सबहिं नचावत ‘आप’ गोर्साईं
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सबहिं नचावत ‘आप’ गोर्साईं  

व्यूस : 7650 | फ़रवरी 2014
म आदमी पार्टी अर्थात् आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल आजकल न केवल हर व्यक्ति की राजनीतिक चर्चा का विषय है बल्कि आज देश की राजनीति को हिलाने का दम रखते हैं। अन्ना आंदोलन से चमके अरविंद इससे पहले 2006 में घोटालों, बिजली, पानी जैसी समस्याओं के लिए संघर्ष करने वाले सामाजिक कार्यकत्र्ता माने जाते थे। उन्होंने ही ‘सूचना के अधिकार’ आर. टी. आई को सही इस्तेमाल करने का तरीका सिखाया और सरकारी विभागों में फैले भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए बड़ा अभियान लाने के लिए उन्हें 2006 में रेमन मैग्सेसे अवार्ड से भी सम्मानित किया गया। एशिया के नोबल पुरस्कार कहे जाने वाले इस अवार्ड को पाने के बाद अरविंद के हौसलों को नई उड़ान मिल गई। उन्होंने देश में फैले भ्रष्टाचार और आम आदमी की दिक्कतों को दूर करने के लिए संघर्ष में अपना गुरु अन्ना हजारे को बनाया। 16 अगस्त 1968 को हिसार के सिवनी कस्बे में जन्मे अरविंद बचपन से विलक्षण प्रतिभा के धनी थे और 1989 में उन्होंने आई. आई. टी. खड़गपुर से मैकेनिकल इंजिनियरिंग की और पहले टाटा कंपनी में काम करने के बाद 1992 में भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा में बैठने के लिए नौकरी छोड़ दी और 1995 में भारतीय राजस्व सेवा में चयनित हो गये। इन्कम टैक्स में नौकरी करने वाले अरविंद का मोह भंग 1999 से होना शुरू हुआ जब अपने ही विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार से उन्हें रूबरू होना पड़ा। केजरीवाल लंबी छुट्टी पर चले गये परंतु घर वालों के दबाव में करीब 18 महीने बाद दोबारा नौकरी ज्वाइन करने के बाद भी उनका मन वहां नहीं लगा और उन्होंने आम लोगों की समस्याओं को सुलझाने के लिए ‘परिवर्तन’ नामक स्वयं सहायता समूह का गठन कर लिया और इसी समूह से वे लोगों की आम दिक्कतों को दूर किया करते थे। 2006 में उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया और उसी साल उन्हें मैग्सेसे अवार्ड से नवाजा गया। अरविंद केजरीवाल का सही उत्थान 2011 में हुआ जब वे अन्ना हजारे के सान्निध्य में आए और अन्ना को अपना गुरु मान कर वे देश को जनलोकपाल दिलाने वाली मुहिम में शामिल हो गये। अरविंद केजरीवाल और अन्ना हजारे की जोड़ी ने दिल्ली और देश के युवाओं को इस मुहिम से जोड़ते हुए आंदोलन को नई धार दे दी थी। इस आंदोलन के बाद अरविंद को यह अहसास हो गया था कि युवा वर्ग को जोड़कर वे बड़ी राजनीतिक ताकत के तौर पर स्थापित हो सकते हैं। नतीजन अक्तूबर 2012 में उन्होंने राजनीति में उतरने का निश्चय किया। लेकिन इसमें उन्हें अन्ना का साथ नहीं मिला। अरविंद ने अपनी पार्टी आम आदमी पार्टी के नाम से शुरू की और दिल्ली की सभी 70 विधान सभा की सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने अरविंद और उनकी पार्टी को हल्के में लिया जिसका नतीजा चुनावों के बाद आया। अरविंद की पार्टी ने दिल्ली की 70 सीटों में से 28 पर आम आदमी का परचम लहरा कर जहां दिल्ली की सत्ता से कांग्रेस को दूर कर दिया वहीं भाजपा के मनसूबों पर भी पानी फेर दिया। और अब न न करते