यंत्र राज श्री यंत्र पं. विजय कुमार शर्मा भारत एकमात्र ऐसा देश है, जहां मानव मन के सभी पक्षों पर गहरा अध्ययन और शोध किया गया है। विशेष रूप से अचेतन मन की चेतन शक्ति को सबसे पहले भारत में ही पहचाना गया। इस क्रम में भिन्न-भिन्न कार्यों की सिद्धि के लिए विभिन्न यंत्रों की साधना की सशक्त विधियां आविष्कृत की गई हैं। आज वैज्ञानिक, समाजशास्त्री, मनोवैज्ञानिक सभी अचेतन मन की छिपी गूढ़ शक्तियों का महत्व खुले दिल से स्वीकार करते हैं। शास्त्रों के अनुसार मंत्र शक्ति ध्वनि विज्ञान पर और तंत्र आधारित क्रिया कलापों या कर्म पर है। यंत्रों का आधार आकृति विज्ञान है। हमारी आंखें जो कुछ भी देखती हैं, उसका सीधा प्रभाव हमारे तन, मन और वातावरण पर पड़ता है। भारत में अनेक प्रकार के यंत्र प्रचलित हैं। इनमें श्री यंत्र सर्वोपरि एवं सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। इस यंत्र के विषय में पश्चिम के सुप्रसिद्ध रेखागणितज्ञ सर एलेक्सी कुलचेव ने अद्भुत एवं रोचक तथ्य प्रस्तुत किए हैं जो इसकी महत्ता को और अधिक पुष्ट और प्रमाणित करते हैं। इस यंत्र की संरचना बड़ी ही विचित्र है। इसे अपलक देखते रहने से यह चलता हुआ सा प्रतीत होता है। इसमें चित्रित विभिन्न आकृतियां भी चलती हुई प्रतीत होती हैं। श्री यंत्र के लाभ: श्री यंत्र को धनदाता और सर्वसिद्धिदाता कहा गया है। श्री यंत्र की रचना तांबे, चांदी या सोने के पत्र पर या स्फटिक पर की जा सकती है। शास्त्रों के अनुसार स्फटिक या स्वर्णपत्र पर शुभ मुहूर्त में अंकित श्री यंत्र सर्वोत्कृष्ट होता है। यह एक अत्यंत चमत्कारी यंत्र है। किंतु इसके चमत्कारी फलों का लाभ लेने के लिए जरूरी है कि इसकी रचना शुभ समय पर हो, इसमें रेखांकन शुद्ध हो और इसकी साधना विधि विधान के साथ निष्ठापूर्वक की जाए। श्री यंत्र की प्राण प्रतिष्ठा करके उसकी पूजा प्रतिदिन करनी चाहिए। इससे घर में सुख, शांति बनी रहती है, दरिद्रता दूर रहती है और दुखों, कष्टों का अंत हो जाता है। श्री यंत्र की पूजा करते समय निम्नलिखित मंत्र का जप करना चाहिए। ¬ श्री ह्रीं श्री कमले कमलालये प्रसीद। प्रसीद श्रीं ह्रीं श्री ¬ महालक्ष्म्यै नमः । इस मंत्र का केवल 5 माला जप करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। लक्ष्मी प्राप्ति का दूसरा मंत्र निम्न प्रकार है। आज के इस युग में जिसके पास पैसा होता है। उसके सभी दोस्त और नाते रिश्तेदार होते हैं। बिना पैसे आदमी की कहीं भी कद्र नहीं होती है। क्योंकि ‘‘बन जाते हैं रिश्तेदार, सारे जब पैसा पास होता है। टूट जाता है गरीबों में हर रिश्ता, जो खास होता है।’’ इसलिए लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए व अपनी हर जरूरत को पूरा करने के लिए रुपया अति आवश्यक है। लक्ष्मी कभी भी एक स्थान पर नहीं टिकती यह आज किसी को लखपति बनाने में सक्षम है तो दूसरी ओर उसको खाकपति भी बना सकती है। ¬ ह्रीं श्रीं अष्टाकर्णी नमोअस्तुते ¬ ¬ ¬ स्वाहा। या ¬ लक्ष्मी वं, श्री कमला धारं स्वाहा। यह घंटाकर्ण लक्ष्मी प्राप्ति मंत्र है। इस मंत्र का नियमित रूप से 11 माला जप करने से लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसमें श्री यंत्र की पूजा लाल फूल, लड्डू, नारियल आदि से करनी चाहिए। व्यवसायियों, दुकानदारों आदि को श्री यंत्र की विधिवत प्राण प्रतिष्ठा कर उसे अपनी दुकान में विधिपूर्वक स्थापित करना चाहिए, व्यापार में उन्नति होगी। कई व्यवसायियों को दिन-रात मेहनत करते रहने पर भी कई बार घाटा हो जाता है। ऐसे में उन्हें श्री यंत्र की स्थापना पूर्व अथवा उत्तर दिशा में करनी चाहिए, लाभ होगा। विधिवत प्राण प्रतिष्ठा कर स्थापित किए गए श्री यंत्र के मात्र दर्शन कर लेने से ही सभी कष्ट क्लेश दूर हो जाते हैं। किसी भी काम पर जाते समय, कोई नया व्यापार आरंभ करते