किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व के बारे में यदि हमें पता करना है तो हम उसके बाॅडी लैंग्वेज से जान सकते हैं। व्यक्ति के आंतरिक भावों, स्वभाव आदि की अभिव्यक्ति बाह्य षारीरिक अंगों के द्वारा व्यक्त होती है। हस्ताक्षर तथा लिखावट भी व्यक्ति के आंतरिक भावों, व्यक्तित्व, उसके स्वभाव तथा अंतःकरण की अभिव्यक्ति ही हंै जिसको मस्तिष्क के आदेष से हाथ द्वारा संपादित किया जाता है। व्यक्ति की लिखावट उसके व्यक्तित्व का आइना होती ह जिसके द्वारा व्यक्ति की मनोवृत्ति, महत्वाकांक्षाओं, चरित्र के बारे में बहुत कुछ पता लगाया जा सकता है। समाज में लोक मार्यादा के कारण व्यक्ति को विषेष व्यवहार करना पडता है जिसके कारण प्रत्येक व्यक्ति के प्रायः दो रूप होते हैं एक तो उसका वास्तविक व्यक्तित्व होता है जबकि दूसरा व्यक्तित्व वह समाज के लिए धारण करता है। हस्ताक्षर व्यक्ति के व्यक्तित्व का संपूर्ण आइना होता है जिसमें उसके व्यक्तित्व की वास्तविक परछाईं दिखायी देती है। व्यक्ति की लिखावट तथा हस्ताक्षर व्यक्ति की हाथ की लिखावट उसके रोजमर्रा के व्यक्तित्व को दर्षाती है जबकि उसके हस्ताक्षर उसकी महत्वाकांक्षा को बताते हैं । व्यक्ति के हस्ताक्षर समाज में उसके व्यक्तित्व को प्रदर्षित करते हैं। समाज किस तरह से उसके व्यक्तित्व को देखता है तथा व्यक्ति समाज में किस तरह से अपने को प्रस्तुत करता है। इसलिए कभी-कभी व्यक्ति के लिखावट तथा उसके हस्ताक्षर में बहुत अधिक अंतर पाया जाता है। लिखावट व्यक्ति की Casual Wearing को बताती है जबकि हस्ताक्षर उसके Wearing for Special Event मअमदज को बताती है जो कि समाज में अपने आप को Special रूप से प्रस्तुत करने के लिए होती है। धन सम्बंधी मामलों में भी हस्ताक्षर काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वर्तमान में अधिकांष लोग धन कमाने के लिए बहुत मेहनत कर रहे हैं और धन कमा भी रहे हैं। लेकिन बहुत प्रयासों के बावजूद भी बचत नहीं हो पाती है जिसके कारण उनको परेषानियों का सामना करना पड़ता है। धन सम्बंधी कार्यों में हस्ताक्षर की आवष्यकता होती है और यदि आपके हस्ताक्षर ज्योतिष के अनुसार षुभ हैं तो आपको धन-पैसों के संबंध में लाभ प्राप्त होता है। लेकिन यदि आपके हस्ताक्षर ज्योतिष के अनुकूल न होकर दोषपूर्ण हैं तो आपको धन की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। धन सम्बंधी समस्या से बचने के लिए आपको ज्योतिष षास्त्र के अनुसार हस्ताक्षर के सम्बंध में कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। इन बातों को अपनाकर आप कुछ ही दिनों में अपनी धन सम्बंधी परेषानियों को कम कर सकते हैं । जो व्यक्ति धन सम्बंधी समस्या से जूझ रहे हैं वे अपने हस्ताक्षर के नीचे की ओर पूरी लाईन खींचकर उसके नीचे दो स्पष्ट बिंदू बना दें साथ ही अपने माता-पिता का आषीर्वाद लें। आपके हस्ताक्षर में ये परिवर्तन आपके बैंक बैलेंस को बढ़ाने में सफल प्रयोग होगा। हस्ताक्षर के विष्लेषण द्वारा व्यक्ति के आत्म स्वरूप का निर्धारण किया जा सकता है। हस्ताक्षर व्यक्ति के सामाजिक योग्यता, हुनर, स्थायित्व, आत्मविष्वास, आत्मसमान तथा