ग्रह (पृष्ठ-15)
शनि से बनने वाले योग

शनि से बनने वाले योग

अशोक सक्सेना

शनि का नाम सुनकर ही जातक भयभीत/ चिंताग्रस्त हो जाते हैं, जबकि ऐसा सोचना हमेशा सत्य नहीं होता। शनि देव को भगवान शिव ने न्यायधीश का पड़ दिया है। और उसका दायित्व शनिदेव पूर्ण निष्ठां से व बिना किसी दुराग्रह के संपादित करते हैं।... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीक

मार्च 2013

व्यूस: 23803

नाड़़ी दोष विचार

नाड़़ी दोष विचार

ब्रजकिशोर शर्मा ‘ब्रजवासी’

नाडि शब्द नाडि मंडल से संबंधित है, जिसका अर्थ है कि आकाशीय विषुवत् सेवा। नाडी कूटं तं संग्राह्यं, कूटानां तु शिरोमणिम्। ब्रह्मणा कन्यका कण्ठ सूत्रत्वेन विनिर्मितम्॥ (अर्थात् जिस प्रकार विवाहित कन्या के लिए मंगल सूत्र आवश्यक है, उस... और पढ़ें

ज्योतिषकुंडली व्याख्याघरविवाहग्रहभविष्यवाणी तकनीक

जनवरी 2011

व्यूस: 24635

कुण्डली में शनि शुभ-अशुभ फल देता है

जब किसी जातक पर साढ़ेसाती आती है तो जातक में यह जानने की ख्वाहिश बढ़ जाती है कि उनके ऊपर साढ़ेसाती कब तक बुरा प्रभाव देगी, उसके लिए साढ़ेसाती कितनी बुरी या कितनी अच्छी है। शनि की साढ़ेसाती प्रारंभ होना या शनि की ढैया का लगना, यह स... और पढ़ें

ज्योतिषकुंडली व्याख्याग्रहभविष्यवाणी तकनीक

अकतूबर 2014

व्यूस: 19766

अष्टम भावस्थ शनि का विवाह पर प्रभाव

प्राचीन ज्योतिषाचार्यों ने एकमत से जातक की कुंडली के सप्तम भाव को विवाह का निर्णायक भाव माना है और इसे जाया भाव, भार्या भाव, प्रेमिका भाव, सहयोगी, साझेदारी भाव स्वीकारा है।... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याघरविवाहग्रहभविष्यवाणी तकनीक

जनवरी 2009

व्यूस: 23143

नेप्च्यून - एक भाग्यकारक ग्रह

नेप्च्यून - एक भाग्यकारक ग्रह

चंद्रकांता दीक्षित

सामान्यतः जन्मकुंडलियों के ग्रहों और भावों के आधार पर ग्रहों की महादशा, अंतर्दशा, उनकी स्थिति एवं दृष्टियों को ध्यान में रखकर फलित ज्योतिष की गणना की जाती है। लेकिन आधुनिक युग में जन्मांग चक्र में नेपच्यून, प्लूटो तथा यूरेनस नामक ... और पढ़ें

ज्योतिषग्रह

अप्रैल 2006

व्यूस: 59601

क्या-क्या करते हैं अस्त ग्रह?

सूर्य को ग्रहों का राजा कहा जाता है। जो ग्रह सूर्य से एक निष्चित अंषों पर स्थित होने पर अपने राजा के तेज और ओज से ढंक जाता है और क्षितिज पर दृष्टिगोचर नहीं होता तो उसका प्रभाव नगण्य हो जाता है।... और पढ़ें

ज्योतिषग्रहभविष्यवाणी तकनीक

अप्रैल 2015

व्यूस: 23188

भारत के प्रधानमंत्रियों के राज योग

इस आलेख में भारत के प्रधानमंत्रियों की जन्मकुंडलियों का संक्षिप्त विवेचन किया गया है।... और पढ़ें

ज्योतिषप्रसिद्ध लोगज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीक

अकतूबर 2009

व्यूस: 7653

ग्र्रह व पाठ्यक्रम

ग्र्रह व पाठ्यक्रम

शरद त्रिपाठी

आज के इस युग में प्रत्येक विद्यार्थी या उसके अभिभावक हमेशा इस बारे में चिंतित रहते हैं कि उसकी संतान आज के इस दौर की पढ़ाई में ऐसी कौन सी उच्च शिक्षा ग्रहण करे कि उसका भविष्य सुनिश्चित हो जाए। ऐसी परिस्थिति में वह अपने ज्योतिषी के ... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगशिक्षाकुंडली व्याख्याघरग्रहहस्तरेखा सिद्धान्तव्यवसाय

अकतूबर 2010

व्यूस: 8172

कैरियर निर्माण की अनुभूत ज्योतिषीय प्रक्रिया

ज्योतिष ग्रंथों में कर्मक्षेत्र के चयन हेतु असंखय सिद्धांत एवं नियम प्रतिपादित हैं। इन नियमों को किसी जातक की जन्मकुंडली में लागू कर उसके वास्तविक व्यवसाय का निर्धारण कर पाना अत्यंत कठिन एवं दुरूह है। सारे सिद्धांतों को लागू कर ले... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगकुंडली व्याख्याघरग्रहभविष्यवाणी तकनीकव्यवसाय

अप्रैल 2010

व्यूस: 8119

उपाय किसका करें ?क्या और क्यों?

ज्योतिष में यदि केवल फलादेश किया जाए और उपाय न किया जाए, तो यह उसी प्रकार होगा, जैसे कि कोई चिकित्सक रोग के लिए जांच तो सभी प्रकार की करे और रोग की पहचान होने पर उसका निदान न करे। प्रस्तुत है उपायों की विस्तृत जानकारी देता यह... और पढ़ें

ज्योतिषउपायग्रहभविष्यवाणी तकनीक

जुलाई 2006

व्यूस: 4087

शुक्र रत्न हीरा

शुक्र रत्न हीरा

भगवान सहाय श्रीवास्तव

कठोरता में हीरे के मुकाबले कोई खनिज या रत्न नहीं टिकता है वरन् ऐसे गुण विद्यमान होते हैं जो इसे ज्योतिष में महत्वपूर्ण बना देते हैं। गरुड़ पुराण में कहा गया है कि सर्वश्रेष्ठ हीरा वह है जो विशेष प्रकार की दमकयुक्त हो। अगर जात... और पढ़ें

ज्योतिषउपायरत्नग्रह

जुलाई 2016

व्यूस: 4593

अष्टम भावस्थ शनि और मृत्यु

अष्टम भाव रहस्यमय है और इसके कुछ कारकत्व भी रहस्य से जुड़े हैं। शनि तो रहस्यमय है ही। अष्टम भाव का कारक भी शनि ही है। अष्टम भाव में ही 22वां द्रेष्काण होता है। शनि यदि अष्टम भावस्थ हो तो उसकी दृष्टियां दशम, द्वितीय व पंचम भावों प... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगघरग्रहभविष्यवाणी तकनीक

जुलाई 2005

व्यूस: 23832

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