समय, या किसी भी पार्टी या पार्टनर से साझेदारी हेतु लेन-देन करते समय श्री यंत्र को प्रणाम करना चाहिए। जो मनुष्य लक्ष्मी की कामना करता हो या घर में संपन्नता देखना चाहता हो अथवा दरिद्रता आदि को खत्म करना चाहता हो उसे दैनिक क्रिया-कलापांे से निवृत्त होकर पवित्र मन से श्रीयंत्र के सम्मुख अग्नि में गाय के दूध का हवन और लक्ष्मी के मंत्र का जप करना चाहिए। अगर वह प्रतिदिन रोज एक माला का हवन करे तो उसे लक्ष्मी की प्राप्ति होगी। लक्ष्मी जी धन, ऋद्धि-सिद्धि तथा ऐश्वर्यदायिनी हैं। उनकी कृपा की प्राप्ति के लिए श्री यंत्र की विधिवत प्राण प्रतिष्ठा कर उसकी नियमित पूजा अर्चना करनी चाहिए। स शुक्ल पक्ष के किसी भी दिन शुभ मुहूर्त में श्री यंत्र के सम्मुख बैठकर कमलगट्टे की माला से ¬ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्री ह्रीं श्रीं ¬ महालक्ष्म्यै नमः का एक माला जप कर गोघृत घी की 51 आहुतियां हवन में डालनी चाहिए। इससे घर में धन का आगमन बना रहता है। परिवार पर अगर किसी तांत्रिक द्वारा कोई प्रयोग किया गया हो या कोई वास्तु दोष अथवा पितृ दोष हो, तो श्री यंत्र की विधिवत प्राण प्रतिष्ठा करने से दूर हो जाता है। श्री यंत्र की पूजा नियमित रूप से करनी चाहिए और पूजा करते समय यंत्र के ऊपर इत्र आदि का छिड़काव करना चाहिए तथा धूप, दीप, नैवद्य अर्पित करने चाहिए। इत्र की शीशी से थोड़ा इत्र अपने कपड़ों पर लगाकर कहीं बाहर जाना चाहिए। इससे रोजगार में वृद्धि होती है। श्री यंत्र को सिद्ध करने की विधि: श्री यंत्र एक अत्यंत चमत्कारी यंत्र है। यंत्र का शोधन इतना सरल नहीं है। यंत्र अनगिनत हैं, लेकिन यंत्रराज केवल श्री यंत्र है। श्री यंत्र केवल धन प्राप्ति में ही नहीं बल्कि अनेक रोगों के शमन में भी सहायक होता है। श्री यंत्र बनवाने के लिए सर्वप्रथम ‘श्री’ यंत्र के लिए 2 ग् 2 का समतल पटरा अगर चांदी या सोने का है तो सुनार से बनवा लें और अगर तांबे का है तो किसी टनेर से कटवा लें। अब इस प्लेट को तांबे या चांदी अथवा सोने की हो इस प्लेट पर ‘श्री यंत्र की दी आकृति के अनुसार उत्कीर्ण करके ‘श्री’ यंत्र तैयार होने पर स्वयं या फिर किसी सुयोग्य ब्राह्मण से इसका शोधन करवा लेना अथवा कर लेना चाहिए। शोधन के बाद क्रम से संकल्प, ऋष्यादिन्यास, करन्यास, हृदयादिन्यास, पदन्यास, ध्यान और हवन करना चाहिए। बीज मंत्र: ¬ श्री ह्री श्री कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्री ह्रीं श्री ¬ महालक्ष्म्यै नमः । संपुट: ¬ दुर्गेस्मृता हरिस भीतिमशेष जन्तोः। स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।। दारिद्र्य दुःख भय हारिणी कात्वदन्या। सर्वोपकार करणाय सदार्द्र चिता।। इस बीज मंत्र का 21000 से लेकर सवा लाख बार जप किया जा सकता है। जप के पश्चात दशांश हवन, दशांश तर्पण और दशांश मार्जन अवश्य करना चाहिए। श्री यंत्र का इस तरह विधि विधान से शोधन कर उसके मंत्र का जप, तप, हवन, तर्पण, मार्जन आदि करने से यह सिद्ध हो जाता है और जातक को किसी चीज का कोई अभाव नहीं रहता। उस पर महालक्ष्मी की छत्रछाया सदैव बनी रहती है और वह सभी प्रकार के दुख, शोक, कलह, क्लेश, पितृ दोष, नागदोष, वास्तु दोष आदि से मुक्त हो जाता है। श्री यंत्र की रचना भोजपत्र पर भी की जा सकती है। प्राचीन राजाओं, महाराजाओं के घर में ऋषि-मुनि भोजपत्र पर ही यंत्र बनाते थे और वह अत्यधिक प्रभावशाली हुआ करते थे। भोजपत्र पर बने श्री यंत्र को लक्ष्मी प्राप्ति के लिए रामबाण माना गया है। श्री यंत्र महालक्ष्मी का सर्वप्रिय यंत्र है। धन की वृद्धि में यह महीनों का काम घंटों में कर देता है। यह यंत्र रंक को राजा बना सकता है। श्री यंत्र वाहन, दुकान, मकान, व्यावसायिक स्थल या घर में स्थापित किया जा सकता है। यह जातक के पूर्व जन्म के पापों को भी नष्ट कर देता है।