किस तरह से अपने आप को दूसरों के समक्ष देखते हैं आदि बताते हैं। हस्ताक्षर की प्रमुख बातें ध्यान देने योग्य हैं जैसे कि षब्द बायें से दायें, दायें से बायें की ओर बढ़ रहे हैं, प्रथम तथा अंतिम षब्द के आकार में अंतर, प्रथम अक्षर कितना बड़ा या छोटा है, यदि कुछ अतिरिक्त जोड़ा गया है, हस्ताक्षर के ऊपर, नीचे या सीधे हस्ताक्षर, हस्ताक्षर पर कितना दबाव डाला, उसकी लम्बाई तथा चैडाई, व्यक्ति की लिखावट तथा हस्ताक्षर का सम्बंध तथा अन्य हस्ताक्षर सम्बंधी विवरण। व्यक्ति की लिखावट तथा हस्ताक्षर में संबंध महर्षि पराषर ने अपने गं्रथ में अक्षरों के स्वरूप से उनकी भाषा को स्पष्ट किया है जिनके द्वारा आप अपनी लिखावट तथा हस्ताक्षर के द्वारा अपने बारे में जान सकते हैं। फ्रांस के विद्वान मिंको ने भी इस विधा पर विस्तृत रूप से अध्ययन किया है। यदि व्यक्ति की लिखावट तथा हस्ताक्षर में कोई अंतर नहीं है तो इसका अभिप्राय है कि व्यक्ति अपने व्यक्तिगत (Private) व सामाजिक (Public) जीवन में एक जैसा ही है। इस तरह के व्यक्तियों को किसी तरह का मुखौटा धारण नहीं करना पड़ता। जो अन्दर से है वही बाहर है। लेकिन कभी-कभी ऐसा देखा जाता है कि हस्ताक्षर व्यक्ति की बाकि लिखावट से थोड़ा बड़ा होता है जो कि यह दर्षाता है कि व्यक्ति दूसरे व्यक्तियों के साथ व्यवहार के समय एक स्वस्थ आत्म प्रत्यय तथा आत्मविष्वास को धारण करता है। लेकिन जब हस्ताक्षर लिखावट से ज्यादा बडे़ हों तो यह व्यक्ति की महत्वाकांक्षा को दर्षाता है। इस तरह का व्यक्ति चाहता है कि समाज द्वारा उसे देखा व सुना जाये अर्थात समाज व्यक्ति के अस्तित्व को स्वीकार करे व उसे महत्व दे। जब हस्ताक्षर लिखावट की अपेक्षा छोटे हों तो यह व्यक्ति में असुरक्षा की भावना को प्रदर्षित करता है। ऐसे व्यक्ति शर्मीले स्वभाव के तथा समाज/व्यक्तियों के बीच में असहज अनुभव करते हैं। हस्ताक्षर विश्लेषण इस तरह हम व्यक्ति के हस्ताक्षर से उसके स्वभाव के बारे में जान सकते हंै। व्यक्ति के हस्ताक्षर का विषेष अध्ययन निम्न प्रकार है: जब हस्ताक्षर में प्रयुक्त अक्षर नीचे से उपर की ओर जाते हैं तो वह व्यक्ति आषावादी तथा ईष्वर पर आस्था रखने वाला होता है। ऐसे व्यक्ति महत्वाकांक्षी भी होते हैं। लेकिन जब हस्ताक्षर में प्रयुक्त अक्षर ऊपर से नीचे की तरफ जाते हों तो व्यक्ति निराषावादी तथा अव्यावहारिक होता है। ऐसे व्यक्तियों में कुछ भावनात्मक समस्याएं भी पायी जाती हैं। इस तरह के व्यक्तित्व वाले व्यक्ति से कम लोग मित्रता करना पसंद करते हैं। जो व्यक्ति हस्ताक्षर करते समय पहला अक्षर बड़ा लिखते हैं वे विषेष प्रतिभा षक्ति के धनी होते हैं। यदि प्रथम अक्षर बड़ा तथा बाद के अक्षर छोटे, सुन्दर और व्यवस्थित ढंग से बनाये गये हों जो कि देखने में सुंदर लगते हैं तो ऐसे व्यक्ति अपनी विलक्षण प्रतिभा के साथ धीरे-धीरे किसी विषेष स्तर पर पहुंच जाते हैं। इन व्यक्तियों को जीवन में सभी सुख व सुविधाएं भी प्राप्त होती हैं। लेकिन इस तरह के व्यक्ति थोडे़ विलासी व संकोची प्रवृत्ति के भी देखे गये हैं। कुछ व्यक्ति हस्ताक्षर के नीचे दो लाइन भी खींचते हैं जो कि व्यक्ति में असुरक्षा