शत्रु बाधा निवारण और बगलामुखी डाॅ. अनिल शेखर शत्रु संहार के लिए तथा शत्रु बाधा के निवारण के लिए अगर कोई साधना है, तो वह है भगवती बगलामुखी साधना। राजसत्ता पर बैठा व्यक्ति, चाहे वह कोई भी हो, अनिवार्य रूप से इस साधना की प्राप्ति के लिए आतुर होता है। इतिहास साक्षी है कि भारत के बहुत से राष्ट्रपति तथा प्रधानमंत्री दतिया में बगलामुखी के सिद्ध पीतांबर पीठ पर अपना माथा टेकने आते रहे हैं। बगलामुखी को स्तंभन की देवी माना जाता है। वह शत्रु का स्तंभन कर देने में अद्वितीय हैं। शत्रु बाधा हो, या कोर्ट-कचहरी का चक्कर, बगलामुखी साधना से अनुकूलता की प्राप्ति होती ही है। भगवती बगलामुखी के मंत्र के बारे में यह कहा जाता है, कि यह अकेला मंत्र प्रचंड तूफान को भी रोकने में पूर्णतः सक्षम है। ऐसे अद्वितीय मंत्र की साधना करना जीवन का सौभाग्य होता है। अपनी जीवन रक्षा तथा विपरीत परिस्थितियों से बचाव के लिए यह अद्वितीय है। बगलामुखी साधना के लिए कुछ विशेष सावधानियों पर ध्यान देना अनिवार्य है: पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करें। साधना क्रम में स्त्री स्पर्श, चर्चा, संसर्ग का पूर्णतः निर्जित (जाग्रत और स्वप्नावस्था, किसी में भी) होता है। साधना डरपोक व्यक्तियों को तथा बच्चों को नहीं करनी चाहिए। बगलामुखी देवी अपने साधक को भयभीत कर के परीक्षा लेती हैं। साधना काल में भयानक आवाजें, या विचित्र आभास हो सकते हैं। इसलिए दृढ़ इच्छा शक्ति और संकल्प से युक्त व्यक्ति ही साधना करें। साधना से पहले गुरु का ध्यान और पूजन अनिवार्य हैं। बगलामुखी के भैरव मृत्युंजय हैं। इसलिए साधना के पूर्व एक माला महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। पीले रंग के वस्त्र तथा आसन होने चाहिएं। साधना उत्तर की ओर देखते हुए करें। मंत्र जाप हल्दी की माला से करें। हल्दी की माला बाजार में मिल जाती है। यदि न मिले, तो हल्दी की गांठों को पानी में भिगो दें। वे फूल कर मुलायम हो जाएंगी। तब 108 टुकड़े काट कर माला गूंथ लें। एक टुकड़ा सुमेरु, अर्थात माला के प्रारंभ को इंगित करने वाला बीच का मनका, बना कर लगा लें। इस प्रकार 109 टुकड़ों की जरूरत होगी। याद रखें, काटने और गूंथने का काम गीले टुकड़ों से ही करें। यदि सूखे टुकड़ों को छेदने की कोशिश करेंगें, तो वे टूट जाएंगे। अब इस गुंथी हुई माला को सुखा लें और माला तैयार है। इससे मंत्र जाप कर सकते हैं। जप के बाद यह माला अपने गले में धारण कर लें। इस बात का ध्यान रखें कि इसे कोई अन्य व्यक्ति स्पर्श न करे। यदि इस बात का डर हो, तो जाप के बाद माला साधना कक्ष में ही रखें। साधना रात्रि 9 से 12 बजे के बीच प्रारंभ करें। मंत्र के जाप की संख्या निश्चित करें। यह संख्या स्वयं की क्षमतानुसार निश्चित करें। इस प्रकार कम से कम 16 दिन तक मंत्र जाप करें। मंत्र जाप शुक्ल पक्ष में ही प्रारंभ करें। नव रात्रि सर्वश्रेष्ठ हैं। मंत्र जाप के पहले हाथ में जल ले कर अपनी इच्छा, स्पष्ट रूप से बोल कर, व्यक्त करें। गलत इच्छा, या परपीड़ा के लिए प्रयोग न करें। मंत्र जाप के समय यदि आवाज अपने आप तेज हो जाए, तो उसे न रोकें। साधना काल में इसकी चर्चा किसी से न करें। साधना काल में तेल, या घी का दीपक अवश्य जलाएं। शत्रु नाश के लिए बगलामुखी मंत्र ¬ ींीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्नां कीलय, बु(िं विनाशय ींीं ¬ स्वाहा।। बगलामुखी बीज मंत्र ींीं अपनी क्षमतानुसार शत्रु नाश, या बीज मंत्र का उपयोग करें। पुरश्चरण, अर्थात् पूर्ण अनुष्ठान 125000 मंत्रों का, या 1250 माला जाप से पूर्ण माना जाता है।