से प्राप्त होने वाले पन्ने उच्च श्रेणी के माने जाते हैं। भारत में मध्य प्रदेश के पठारी तथा अजमेर व उदयपुर के रेगिस्तानी क्षेत्रों की गणना पन्ना प्राप्ति के मुख्य स्थलों के रूप में की जाती है। पन्ने के प्राकृतिक गुण: साधारण तौर पर पन्ना ग्रेनाइट चट्टानों के आंतरिक घटकों से रूपांतरित होने वाला या इन चट्टानों की परतदार ढेरों से उत्पन्न हुआ एक पत्थर है, जो प्राकृतिक तौर पर दूब की हरी घास के समान, तोते व मयूर पंखों के समान विविध हरे रंगों में, प्रकाश के समान दीप्त, सुंदर तेजस्वी चमक तथा जल की भांति स्वच्छ पारदर्शिता से युक्त होता है। इसके कोण उŸाम कोटि के तथा संपूर्ण काया अन्य पत्थरों की अपेक्षा अधिक कोमल होती है, जो स्पर्श करने पर अत्यंत चिकना महसूस होता है। वैज्ञानिक स्वरूप: वैज्ञानिक दृष्टि से पन्ना क्रोमियम आक्साइड, सिलिका, आयरन आक्साइड, ग्लूसिना, एल्युमिना, चूना आदि जैसे रासायनिक संगठनों का एक ठोस स्वरूप है जिसमें इन तत्वों के अतिरिक्त सोडियम पोटेशियम, लीथियम व कैल्शियम जैसे क्षारीय पदार्थों की कुछ मात्राएं भी पाई जाती है। प्रसिद्ध शोधकर्ता वोहलर ने अपने अनुसंधान में इन यौगिकों में क्रोमियम आक्साइड की उपलब्धता को सबसे महत्वपूर्ण माना है। इसी की वजह से पन्ना पूर्ण रूप से हरा दिखाई देता है। प्रख्यात वैज्ञानिक ग्रेवाइल ने अपनी नवीनतम शोधों के पश्चात् यह निष्कर्ष निकाला है कि यदि पन्ने को गरम किया जाए तो उसके अंदर उपस्थित जल की मात्राएं नष्ट हो जाती हैं परंतु पन्ने का हरित गुण नष्ट नहीं होता। भौतिक तौर पर पन्ने की कठोरता 7.75, आपेक्षिक घनत्व 2.69 से 2.80, वर्तनांक 1.57 से 1.58 तथा दुरावर्तन अपकिरणन, 0.14 के लगभग तक आंकी जाती है। मिथुन लग्न में बुध लग्न अर्थात् शरीर व चतुर्थ अर्थात मातृ, वाहन सुख व हृदय से संबंधित विषयों के हेतु मुख्य रूप से विचारणीय माना गया है। इसलिए इस लग्न के जातकों हेतु पन्ना पूरे काल के लिए शुभ व फलदायक रत्न समझा जाता है। 0.14 के लगभग तक आंकी जाती है। असली पन्ने की परख: वैज्ञानिक शोधों व अनुसंधानों के द्वारा पन्ने के भौतिक व रासायनिक गुणों को परखकर उसकी सत्यता का पता लगा पाना अत्यंत सरल है। इसके अतिरिक्त इस कार्य में चेचस फिल्टर नामक आई ग्लास जैसे उपकरण भी असली पन्ने की अपरिवर्तित किरणों की परख करने में पूर्ण सहायक माने गये हैं। परंतु यह सुविधा या ज्ञान आम न होने के कारण हर किसी को इसका लाभ नहीं मिल पाता। इस परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखते हुए असली पन्ने की परख हेतु कुछ परंपरागत सरल विधियां व प्रयोग इस प्रकार हैं- पन्ने के ऊपर टार्च को फोकस करने से उसके अंदर से हल्की लाल या गुलाबी-सी किरणें परावर्तित होती हैं। परंतु कृत्रिम या नकली पन्ने की किरणों का रंग परिवर्तित नहीं होता बल्कि वह हरा ही रहता है। कृत्रि पन्ने को हल्दी के साथ रखकर पत्थर पर घिसा जाय तो हल्दी का रंग लाल हो जाता है। असली पन्ने की सतह पर पानी की बूंद नहीं फैलती जबकि कृत्रिम या नकली पन्ने के ऊपर पानी की बूंद फैल जाती है। असली पन्ने को पानी के गिलास में डालकर प्रकाश के समक्ष रखा जाय तो पानी के अंदर से हरी किरणें सी निकलती दिखाई देती हैं। प्राकृतिक पन्ना औसत वजन से हल्का प्रतीत होता है। ज्योतिषीय प्रकाश में पन्ना: बुध ग्रह के कारण उत्पन्न दोषों व उससे संबंधित किसी भी प्रकार के अनिष्ट को दूर करने के लिए ज्योतिष शास्त्र में बुध रत्न पन्ना को