हुए सरकार बनाई है। जनता का दुबारा समर्थन प्राप्त करके एवं कांग्रेस का समर्थन बिना किसी शर्त के, बल्कि अपनी शर्तों पर, मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली है और आते ही जनता के हित में पानी और बिजली की दरों में भी कटौती कर चारांे ओर से वाहवाही बटोर रहे हैं, इसे कहते है सबहिं नचावत ‘आप’ गोसाईं। आईये देखें क्या कहते हैं अरविंद केजरीवाल के सितारे अरविंद केजरीवाल की जन्मकुंडली में लग्नेश शुक्र चतुर्थ स्थान में शुभ स्थिति में है जिससे इनकी निर्णय शक्ति अच्छी है और अपने सभी निर्णय सोच समझ कर लेते हैं। लग्न में चंद्रमा अपनी मूल त्रिकोण राशि में बलवान स्थिति में स्थित है जिसके फलस्वरूप इनका मनोबल अच्छा है और अच्छी कल्पना शक्ति है जिससे ये भविष्य की योजनाओं को बनाने में सफल रहते हैं। चंद्रमा, तृतीय भाव का स्वामी होकर लग्न में स्थित होने से इन्हें परिश्रम करने की अपार क्षमता है। चंद्रमा से गुरु चतुर्थ स्थान एवं गुरु से चंद्रमा दशम होने से गजकेसरी योग भी बन रहा है जो अत्यंत शुभ है। सप्तम व द्वादश भाव का स्वामी मंगल तीसरे पराक्रम भाव में अपनी नीच राशि में है परंतु राहु से दृष्ट है और तीसरे भाव का कारक होने से अरविंद राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं लेकिन नीच होने के कारण दूसरों के द्वारा किये गये काम का लाभ अधिक उठायेंगे और इन्हें अपने शत्रु से सावधान रहना होगा। चतुर्थ भाव से जनता का विचार किया जाता है। इस भाव में चतुर्थेश सूर्य अपनी मूल त्रिकोण राशि में पंचमेश बुध, लग्नेश शुक्र व लाभेश बृहस्पति के साथ बहुत बलवान स्थिति में है इसी के कारण इनकी सामाजिक कार्यों के सुधार के प्रति अभिरूचि बढ़ी तथा इन्हें जनता से इस कार्य के लिए अपार जन समर्थन भी प्राप्त हुआ। अगस्त 2004 से इनकी बृहस्पति की महादशा आरंभ हुई। बृहस्पति इनकी कुंडली में चतुर्थ भाव (जनता के भाव) में लाभेश एवं अष्टमेश होकर स्थित है जिसके कारण जनता की भलाई के लिए इनका अधिक रूझान बढ़ा और अपने सभी फैसले गंभीर चिंतन के साथ किए। यहां बुध सूर्य से बुद्धादित्य योग भी निर्मित हो रहा है और शनि नीच होकर बली हो गये हैं। अरविंद जी के कर्मक्षेत्र का विचार करें तो कर्मेश व भाग्येश शनि व्यय भाव में अपनी नीच राशि में स्थित हैं। लेकिन शनि पर नैसर्गिक शुभ ग्रह गुरु की दृष्टि है और वह वक्री भी है जिसके कारण ये गरीबों, मजदूरों आदि की समस्याओं व मानव अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं और करते रहेंगे। इनका शनि नवांश में भी अपने वर्गोत्तम नवांश में स्थित है और उसको बाधकेश दोष होते हुए भी बाधकेश दोष नहीं लग रहा है क्योंकि शनि व्यय भाव में स्थित है और अप्रत्यक्ष रूप में शुभ फल दे रहा है। इसके अतिरिक्त नवांश कुंडली में ग्रहों की स्थिति बहुत शुभ है जहां एक ओर शनि शुक्र वर्गोत्तम नवांश में वहीं बुध मंगल स्व नवांश में स्थित है तथा सूर्य उच्च नवांश में है जिसके फलस्वरूप इन्हें अचानक अप्रत्याशित सफलता प्राप्त हुई। कुंडली में कई महत्त्वपूर्ण योग भी विद्यमान हैं जैसे भाग्यवान योग, महाराज योग, राज योग, गजकेसरी योग, पुष्कल योग, बुद्धिमान योग, श्रेष्ठ योग, धैर्यवान योग, प्रतिभावान योग, पुण्यकर्मी योग, सम्मान योग निष्कपट योग, विद्वान