वास्तु कला भवन निर्माण की अद्भुत कला है। व्यक्ति यदि इस कला के अनुरूप निर्मित भवन में वास करे तो उसके चहुंमुखी विकास की संभावना बढ़ जाएगी और उसके संपूर्ण परिवार को सुख-शांति की प्राप्ति होगी। यहां प्रस्तुत हैं कुछ प्रभावशाली एवं अनुभवसिद्ध उपाय जो वास्तु दोष का शमन कर व्यक्ति के भाग्यशाली, सुखी, स्वस्थ एवं समृद्ध बनने में सहायक सिद्ध होंगे।
- बाहरी प्रदूषण, टोने-टोटकों, विभिन्न प्रकार के विघ्नों व वास्तुदोष से बचाव के लिए घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक, गणेश पाकुआ मिरर (अष्टकोणीय आईना) लगाएं।
- घर में सौभाग्य एवं व्यापार वृद्धि के लिए दुकान व घर के दरवाजों पर घंटी वाले भाग्यशाली सिक्के टांगें।
- व्यापार में आने वाली बाधाओं और किसी प्रकार के विवाद को निपटाने के लिए घर में क्रिस्टल बाॅल एवं पवन घंटियां लटकाएं।
- घर के उŸार-पश्चिम कोने में किसी भी धातु के सिक्कों से भरा हुआ कटोरा रखें, घर में लक्ष्मी की वृद्धि होगी।
- कभी भी तांबे के बर्तन में दूध नहीं यादवेंद्र नाथ शर्मा ‘वत्स’/ पं. महेश नंद शर्मा/डाॅ. बालकृष्ण शर्मा पीना चाहिए।
- टूटे-फूटे बर्तनों में खाना खाने से दरिद्रता बढ़ती है। हाथ पर, कपड़े पर, पत्थर और तांबे के बर्तन में कभी भोजन न करें।
- घर में टूटे-फूटे बर्तन या टूटी खाट नहीं रखनी चाहिए। टूटे-फूटे बर्तन रखने से कलियुग का वास और टूटी खाट रखने से धन की हानि होती है।
- घर के वास्तुदोष को दूर करने के लिए उŸार दिशा में धातु का कछुआ और श्रीयंत्र युक्त पिरामिड स्थापित करना चाहिए, इससे घर में सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
- घर में दो शिवलिंगों, दो शंखों, गणेश की तीन, सूर्य की दो और दुर्गा की तीन मूर्तियों की पूजा नहीं करनी चाहिए। मूर्तियों के साथ ही दो गोमती चक्रों और दो शालिग्रामों की पूजा भी नहीं करनी चाहिए। इससे अशांति होती है।
- घर में सुख-समृद्धि हेतु एवं वास्तुदोष निवारण हेतु श्वेतार्क गणपति (सफेद आंख), शमी, चाइनापाय, तुलसा, मौलसिरी, हरशृंगार, असली अशोक, मालती चंपा, कनेर, चमेली और केवड़े कदम आदि के पौधे अवश्य लगाएं। कांटेदार व कैक्टस के पौधे कतई न लगाएं, इनसे नकारात्मक ऊर्जा और विषैले बाण उत्पन्न होते हैं।
- घर में उŸार-पूर्व के कोने में कलश अवश्य स्थापित रहना चाहिए। नीचे के बड़े कलश में गंगाजल, उसके ऊपर चावलों से भरा लोटा और उसके ऊपर कलावा बंधा हुआ नारियल होना चाहिए।
- धनदाता कुबेर के प्रतीक लाफिंग बुद्धा की मूर्ति घर में लगाएं, चीन के साथ-साथ भारत में भी लाफिंग बुद्धा घर में स्थापित करने का प्रचलन दिनों दिन बढ़ता जा रहा है।
- घर में नवरत्नों का पेड़ लगाने से घर सुंदर व वहां का वातावरण सुहावना होता है एवं सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है। - दुकान अथवा मकान में वास्तुदोष निवारण यंत्र को शुद्ध धातु में बनवाकर और प्राण प्रतिष्ठित करवाकर स्थापित करवाएं।
- दुकान, फैक्ट्री या घर के मंदिर में लक्ष्मी जी के साथ दक्षिणमुखी सूंड वाले गणपति की मूर्ति स्थापित कर उनकी पूजा करें तथा बुधवार को दूब अवश्य चढ़ाएं।
- श्रीयंत्र को अपने पूजा स्थल पर रखें तथा श्रीसूक्त व लक्ष्मीसूक्त का पाठ करें वास्तुदोष दूर होंगे।
- वास्तुदोष से युक्त आवासीय या व्यावसायिक भवन में यदि पारद शिवलिंग की स्थापना कर दी जाए और नित्य उसकी श्रद्धा से पूजा अर्चना की जाए तो सभी प्रकार के वास्तुदोषों का निवारण हो जाता है।
- घर में तांबे का पिरामिड रखने और नौ दिन तक अखंड भगवत कीर्तन कराने से वास्तुदोष में कमी आती है।
