यही है सदाशिव का प्राच्य पूजन केंद्र
यही है सदाशिव का प्राच्य पूजन केंद्र

यही है सदाशिव का प्राच्य पूजन केंद्र  

व्यूस : 5003 | मार्च 2008
यही है सदाशिव का प्राच्य पूजन केंद्र डाॅ. राकेश कुमार सिन्हा ‘रवि’ रतवर्ष में मंदिरों का इतिहास अति प्राचीन, गौरवपूर्ण और विशिष्ट रहा है। सनातन देवी देवताओं के सम्मान में बनाए जाने वाले इन मंदिरों की संख्या देश भर में कितनी है यह बताना एक दुरूह कार्य है, पर धर्मज्ञ इस तथ्य पर एकमत हैं कि देश में सर्वाधिक पूजन स्थल भोले भंडारी के हैं जिन्हें विशिष्टता व महानता के आधार पर आदर व सम्मान देते हुए समस्त भारतीय देवों में महादेव कहा गया है। संपूर्ण देश में कन्याकुमारी से कश्मीर तक और सौराष्ट्र से असम तक अनेकानेक प्राचीन शिव मंदिर हैं पर इनमें प्राचीनतम मंदिर है मगध का बराबर पर्वत पर अवस्थित सिद्धेश्वर नाथ महादेव मंदिर जो आज भी पुरातन शिल्पकृतियों से महिमामंडित प्राचीन आदर्शों से युक्त पूजन परंपरा को अपने में समेटे हुए है। यह महाभारत कालीन जीवंत कृतियांे में एक है और इसे सिद्धनाथ तीर्थ के रूप में भी निरूपित किया गया है। साक्ष्यों के अध्ययन-अनुशीलन से ज्ञात होता है कि महाभारत कालीन स्थल शृंगवेरपुर और हस्तिनापुर में भी शिव मंदिर विद्यमान थे परंतु आज तक जिस शिव मंदिर का अस्तित्व उस काल से बरकार है वह है सिद्धेश्वर। वैसे बरेली के निकटस्थ रामनगर में भी ई. शती के प्रारंभ के शिव मंदिर के अवशेष मिलते हैं। साथ ही राजगीर के पंचपर्वतों में एक वैमार पर्वत पर भी एक प्राचीन शिव मंदिर के साक्ष्य मिलते हैं जो सम्राट जरासंध की शिवभक्तित का प्रतिफल कहा जाता है। पर प्राप्त विवरण, स्थान-दर्शन और मूर्Ÿाशिल्प के अध्ययन से स्पष्ट होता है कि देश के प्राचीनतम मंदिरों में सर्वप्रमुख श्री सिद्धेश्वर नाथ महादेव मंदिर है। भारतवर्ष के पुरातन ऐतिहासिक पर्वतों में एक बराबर के सर्वोच्च शिखर (लगभग 1100 फुट ऊंचा) पर अवस्थित इस मंदिर की स्थापना कथा बलिपुत्र वाण से जोड़ी जाती है, जिसे वाणासुर भी कहा गया है। गया, पटना रेलवे लाइन पर अवस्थित बेलागंज रेलवे स्टेशन से 92 किमी. दूर बराबर पर्वत के शिखर पर युगों-युगों से पूजित श्री सिद्धेश्वर नाथ को नौ स्वयम् नाथों में प्रथम बताया जाता है। इनकी पूजन कथा शिवमंत्र वाणासुर से संबंधित होने के कारण इसे ‘वाणेश्वर महादेव’ भी कहा जाता है। सिद्धनाथ शिखर से लगभग दो मील उŸार पश्चिम ‘कौआडोल पर्वत’ पर भी एक प्राचीन शिव मंदिर विराजमान है पर यह ऐतिहासिक तथ्य पूर्णतया सत्य है कि महाभारत काल से जाग्रत शैव तीर्थ के रूप में सिद्धेश्वर नाथ प्रथम हंै। वाणासुर के बाद उसकी पुत्री उषा द्वारा इस स्थान में नित्य पूजन का विवरण मिलता है जिसे मौखरी वंश के जमाने में मंदिर का रूप दिया गया। विद्वानों का मानना है कि पूर्व मंदिर के अनुरूप ही नया मंदिर बनाया गया। जैसा कि बराबर पर्वत के ऐतिहासिक सप्तगुफाओं में वापिक गुफा के एक तरफ अंकित शिला पर तथ्यों से ज्ञात होता है, इसकी स्थापना योगानंद नामक ब्राह्मण ने की थी। मंदिर परिक्षेत्र में पाषाण खड़ो पर की गई उत्कीर्ण कलाकृति इस पूरे क्षेत्र को प्राच्य शिवाराधना क्षेत्र के रूप में स्थापित करता है। एक अन्य मत के अनुसार आदिकाल में मगघ में कौल संप्रदाय का जो वर्चस्व था, उसका केंद्र इसी पर्वत को बताया जाता है। इन्हीं कौल महापाषाणिकों के पूजन केंद्र के रूप में सिद्धेश्वर का नाम भी आता है। इस प्रकार इसकी प्राचीनता ई. पू. 600 ई. के लगभग स्वीकारी जाती है। ध्यातव्य है कि पूरे देश में सदाशिव के अनेकानेक स्थान हैं पर यह स्थल उतना ही प्राचीन है जितनी हमारी सभ्यता व संस्कृति। न सिर्फ धर्म वरन् सभ्यता संस्कृति व इतिहास-पुरातत्व से सरोकार रखने वालों के लिए बराबर प्राच्य काल से एक सदाबहार सैरगाह है जहां साल भर भक्तों व पर्यटकों का आगमन होता रहता है। श्री वसंत पंचमी, महा शिवरात्रि, पूरे श्रावण और अनंत चतुर्दशी को भक्तों के आगमन से यहां मेला लग जाता है। इतिहास है कि पाल काल में भी इस मंदिर का नव शृंगार कराया गया और मध्यकाल में भी यहां की उत्कृष्टता बनी रही। अंग्रेजों के कार्यकाल में जब सातों ऐतिहासिक गुफाओं का पता चला तब एक बार फिर सिद्धेश्वर मंदिर के विकास का नया मार्ग प्रशस्त हुआ। आज यहां तक जाने के लिए सीढ़ी व दुरुस्त मार्ग बन जाने से भक्तों को जानें में कोई परेशानी नहीं होती। कुल मिलाकर यह कहना समीचीन जान पड़ता है कि संपूर्ण देश के प्राचीनतम शिव मंदिरों में बराबर पर्वत के सिद्धेश्वर नाथ प्रथम स्थान पर विराजमान हैं जहां पर्व त्योहारों, खासकर शिव देवता से जुड़े पर्व-त्योहारों के अवसर पर दूर-दूर से भक्तों का आगमन होता है। सचमुच प्रकृति दर्शन और शैव आस्था का विराट सत्रा बराबर एक युगयुगीन तीर्थ स्थल है, जहां के भ्रमण दर्शन की बात वर्षों जीवंत बनी रहती है। श्रद्धा व आदर की दृष्टि से बराबर को ‘‘मगघ का हिमालय’’ कहा जाता है।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.