घर की विभिन्न दिशाओं में मंदिर के प्रभाव कुलदीप सलूजा विमारे धर्मग्रंथों के अनुसार ईश्वर कण-कण में विद्यमान हैं। उनकी दृष्टि और कृपा दसों दिशाओं में रहती है। पिछले कुछ वर्षों से वास्तुशास्त्र के प्रति लोगों का आकर्षण बहुत बढ़ा है। आजकल लगभग सभी अखबारों व पत्रिकाआंे में वास्तुशास्त्र पर लेख छपते रहते हैं। वास्तुशास्त्र पर कई किताबें भी बाजार में उपलब्ध हैं। लगभग सभी में यह छपा होता है कि पूजा का स्थान भवन के ईशान कोण में होना चाहिए। यदि किसी घर में पूजा का स्थान ईशान कोण में न हो और परिवार में रहने वालों के साथ कोई परेशानी हो तो उनके मस्तिष्क में एक ही बात उठती है कि परिवार की समस्या का कारण पूजा के स्थान का गलत जगह पर होना है। ज्यादातर वास्तुशास्त्री पूजा घर को भवन के उŸार व पूर्व दिशाओं के मध्य भाग ईशान कोण में स्थानान्तरित करने की सलाह देते हंै और जरूरत पड़ने पर बहुत तोड़-फोड़ भी कराते हैं। यह सही है कि ईशान कोण में पूजा का स्थान होना अत्यंत शुभ होता है क्योंकि ईशान कोण का स्वामी ग्रह गुरु है। यहां घर की किस दिशा में पूजा के स्थान का क्या प्रभाव पड़ता है इसका विवरण यहा प्रस्तुत है। ईशान कोण: ईशान कोण में पूजा का स्थान होने से परिवार के सदस्य सात्विक विचारों के होते हैं। उनका स्वास्थ्य अच्छा रहता है और उनकी आयु बढ़ती है। पूर्व दिशा: इस दिशा में पूजा का स्थान होने पर घर का मुखिया सात्विक विचारों वाला होता है और समाज में इज्जत और प्रसिद्धि पाता है। आग्नेय: इस कोण में पूजा का स्थान होने पर घर के मुखिया को खून की खराबी की शिकायत होती है। वह बहुत ही गुस्से वाला होता है किंतु उसमंे निर्भीकता होती है। वह हर कार्य का निर्णय स्वयं लेता है। दक्षिण दिशा: इस दिशा में पूजाघर होने पर उसमें सोने वाला पुरुष जिद्दी, गुस्से वाला और भावना प्रधान होता है। र्नैत्य कोण: जिन घरों में र्नैत्य कोण में पूजा का स्थान होता है उनमें रहने वालों को पेट संबंधी कष्ट रहते हैं। साथ ही वे अत्यधिक लालची स्वभाव के होते हैं। पश्चिम दिशा: इस दिशा में पूजाघर होने पर घर का मुखिया धर्म के उपदेश तो देता है परंतु धर्म की अवमानना भी करता है। वह बहुत लालची होता है और गैस से पीड़ित रहता है। वायव्य कोण: इस कोण में पूजाघर हो तो घर का मुखिया यात्रा का शौकीन होता है। उसका मन अशांत रहता है और किसी पर स्त्री के साथ संबंधों के कारण बदनामी भी होती है। उŸार दिशा: इस दिशा में पूजाघर हो तो घर के मुखिया के सबसे छोटा भाई, बहन, बेटा या बेटी कई विषयों की विद्वान होती है। ब्रह्म स्थल: घर के मध्य में पूजा का स्थान होना शुभ होता है। इससे पूरे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार होता है। घर में पूजा के स्थान की विभिन्न स्थितियों का प्रभाव कुछ इस प्रकार होता है। यदि घर के आगे वाले भाग को अंदर से देखने पर सीधे हाथ पर खिड़की हो और वहां से प्रातःकालीन सूर्य की किरणें सीधी पूजा के स्थान पर जाती हों तो उस घर का मालिक सम्मान प्राप्त करता है और स्वभाव से बहादुर और धार्मिक होता है। वह सत्य को महत्व देता है और जैसा कहता है वैसा करता है। किंतु वह थोड़ा अभिमानी होता है और महिलाओं का आदर कम करता है। उसे सरकारी विभाग से आदर, मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। उसके कई नौकर चाकर होते हैं और उसका एक बेटा बहुत अच्छे ओहदे पर कार्यरत रहता है। यदि घर के आगे वाले भाग में पूजा के स्थान के साथ बायंे हाथ की खिड़की के सामने भूमिगत पानी का स्रोत हो तो घर के मुखिया की मां बहुत ही धार्मिक प्रवृŸिा की होती है। गरीबों को भोजन कराती और दान देती है। यदि दूसरी और तीसरी खिड़कियां भी पूजाघर में ही हों तो घर की लड़कियां भी बहुत धार्मिक होती हैं। किंतु यदि इस तरह की स्थिति में रोशनी की कमी हो या खिड़की हमेशा बंद रखी जाती हो तो घर की लड़कियों को बड़ी कठिनाइयों और दुखों का सामना करना पड़ता है। यदि यही स्थिति सीधे हाथ वाली खिड़की पर हो तो ये बातें घर के बेटे पर भी लागू होती हैं। इस कारण घर का कोई सदस्य बहुत दूर जाकर रहता