योग, प्रतापी योग, प्रबल स्मरण शक्ति योग, तीव्र बुद्धि योग, वाशी योग आदि बहुत महत्वपूर्ण योग विद्यमान है। लेकिन इनकी कुंडली में कालसर्प योग भी विद्यमान है। राहु चलित कुंडली में शनि के साथ बारहवें भाव में स्थित है जिसके द्वारा यह संकेत स्पष्ट है कि इनके राजनीतिक सफर में उतार चढ़ाव अधिक देखने को मिलेंगे। इसके अतिरिक्त जिस राशि में शनि नीच के होकर बैठे हैं उस राशि का स्वामी मंगल भी अपनी नीच राशि पर स्थित है जिसके कारण यह अपनी नीतियों को स्पष्ट नहीं करेंगे और गुप्त रूप से अपने लाभ के लिए अन्य राजनेताओं की तरह साम, दाम, दंड, भेद की राजनीति करेंगे। अपने निर्णय बुद्धि से अच्छी तरह तौल कर निजी स्वार्थों को भी ध्यान में रखकर अपने निर्णय लंेगे। वर्तमान समय में गुरु में शुक्र की दशा चल रही है। शुक्र लग्नेश होने के साथ षष्ठेश भी है इसलिए इस समय कुछ मतभेद व समस्याएं आ ाुसकती हैं और वैसे भी गुरु में शुक्र की दशा बहुत अच्छी नहीं जाती है। अरविंद केजरीवाल ने सरकार तो बना ली है पर उनकी राह आसान नहीं होगी और जनता से किए गये सभी वादों पर खरा उतरना काफी दुश्कर होगा। पराक्रम भाव के नीच मंगल की कर्म भाव भाव पर दृष्टि होने से ये अपने निर्णय पर स्थिर नहीं रह पायेंगे और बार-बार उनमें परिवर्तन करेंगे। जैसे- पहले कहा था कि हम न तो समर्थन देंगे न ही लेंगे। इसी तरह सरकारी आवास के साथ भी निर्णय में फेर बदल होती रही। इस तरह से निर्णयों की अस्थिरता जनता के विश्वास को भी अस्थिर कर सकती है। शपथ ग्रहण कुंडली आप पार्टी की शपथ ग्रहण कुंडली द्विस्वभाव लग्न की है और लग्नेश बृहस्पति भी द्विस्वभाव राशि पर ही स्थित है जो यही संकेत देती है कि यह सरकार पांच वर्ष का कार्यकाल शायद ही पूर्ण कर पाए। चंद्र की प्रत्यंतर्दशा में चूंकि चंद्रमा अष्टम भाव में राहु और शनि के साथ है अर्थात् जुलाई 2014 तक सरकार की स्थिरता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। कर्मेश बृहस्पति चतुर्थ भाव में होने से यह सरकार लोक कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने में प्रयासरत रहेगी। दूसरी ओर कर्म भाव में षष्ठेश सूर्य और सप्तमेश बुध की स्थिति के कारण विरोधी पक्ष के तीखे हमले झेलने पड़ेंगे और सरकारी कामकाज में भी बाधाएं आयेंगी। कुंडली का लाभेश शनि अष्टम में तथा अष्टमेश लाभ भाव में स्थित होने से सरकार को आर्थिक संकटों का सामना भी करना पड़ सकता है लेकिन परिवर्तन योग के कारण सरकार जोड़-तोड़ की नीति से आर्थिक स्रोतों को बढ़ाने में भी सफल हो सकती है। लोकसभा चुनाव, आप और अरविंद केजरीवाल: वर्तमान समय में अरविंद जी की बृहस्पति की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा तथा बृहस्पति की प्रत्यंर्दशा 16 मार्च 2014 तक चलेगी। इसके अनुसार अभी समय ठीक है पर आगे 16 मार्च के बाद बृहस्पति मंे शुक्र में शनि प्रत्यंतर्दशा 18 अगस्त 2014 तक रहेगी। इस अवधि में उनके कामकाज पर प्रश्न चिह्न उठ सकते हैं और उनकी प्रतिष्ठा में भी कमी आ सकती है। हालांकि गोचर में शनि शुभ है जिसके कारण इन्हें आगे लोकसभा के चुनाव में भी सामान्यरूप से सफलता प्राप्त होगी परंतु दिल्ली जैसा करिश्मा दिखा पायेंगे- इसकी संभावना कम है।



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