छोटे-छोटे उपाय हर घर में लोग जानते हैं, पर उनकी विधिवत् जानकारी के अभाव में वे उनके लाभ से वंचित रह जाते हैं। इस लोकप्रिय स्तंभ में उपयोगी टोटकों की विधिवत् जानकारी दी जा रही है। अधरंग व पक्षाघात इसे शरीर में लकवा का रोग कहते हैं। प्रायः यह वृद्ध पुरुष व स्त्रियों को अधिक होता है। जो लोग शराब अधिक पीते हैं भांग अथवा चरस गांजा का सेवन करते हैं, उन्हें तनाव के कारण यह रोग होता है। इस रोग में मानसिक विकार सबसे बड़ा कारण है क्योंकि मस्तिष्क की नसें ठीक से कार्य नहीं करती हैं जिस कारण यह रोग हो जाता है। एक उड़ने वाला सर्प है कभी-कभी उसके उपर से गुजरने पर भी इसका अटैक होता है। हां यह हम मानते हैं कि यह रोग जीवन को नरक में धकेल देता है। अतः नशा का प्रयोग न करें अथवा कभी भी चपेट में आ सकते हो। गांवों में पुराने हकीम लोग आज भी इसकी यह औषधि बनाकर खिलाते हैं। सौंठ - हर्र - तुलसी रसना सभी समान मात्रा में लेकर इमामदस्ते में कूट कर, छानकर बारीक पावडर बना लें। चार-चार घंटे के बाद अपने धर्म के देवी देवता का नाम लेकर व्याधिग्रस्त भाग पर मलें यह नियम प्रातः तथा सायं बना लें। शुद्ध रेशमी वस्त्र से उन अंगों को सहलाते रहें जहां पर यह रोग है। केले खाने को दें। जिधर पक्षाघात है उधर ही लिटायें जब तक कि रोगी न कहे कि बदल दो। टोटका: मंगलवार के दिन बहते पानी में तांबे का टुकड़ा पक्षाघात से पीड़ित अंग का स्पर्श कराके 11 मंगलवार तक करते रहें। निश्चित लाभ होता है। सात पाव आटे का चूर्मा बनाकर उसमें घी, गुड़, मावा मिलाकर हनुमान जी को सवा सेर का रोट बनाकर हनुमान मंदिर में चढ़ा दें। लकवे का तांत्रिक मंत्र मंत्र: ऊँ नमो करवलाई भरी ललाई जहां बैठ हनुमता आई। पके न फूटे चले न पीड़ा आकाश देवी, पाताल देवी, उल्लूकणी देवी टुंकटुकी देवी, आती देवी, चंद्र गेहल देवी हनुमान जती अंजनी का पूत, पवन का न्याती वज्र का कांच वज्र का लंगोटा ज्यू चले ज्यू चल। हनुमान जती की गदा चले ज्यू चल। राजा रामचंद्र का वरण चले ज्यूं चल। गंगा जमुना का नीर चले ज्यूं चल। दिल्ली आगरा का गोली चले ज्यूं चल। कुम्हार का चावल चले ज्यूं चल। गुरु की शक्ति हमारी भक्ति। चले मंत्र ईश्वर वाचा। आशापुरी धूप लगाकर मोरपंख से दिन में तीन बार झाड़ा देना चाहिए। प्रत्येक झाड़े में इस मंत्र को 7 बार बोलना चाहिए। 21 दिन तक लगातार झाड़ा करने रोगी रोग मुक्त होता है निम्न रक्तचाप - मूंगफली की गिरी को पानी में डालकर तथा उमसें 100 ग्राम दूध मिलाकर पीने से रक्तचाप सामान्य हो जाता है। - 100 मिली ग्राम गाजर का रस, 100 मिली दूध में मिलाकर पीने से निम्न रक्तचाप सामान्य होता है। - स्वर्ण माक्षिक भस्म 2 रत्ती मुच्मापिष्टी 4 रत्ती शहद के साथ मिलाकर लेने से निम्न रक्तचाप में लाभ होता है। - प्रवाल विष्टी 4-4 रत्ती मलाई के दूध के साथ दिन में 3 बार लेने से निम्न रक्तचाप सामान्य होता है। मोती भस्म की एक रत्ती मलाई के साथ खाना खाने से निम्न रक्त चाप में लाभ मिलता है।