है। यदि भूमिगत पानी का यह स्रोत किसी तरह ढक दिया जाता है जैसे पत्थर या स्लैब से तो घर के मुखिया की मां को जीवन के अंतिम समय में बहुत ज्यादा कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है और घर की अन्य महिलाआंे के लिए भी दुखद घटना घटने की संभावना रहती है। साफ-सुथरे संुदर ड्राईंग हाॅल या लिविंग रूम में ही पूजा का स्थान हो तो घर के सभी सदस्य बुद्धिमान होते हैं और उसे सभी लोग पंसंद करते हैं। वह कई शास्त्रों का ज्ञाता होता है। उसे पत्नी से बहुत सहयोग प्राप्त होता है। वह व्यापारिक मित्रों से विभिन्न प्रकार के लाभ, जमीन जायदाद, संपŸिा आदि भी बिना किसी विशेष मेहनत के प्राप्त करता है। घर की एक बेटी या बेटा अपने पिता के समान बुद्धिमान, पैसे वाला और विद्वान होता है। घर का मुखिया स्वयं बहुत रोमांटिक होता है और अपने पुरुष एवं महिला मित्र दोनों से लाभ प्राप्त करता है। वह व्यवहारकुशल, आज्ञाकारी और वाक्पटुता होता है। यदि ड्राईंग हाॅल या लिविंग रूम में ही पूजा का स्थान हो तो धर के सभी सदस्य बुद्धिमान होते हैं। जिस घर में पूजाकक्ष का उपयोग बेडरूम के लिए भी किया जाता हो या पूजाकक्ष के सामने बेडरूम हो या बेडरूम के एक कोने में पूजाकक्ष बना हो उसमें सोने वाली महिलाएं धर्मपरायण होती हैं। किंतु पत्नी बिना कारण विवाद करती रहती है, पर पैसे की अच्छी खासी बचत कर लेती है। इस कारण उसकी बेटी के विवाह में अड़चनें आने से देरी होती है। यदि पूजाघर एकदम बाथरूम के सामने हो या एकदम उसके पास हो तो घर का मुखिया भौतिक सुखों से दूर रहता है और अध्यात्म में रुचि रखता है। उसे समाज में नाम और सम्मान की प्राप्ति होती है। यदि पूजाघर मुख्यद्वार के एकदम सामने हो या उसकी बगल में हो तो घर का मुखिया बुद्धिमान होता है और ईमानदारी से पैसा कमाता है उसे समाज का बहुत सम्मान मिलता है। वह बहुत परिश्रम से तरक्की कर पाता है किंतु बाद में उसकी सारी कठिनाइयां दूर हो जाती हैं और प्रसिद्धि और सफलताएं मिलती हैं। स्टोर रूम पूजाघर के एकदम सामने हो या उससे जुड़ा हो या पूजाघर में ही स्टोररूम या स्टोर रूम में ही पूजाघर हो तो मुखिया बुद्धिमान होता है और ईमानदारी से पैसा कमाता है। यदि घर के मुख्यद्वार के एकदम सामने घर में घुसने से पहले सीढ़ियां हों, उसमें रहने वाले बाहारी तौर पर दिखावा करते हैं कि वे सात्विक हैं, ईमानदार हैं, धार्मिक हैं और मोक्ष पाने की चाह रखते हैं। परंतु वास्तव में वे भौतिक सुखों के प्रति लालची, चालाक, चतुर और धोखेबाज होते हंै। यदि पूजा घर में उचित रोशनी न की जाए और उसकी दीवारें ठीक न हों, ऊंची नीची या टूटी-फूटी हों तो घर के मुखिया का स्वास्थ्य बहुत खराब रहता है। जिन घरों में पूजाघरों मंे साफ-सफाई नहीं रहती हो, वहां अंधेरा रहता हो या घर का कबाड़ पड़ा रहता हो उस घर में रहने वालों को शत्रु परेशान करते हैं। उनका आर्थिक नुकसान होता है और घर में हमेशा बीमारी बनी रहती है। पूजा घर में टूटे-फूटे सामान रखे हांे या वहां पर टांड हो और टांड पर कबाड़ रखा हो तो यह घर के मुखिया के पिता के लिए अशुभ होता है। उसे शत्रु परेशान करते हैं, धन का नुकसान होता है और बीमारी घेरे रहती है। जिस घर में देवताओं की मूर्ति खंडित हो, तस्वीरें टूटी हुई हों, चित्र फटे हुए हों, तो यह स्थिति उसके मुखिया के लिए अत्यघिक अशुभ होती है। जिस घर में पूजा के दो कमरे होते हैं उसके मुखिया के पास एक से अधिक संपŸिा, जमीन जायदाद या मकान अवश्य होता है। उसके बेटे की आमदनी के स्रोत भी दो होते हैं। घर बनाते समय विशेष तौर पर इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि, पूजाघर के नीचे व ऊपर शौचालय न हो। क्योंकि पूजा घर के नीचे से गैस व ऊपर से कभी भी गंदा पानी रिसना शुभ नहीं होता है। यदि घर के मुख्यद्वार के एकदम सामने घर में घुसने से पहले सीढ़ियां हों, उसमें रहने वाले बाहारी तौर पर दिखावा करते हैं कि वे सात्विक हैं, ईमानदार हैं, धार्मिक हैं और मोक्ष पाने की चाह रखते हैं। परंतु वास्तव में वे भौतिक सुखों के प्रति लालची, चालाक, चतुर और धोखेबाज होते हंै।