मुख्य रूप से विचारणीय माना गया है। वस्तुतः इस शास्त्र में रत्न को बुध-दोष शोधक, विषनाशक, रुचि कारक, ऊर्जा व बुद्धि वर्द्ध्रक के रूप में भी जाना जाता है। शिक्षण, चिकित्सा, लेखन कला, कानून, वाणिज्य, बैंकिंग, गणित, सेल्स, मार्केटिंग, इनकमटैक्स, पदाधिकार आदि से संबंधित कार्यों से अपनी आजीविका चलाने वालों तथा विद्यार्थियों की बुद्धि की तीक्ष्ण् ाता, ज्ञान व शैक्षणिक सफलताओं व विकास की निरंतरता में इस रत्न की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका मानी गई है। अन्न-धन आदि की वृद्धि में यह रत्न मुख्य रूप से सहायक होता है। इसे धारण करने से सर्प, भूत-प्रेत आदि के भय से मुक्ति मिलती है तथा जादू-टोना आदि जैसे किसी भी नकारात्मक तत्व का शरीर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। बुध-दोष के कारण उत्पन्न शीत पित्त अम्ल, हृदय, स्नायु से संबंधित व नपुंसकता जैसे रोगों पर भी इस रत्न के काफी लाभप्रद प्रभाव देखे गये हैं। अतः इस पन्ना रत्न की राशिगत व लग्न से संबंधित भूमिकाओं हेतु दिशा-निर्देश, सावधानी व विधियों के बारे में कुछ ज्योतिषीय परामर्श इस प्रकार हैं- पन्ने की राशिगत पृष्ठभूमि: बुध का प्रधान रत्न होने के कारण पन्ना मिथुन व कन्या राशियों हेतु अत्यंत शुभ फलदायक रत्न माना जाता है। इसके अतिरिक्त बुध के साथ मित्रभावी संबंध रखने वाले सूर्य की राशि सिंह, शुक्र की वृष व तुला तथा शनि ग्रह की मकर व कुंभ राशियों के लिए भी पन्ना अत्यंत शुभ व सकारात्मक प्रभाव वाला रत्न समझा जाता है। परंतु बुध के साथ व शुभफलदायक संबंध न होने के कारण चंद्र की राशि कर्क, मंगल की मेष व वृश्चिक तथा गुरु ग्रह की धनु व मीन राशियों के जातक को पन्ना धारण करते समय विशेष सावधानी बरतते हुए, ज्योतिषीय परामर्श अवश्य ही ले लेना चाहिए। लग्न से संबंधित विचार: मेष लग्न: इस लग्न में बुध ग्रह तृतीय व षष्ठ भाव के स्वामित्व तथा लग्नेश मंगल के साथ योग कारक संबंध न होने के कारण इस लग्न के जातकों को पन्ना धारण करते समय ज्योतिषीय परामर्श अवश्य ही ले लेना चाहिए। वृष लग्न: बुध द्वारा धन व पंचम त्रिकोण अर्थात बुद्धि, विद्या व संतान भाव के स्वामित्व तथा लग्नेश शुक्र के साथ इस ग्रह के मित्रभावी संबंध होने के कारण इस लग्न हेतु पन्ने को अत्यंत शुभ व योगकारक रत्न माना गया है। मिथुन लग्न: मिथुन लग्न में बुध लग्न अर्थात शरीर व चतुर्थ अर्थात मातृ, वाहन सुख व हृदय से संबंधित विषयों के हेतु मुख्य रूप से विचारणीय माना गया है। इसलिए इस लग्न के जातकों हेतु पन्ना पूरे काल के लिए शुभ व फलदायक रत्न समझा जाता है। कर्क लग्न: बुध द्वारा तृतीय व द्वादश भाव के स्वामित्व तथा लग्नेश चंद्र ग्रह के साथ इसके पूर्ण कारक संबंध न होने के कारण इस लग्न के जातक को पन्ना रत्न धारण करते समय ज्योतिषीय परामर्श अवश्य ले लेनी चाहिए। सिंह लग्न: सिंह लग्न में बुध ग्रह के द्वितीय (धन), एकादश अर्थात लाभ भाव के स्वामित्व होने व लग्नेश सूर्य के साथ इसके शुभ फलदायक संबंध होने के फलस्वरूप इस लग्न हेतु पन्ना अत्यंत सिद्धिदायक व योगकारक रत्न माना जाता है। कन्या लग्न: कन्या लग्न में बुध लग्न व दशम स्थान का स्वामी होकर शरीर, प्रतिष्ठा, कर्म, रोजगार व पिता-सुख का कारक ग्रह है। इसलिए इस लग्न के जातकों को पन्ना रत्न धारण करना अत्यंत शुभ फलदायक होगा। तुला लग्न: इस लग्न में द्वादश स्थान के अतिरिक्त बुध ग्रह नवम अर्थात भाग्य भाव का स्वामी होकर