दिक्दोष नाशक वास्तु यंत्र: यदि किसी भूखंड में दिशाओं संबंधी दोष हो जैसे ईशान आदि कोण कोणों में न आ रहे हों या भूखंड कई कोणों का हो, कोई कोण कटा हुआ या बड़ा हुआ हो, तो ऐसे दोषों के निवारण के लिए सिद्ध ‘‘दिक्दोष नाशक यंत्र’’ लगाया जाता है। इस यंत्र में वास्तु पुरुष का स्वरूप बना होता है।
वास्तु दोष निवारण श्री सुदर्शन यंत्र: यह यंत्र वास्तु दोषों को खत्म करने के लिए विष्णु भगवान के सुदर्शन चक्र की तरह काम करता है। व्यावसायिक तथा औद्योगिक वास्तु के दोषों के निवारण के लिए खास तौर से प्रयुक्त होता है। इसे किसी भी प्रकार के वास्तु दोष के लिए प्रयुक्त किया जा सकता है।
वास्तु देवता यंत्र: इस यंत्र को वास्तु देव की पूजा के लिए प्रयोग किया जाता है। वास्तु देव की प्रसन्नता के लिए इसे पूजा स्थान में लगाकर पूजा की जाती है।
श्री वास्तु दोष नाशक यंत्र: इस यंत्र को गृह वास्तु संबंधी दोषों के निवारण के लिए लगाया जाता है। इस यंत्र में 81 पद वास्तु चक्र का प्रयोग करके सभी 45 देवताओं के नाम लिखे होते हैं। इसे लगाने से गृह वास्तु के सभी दोषों का निवारण होता है।
मत्स्य यंत्र: यह यंत्र वास्तु में जल संग्रह संबंधी दोषों के निवारण के लिए लगाया जाता है। इस यंत्र में मछली का चित्र बना होता है, जिसे विष्णु भगवान के मत्स्य अवतार का रूप माना जाता है। इस यंत्र को सिद्ध करके पानी की टंकी में डाला जाता है, व पूजा स्थान में भी लगाया जा सकता है।
बंधन मुक्ति यंत्र: इस यंत्र को किसी प्रकार के जादू-टोने व भूत-प्रेत संबंधी कष्टों के निवारण के लिए लगाया जाता है। यह यंत्र 9 यंत्रों के समूह से बना है। यह यंत्र बहुत ही चमत्कारी प्रभाव रखता है।
श्री कूर्म पृष्ठीय मेरु यंत्र: भगवान विष्णु के कूर्मावतार का प्रतीक यह यंत्र नींव स्थापन के समय नींव में भी दबाया जाता है। इस यंत्र को पूजा स्थान पर लगाने से विष्णु और लक्ष्मी दोनों की प्राप्ति होती है। व्यक्ति गृृहस्थी के बोझ को उठाने के काबिल हो जाता है।
श्री श्री यंत्र: चांदी का श्री यंत्र आग्नेय कोण दिशा संबंधी दोषों के निवारण के लिए प्रयोग किया जाता है। वैसे यह यंत्र तांबे, सोने, चांदी, अष्टधातु व स्फटिक के भी बनते हैं। इनको घर में लगाने से सुख-शांति और समृद्धि मिलती है। लक्ष्मी प्राप्ति के लिए इसे कोई भी लगा सकता है।
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