की भावना को दर्षाती है तथा ऐसे व्यक्ति संषयवादी प्रवृत्ति के होते हैं। जो व्यक्ति अव्यवस्थित तरीके से जल्दबाजी में हस्ताक्षर करते हैं जो कि अपठनीय होते हैं, ऐसे व्यक्तियों के जीवन में परेषानियां आती रहती हैं। इस तरह के व्यक्ति महत्वाकांक्षी और मेहनती होते हैं परंतु इनको जीवन में कई प्रकार की परेषानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे व्यक्ति विष्वसनीय नहीं होते हैं। इस तरह के व्यक्ति प्रायः राजनीतिज्ञ, अपराधी, कूटनीतिज्ञ या बड़े व्यापारी देखे गये हैं। इसी तरह मानसिक रूप से अस्थिर प्रकृति वाले व्यक्तियों के हस्ताक्षर लयबद्ध नहीं होते जबकि नकारात्मक विचारों वाले व्यक्तियों के हस्ताक्षर सामान्य रूप से कटे हुए दिखायी देते हैं । इसी तरह एक सरल रेखा में हस्ताक्षर करने वाले व्यक्ति सरल, तार्किक स्वभाव पर साफ दिल के होते हैं। ऐसे व्यक्ति किसी भी काम को सुनियोजित ढंग से करना पसंद करते हैं तथा इनमें षीघ्र फैसले लेने की क्षमता होती है। जो व्यक्ति हस्ताक्षर के अंत में बिंदू या डैष लगाते हैं वे भीरू प्रकृति के तथा षंकालु होते हैं। जो व्यक्ति कलम पर दबाव डालकर लिखते हैं वे हठी, भावुक, तथा उत्तेजक लेकिन स्पष्टवादी स्वभाव के होते हैं। वे व्यक्ति जो बिना कलम उठाए एक ही बार में पूर्ण हस्ताक्षर करते हैं गुप्त प्रवृत्ति के तथा रहस्यवादी और वाद-विवाद करने में चतुर होते हैं। जो व्यक्ति अवरोधक चिह्न का प्रयोग अपने हस्ताक्षर में करते हैं वे कुंठाग्रस्त तथा आलसी प्रवृत्ति के होते हैं। तीव्रगति से हस्ताक्षर करने वाले व्यक्ति प्रत्युत्पन्नमतित्व तथा षीघ्र कार्य को करने वाले होते हैं। जिन व्यक्तियों के हस्ताक्षर स्पष्ट होते हैं वे विचारवान, पारदर्षी तथा खुले मन के होते हैं। षिरोरेखा से हस्ताक्षर करने वाले व्यक्ति सजग, जागरूक तथा बुद्धि का सदुपयोग करने वाले होते हैं। इसी तरह व्यक्ति की लिखावट के द्वारा भी उसके स्वभाव तथा व्यक्तित्व के बारे में जाना जा सकता है। जैसे कि बडे़ अक्षरवाली लिखावट के व्यक्ति साधारणतया आषावादी, उत्साहित, सृजनषील तथा वाक्पटु होते हैं जबकि छोटे अक्षरवाली लिखावट के व्यक्ति आदर्षवादी, बुद्धिजीवी होते हैं तथा इनकी एकाग्रता षक्ति मजबूत होती है । हस्ताक्षर के विश्लेषण के द्वारा गुण मिलान हस्ताक्षर के विष्लेषण के द्वारा हम व्यक्ति के बारे में ही नहीं जान सकते बल्कि जीवन साथी के बारे में भी जान सकते हैं। जिन व्यक्तियों की जन्मपत्रिका न हो वो हस्ताक्षर मिलान करके अपना जीवन साथी चुन सकते हैं। दोनों के हस्ताक्षर में जितनी अधिक समानता होती है उतने ही अधिक गुण मिलते हैं। इस सम्बंध में कैलीग्राफी में विस्तार से बताया गया है। जन्मकुण्डली के समान इस तकनीक में भी गुण मिलान की सर्वश्रेष्ठ संख्या 36 है । हस्ताक्षर विष्लेषण की यह तकनीक मनोविज्ञान के सिद्धांत पर काम करती है। व्यक्ति के व्यक्तित्व का हर पहलू उसके लिखावट और हस्ताक्षर में उभरकर आता है। इसके लिए जरूरी है कि व्यक्ति अपने हस्ताक्षर बिना रूके करे। इस तरह से जन्मपत्रिका न होने की स्थिति में हस्ताक्षर व्यक्ति विषेष के बारे में जानने का एक महत्वपूर्ण स्रोत है ।