प्रश्न: संस्कार क्यों किये जाते हैं? उत्तर: (‘सम’ उपसर्ग एवं ‘कृ’ धातु) शरीर एवं वस्तुओं की शुद्धि के लिये उनके विकास के साथ समय-समय पर जो कर्म किये जाते हैं, उन्हें ‘संस्कार’ कहते हैं। संस्कारों से पापों व दोषों का मार्जन होता है तथा नवीन गुणों की प्राप्ति के साथ-साथ अदृष्ट फल की प्राप्ति भी होती है। वेद व्यास के अनुसार संस्कार सोलह प्रकार के कहे गये हैं- 1. गर्भाधान, 2. पुंसवन, 3. सीमन्तोन्नयन, 4. जातकर्म, 5. नामकरण, 6. निष्क्रमण, 7. अन्नप्राशन, 8. चूड़ाकर्म, 9. कर्णवेध, 10. यज्ञोपवीत, 11. वेदारंभ, 12. केशांत, 13. समावर्तन, 14. विवाह, 15. आवसश्याधान, 16. श्रौताधान। प्रश्न: गर्भाधान क्यों? उत्तर: हिंदु सनातन धर्म में विवाह विलासिता या कामवासना की तृप्ति के लिये नहीं अपितु वंश-वृद्धि एवं उत्तम संतति प्राप्ति के लिये किया जाता है। इसका पहला प्रमाण है, गर्भाधान संस्कार। इस संस्कार से बीज तथा गर्भ संबंधी संपूर्ण मलिनता नष्ट हो जाती है और क्षेत्र रूपी स्त्री का संस्कार भी हो जाता है। सनातन मान्यता के अनुसार नारी विषयभोग की पूर्ति का साधन नहीं है, यह सृष्टि सौंदर्य की पवित्र प्रतिमा है। गर्भाधान संस्कार स्त्री-पुरूष सहवास के लिये पारस्परिक सहमति तथा संतान की आवश्यकता द्योतक संस्कार है। प्रश्न: पुंसवन क्यों? उत्तर: गर्भ से केवल पुत्र की ही प्राप्ति हो, इसके लिये पुंसवन संस्कार किया जाता है। प्रश्न: सीमन्तोन्नयन क्यों? उत्तर: इसका फल भी गर्भाधान संस्कार की भांति गर्भ की वृद्धि है। प्रश्न: जातकर्म क्यों? उत्तर: जातकर्म संस्कार द्वारा माता के खान-पान संबंधी दोष दूर होते हैं। प्रश्न: नामकरण क्यों? उत्तर: इस संस्कार से आयु तथा तेज की वृद्धि और लोक-व्यवहार में नाम प्रसिद्ध होने से जातक का पृथक् अस्तित्व कायम होता है। प्रश्न: निष्क्रमण क्यों? उत्तर: इस संस्कार में शिशु को समन्त्रक जगत्प्राण भगवान सूर्य का दर्शन कराया जाता है। इसे लोक व्यवहार में सूर्य-पूजन कहते हैं। इससे आयु तथा लक्ष्मी की वृद्धि होती है। प्रश्न: अन्नप्राशन क्यों? उत्तर: इस संस्कार द्वारा मातृ गर्भ में मलिनता भक्षण से जो दोष उत्पन्न हो जाते हैं उन्हें शांत किया जाता है। प्रश्न: चूड़ाकर्म क्यों? उत्तर: बल, आयु तथा तेज की वृद्धि ही चूड़ाकर्म संस्कार का फल है। प्रश्न: उपनयन क्यों? उत्तर: उपनयन से बालक ‘द्विज’ की श्रेणी में आता है और इसे वेदाध्ययन का अधिकार मिल जाता है। प्रश्न: विवाह-संस्कार क्यों? उत्तर: इस संस्कार के अंतर्गत व्यक्ति सपत्नीक अग्नि होमादि यज्ञकर्म का अधिकारी होता है, जिससे स्वर्ग लाभ होता है। उत्तम रीति से किये गए ‘ब्राह्मण-विवाह’ के फलस्वरूप घर में कुलातारक सुपुत्र पैदा होता है। जीवित पितरों की सेवा एवं मरणोपरांत पितरों के लिये श्राद्ध-तर्पण आदि द्वारा उनका उद्धार करता है। वंश परंपरा एवं गोत्र की रक्षा विवाह-संस्कार का परिणाम है। प्रश्न: अन्त्येष्टि संस्कार क्यों? उत्तर: प्राण निकल जाने के बाद शव पर यह संस्कार व्यक्ति के मोक्ष एवं परलोक सुधार हेतु किया जाता है। यह सबसे परम आवश्यक एवं पवित्र संस्कार माना जाता है।