लग्नेश शुक्र का परम मित्र भी है। इसलिए तुला लग्न के जातकों को पन्ना रत्न अवश्य ही धारण करना चाहिए। वृश्चिक लग्न: इस लग्न में बुध ग्रह द्वारा एकादश अर्थात लाभ भाव के स्वामित्व को एक कारक अवस्था माना गया है। परंतु दूसरी तरफ इस ग्रह के लग्नेश मंगल के साथ अकारक संबंध अष्टम अर्थात मारक भाव के प्रतिनिधित्व के कारण इस लग्न के जातकों को पन्ना धारण करते समय ज्योतिषीय परामर्श लेना अत्यंत हितकर होगा। धनु लग्न: इस लग्न में बुध ग्रह के सप्तम व दशम भाव के स्वामित्व होने के परिणामस्वरूप केंद्राधिपतिदोष जैसी अवस्थाएं उत्पन्न होती हैं। इसलिए इस लग्न के जातक को पन्ना धारण करते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। मकर लग्न: इस लग्न में बुध ग्रह द्वारा षष्ठ भाव के प्रतिनिधित्व की अवस्था को शुभ फलदायक नहीं माना जाता, परंतु दूसरी तरफ इस ग्रह के नवम अर्थात भाग्य भाव के स्वामित्व व शनि ग्रह के साथ परस्पर मित्रता पूर्ण संबंध के कारण पन्ना काफी प्रभावकारी व शुभफलदायक रत्न माना जाता है। कुंभ लग्न: इस लग्न में बुध ग्रह द्वारा अष्टम अर्थात मारक स्थान के प्रतिनिधित्व को एक शुभफलदायक अवस्था नहीं माना जाता, परंतु दूसरी तरफ इस ग्रह के पंचम त्रिकोण के स्वामित्व व लग्नेश शनि के साथ मित्रभावी संबंध के कारण इस लग्न हेतु पन्ना अत्यंत ही योगकारक रत्न माना जाता है। मीन लग्न: इस लग्न में बुध ग्रह के सप्तम व चतुर्थ स्थान के स्वामित्व को केंद्राधिपतिदोष का कारक माना गया है। इसलिए पन्ना धारण करते समय इस लग्न के जातक विशेष सावधानी बरतें। पन्ने के उपरत्न: अधिक बहुमूल्य होने के कारण सभी व्यक्तियों के लिए पन्ने को धारण कर पाना संभव नहीं हो पाता। अतः इस बात को ध्यान में रखते हुए रत्न विशेषज्ञों व वैज्ञानिकों ने अथक-शोध के पश्चात् पन्ने के कुछ निम्न उपरत्नों की खोज की है- एक्वामेरिन: इसे बेरुज नाम से भी जाना जाता है। यह पारदर्शक व हरे रंग का पत्थ्र है, जो हल्के नील व सफेद रंगों में भी पाया जाता है। मरगज: चीनी भाषा में इस पत्थर को यू नाम से भी जाना जाता है। पारदर्शक, हल्की सी हरी झांई से युक्त इस पत्थर को सर्वाधिक रूप से बर्मा देश में पाया जाता है। पीतपनी: यह चिकने हल्के हरे रंग का पत्थर है, जिसमें हल्के पीले व लाल रंग की छीटें भी पाई जाती हैं। संगपन्ना: यह हरे रंग का कोमल, रूखा व वजन में हल्का पत्थर है, जिसके किनारे अधिक गहरे रंग के प्रतीत होते हैं। औनेक्स: यह सुंदर हरे रंग का पारदर्शीपत्थर है, जो सस्ता होने के कारण काफी लोकप्रिय है। पन्ना धारण करते समय कुछ आवश्यक निर्देश: पन्ने को धारण करते समय अनुकूल वार, नक्षत्र, समय, काल आदि जैसे शुभ मुहूर्तों का अवश्य ही चयन करना चाहिए तथा इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि धारण करने वाले रत्न में जाल, गुच्छे, मधु के समान पीलापन, उदासीनता, खुरदरापन, दरार या टूटी हुई धारियां, काले व लाल रंग के धब्बे आदि जैसे दोष न हांे अन्यथा लाभ की अपेक्षा हानि की संभावनाएं अधिक बढ़ जाती है। रत्न धारण करने की विधि: आश्लेषा, रेवती व ज्येष्ठा नक्षत्रों वाले किसी बुधवार को अथवा बुध की होरा में कांसा या स्वर्ण धातु में निर्मित अंगूठी में पांच रŸाी से अधिक वजन के पन्ना रत्न को जड़वाकार, प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में अपने दाहिने हाथ की कनिष्ठा अंगुली में धारण करें तथा तत्पश्चात बुध ग्रह से संबंधित वस्तु का दान करें।