कालसर्प योग शांति के उपाय
कालसर्प योग शांति के उपाय

कालसर्प योग शांति के उपाय  

महेशनन्द शर्मा
व्यूस : 16491 | मई 2011

कालसर्प योग शांति के उपाय पं. महेशनंद शर्मा प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों में''कालसर्प योग'' काउल्लेख नहीं मिलता है। लेकिनव्यावहारिक दृष्टि से यह योग जातकको बहुत विचलित करता है। जबकुंडली में सातों ग्रह राहु व केतु केबीच हों तो यह योग बनता है। इसप्रकार बारह तरह के कालसर्प योगहोते हैं। यदि एक भी ग्रह राहु-केतुसे अलग हो तो फिर कालसर्प काअशुभ फल कम हो जाता है।

अन्य कालसर्प योगराहु से अष्टम स्थान में शनि हो तोकालसर्प योग बनता है। चंद्र से राहुया केतु आठवें स्थान पर हो तो कालसर्पयोग बनता है।जन्मांग में ग्रह स्थिति कुछ भी होकरयदि योनी सर्प हो तो कालसर्प योगबनता है।किसी भी जन्मांग में राहु केतु के बीचछः ग्रह हों लेकिन एक ग्रह राहु-केतुकी पकड़ के बाहर हो तो राहु-केतुके अंश से बाहरी ग्रह कम अंश परहोने पर भी कालसर्प दोष बनता है।कालसर्प योग को कमजोर बनानेवाले महत्वपूर्ण योग पंच महापुरुष योग होने अर्थात केंद्रमें स्वगृही या उच्च का गुरु, शुक्र,शनि, मंगल, चंद्र इनमें से कोई भीग्रह स्वगृही या उच्च का होने परकालसर्प योग भंग होता है।


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उच्च का बुध और सूर्य हो तो बुधादित्य योग होने पर कालसर्प योगकमजोर होता है। केंद्र में स्वगृही या उच्च के चंद्रमंगल से चंद्र मांगल्य योग बनता होतो कालसर्प योग भंग होता है।कालसर्प योग- शांति विधि-विधानः हमारे पूर्वाचार्यों ने कालसर्प शांतिका विधान बताया है। यह विधान अनेकवर्षों से प्रचलन में है।

यह विधि नदीके किनारे या श्मशान में शंकरजी केस्थान पर की जानी चाहिये। आजकलकुछ पुरोहित अपने ही घरों में यायजमानों के घरों में यह विधान संपन्नकरते हैं जो कि शास्त्र सम्मत नहींहै।महाराष्ट्र के सुप्रसिद्ध बारह ज्योतिलिंगोंमें से एक स्थान त्रयंबकेश्वर में यहविधि करना, करवाना उचित तथा शास्त्रसम्मत है। यहां यह विधि विधान प्राचीनकाल से होता आया है। त्रयंबकेश्वरमहाश्मशान है। गोदावरी नदी का पवित्रस्थान है। यहां के लोगों को इस विधिका संपूर्ण ज्ञान है।

निवारण उपाय

1. चौबीस मोर पंख लेकर उसकीझाडू सी बनावे तथा इसे सदैव शयनकक्ष में रखे तथा प्रतिदिन राहुकाल केसमय इससे जातक के शरीर पर झाड़ालगाये। सभी प्रकार के कालसर्प योगोंके लिये लाभकारी है।

2. यदि किसी स्त्री की जन्मकुंडली मेंकालसर्प योग है और इस कारण से संतान उत्पन्न करने में बाधा आती होया बार-बार गर्भपात हो रहा हो तोइसके निवारण के लिये उसे प्राचीनबड़ के वृक्ष की 72 दिनों तक 24परिक्रमा नियमित लगानी चाहिये।


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3. प्रत्येक माह की संक्रांति के दिनगंगाजल में गौमूत्र मिलाकर घर केसभी कमरों में छिड़काव करें।

4. रसोई घर में बैठकर भोजन करेंऔर बुधवार के दिन ताजी मूली कादान करें।

5. गौमूत्र से प्रतिदिन दांत साफ करेंव गौमूत्र को घर में रखें।

6. मसूर की दाल और कुछ धन सूर्योदयके समय गरीब हरिजन को दान करें।

7. चांदी की नाग प्रतिमा का रोजअभिषेक व पूजा करें। अभिषेक काजल नित्य ग्रहण करें।

8. लोहे का नाग नागिन का जोड़ाबनवाकर बहते पानी में बहायें।

9. राहु हमेशा मंत्र से वशीभूत होताहै। इसलिये उपासना को अधिक महत्वदें।

10. शिवलिंग पर तांबे का सर्पविधिपूर्वक चढ़ायें।

11. एक नारियल समुद्र या नदी मेंबहायें।



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