- घर के मुख्य द्वार पर सिंदूर से स्वास्तिक का चिह्न बनाएं जो नौ अंगुल लंबा तथा नौ अंगुल चैड़ा हो वास्तु दोष दूर होंगे। चांदी का एक तार मुख्य फाटक के नीचे दबाएं और मुख्य फाटक की ओर मुंह कर पंचमुखी हनुमान जी का फोटो लगाएं।
- घर के मुख्य द्वार पर तुलसी एवं केले का वृक्ष लगाने से वास्तुदोष दूर होता है।
- अशोक, आम, पीपल और कनेर के पŸो बहुत ही शुभ माने गए हैं। इसे पŸाों को एक धागे में बांधकर उसका तोरण बनाकर मकान के मुख्य द्वार पर लटका देने से वस्तु दोष दूर होता है।
- पिरामिड के आकार का मंगल यंत्र घर में लगाने से वास्तुदोषों का नाश होता है।
- काले तिल, जौ, अश्वगंधा, गोखरू, चंदन, कपूर एवं घी को मिलाकर गाय के गोबर के कंडे जलाकर उस पर उसकी आहुति देने से तथा संपूर्ण घर में उक्त धूनी दने से घर के वास्तुदोषों का शमन होता है।
- जो व्यक्ति नित्य वास्तु देव के नाम पर काले तिल, जौ और घी को मिलाकर अग्नि को अर्पित करता है उसके घर में वास्तुदोषों का प्रभाव खत्म हो जाता है।
- ईशान कोण वास्तु पुरुष का मस्तिष्क है, अतः इस कोण के दोषों का निवारण करने से वास्तु दोषों का बहुत हद तक निवारण हो जाता है।
- घर का मुख्य दरवाजा अगर अंधकारमय हो, तो वहां पर प्रकाश के लिए बल्ब या ट्यूब लगाकर जलाएं और छोटे-छोटे हरे-भरे गमले भी रखें, इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा की वृद्धि होगी।
- पुष्य नक्षत्र में हनुमान जी के कंधे का सिंदूर लाकर घर या दुकान के अंदर की ओर चैखट के ऊपर लगाने से वास्तुदोष दूर होते हंै।
- दीपावली, होली, रामनवमी, शिवरात्रि आदि पर्वाें के अवसर पर अपने घर या प्रतिष्ठान में नवग्रह शांति करवाएं।
- दुकान में हमेशा पूर्वाभिमुखी या उŸाराभिमुखी होकर बैठें, गल्ला या तिजोरी पूर्व या उŸार की ओर खुले, शोकेस या भारी सामान पश्चिम या दक्षिण की ओर रखें।
- घर में प्रातःकाल व गोधूलि बेला मंे मंत्रों का कैसेट चलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- यदि आपके मकान के पास कई विशाल इमारतें हों, तो वे आपके मकान के कोने को प्रभावित करेंगी जिससे आपको मानसिक तनाव बना रहेगा। इससे बचने के लिए आप अपने घर पर लंबा दिशा सूचक यंत्र लगाएं जिसका तीर बड़ी इमारतों की ओर रखें।
- वृद्धों, माता-पिता एवं भाई-बहनों का उचित आदर सम्मान करें।
- प्रतिदिन गरीबों, गायों, कुŸाों और कौओं को भोजन कराएं।
- घर में अशुभ, कांटेदार, काले, दूध वाले वृक्ष आदि न लगाएं।
- घर की स्त्रियां सुखी रहें इस हेतु द्वार पर चढ़ती हुई शुभ बेलें लगाएं।
- अपनी रसोई में पूजा स्थान कदापि नहीं बनाएं।
- सीढ़ियों के नीचे देवस्थान तथा रसोई, बाथरूम, टाॅयलेट इत्यादि न बनाएं, अन्यथा हर समय परेशानी रहेगी।
- वर्गाकार या आयताकार भूखंड शुभ होता है।
- मुख्य द्वार पूर्व, उŸार या पश्चिम दिशा में रखें। दक्षिण दिशा में कदापि न रखें, इससे ताले लगने या उजड़ने की संभावना रहती है।
- उŸार पूर्व की दीवार पर कोई भी क्रूर फोटो या मूर्ति नहीं रखें।
- पूजा स्थल ईशान दिशा में हो, तो सदैव समृद्धि देता है। ईशान दिशा में कूड़ादान, जूता, चप्पल या झाड़ू नहीं रखें, इससे हानि होती है।
- ईशान दिशा में रेफ्रिजरेटर, जलपात्र, टंकी रख सकते हैं।
- धन का द्रव्य हमेशा उŸार तथा शयनकक्ष नैर्ऋत्य दिशा में शुभ होता है। तिजोरी में लक्ष्मी के साथ राहु की तस्वीर जरूर रखें, राहु की पूजा करने से घर में लक्ष्मी का वास होता है।
- शौचालय पश्चिम दिशा में बनाएं किंतु उसकी सीट को कभी भी पूर्व की तरफ न रखें, उŸार दिशा की तरफ रखें, इससे बीमारी से बचाव होता है।
- भवन 16, 11, 9, 7, 5 या 3 कमरों का होना चाहिए।
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