अच्छी कार्ड-रीडिंग के लिए सहायक टिप्स मूल प्रश्न को कभी ओझल न होने दें। विचारधारा के या विचार-मंथन के मध्य में प्रश्न का संदर्भ कभी नहीं बदलना चाहिए। यदि बीच में कुछ प्रेम संबंधी कार्ड आ भी जाएं तो ध्यान मूल प्रश्न (मान लीजिए कार्य-भविष्य) से प्रेम-संबंध पर नहीं जाना चाहिए। मूल व्याख्या एक ही प्रश्न के संदर्भ में होनी चाहिए। यदि व्याख्या के दौरान आप किसी दूसरे प्रश्न की तरफ आकृष्ट भी होते हैं तो यथासमय उसको भी पूछिए, परंतु (मूल) प्रश्न के बाद। दो बार कतई न पूछें: प्रश्न कर्ता के लिए एक ही प्रश्न को एक दिन में दुबारा पूछा जाना वर्जित है। उत्तर से संतुष्ट न हों तो शांत रहें। यदि किसी प्रश्न का प्रत्याशित उत्तर नहीं मिलता तो यह इसी जीवन का हिस्सा है जो मनचाही गति से एक निश्चित दिशा में नहीं जाता। हमेशा याद रहना चाहिए कि उत्तर निर्भर है उस वक्त कार्यरत ऊर्जा की तीव्रता या स्पष्टता पर। भविष्य में परिवर्तन तो आ ही सकता है। ऊर्जाओं में परिवर्तन के अनुसार भविष्य भी परिवर्तित होता जाएगा। यदि कोई बात आज असंतुष्टि छोड़ती है तो उसके बारे में कल या दूसरे दिन पूछा जा सकता है। 3. अच्छे प्रश्न ही पूछें हां/ना जैसे प्रश्न पूछने के बजाए ऐसे प्रश्न पूछे जाने चाहिए जिनमें स्पष्टता ज्यादा हो। इस प्रकार के प्रश्न से न सिर्फ प्रश्नकर्ता की मानसिक स्थिति ज्यादा उजागर होगी बल्कि अन्य संलग्न लोगों का प्रभाव भी स्पष्ट प्रकट हो जाएगा। 4. ‘हां/ना प्रश्न ‘हां/नां जैसे प्रश्नों के लिए 2 कार्डों वाला स्प्रैड (या बिछाव) सही रहता है। यह बिछाव इन सवालों के लिए भी ठीक रहता है जैसे: नई वाशिंग मशीन खरीदी जाए कि पुरानी की मरम्मत करवा ली जाए? इत्यादि। 5. टैरो कार्ड-पठन का माहौल माहौल का अर्थ है बाहरी इंतजाम और आंतरिक मनःस्थिति। इसके लिए पांच प्रकार की जरूरतें होती हैं यथा। (प) खुले दिमाग से विचार करें खुले दिमाग का अर्थ है बिना किसी पूर्वाग्रह के पूरी तन्मयता से बात सुनना; बिना किसी झिझक या आशंकित मनःस्थिति के जो चीज या सूचना सामने आए उसको उसी प्रकार ग्रहण करना। यदि दिमाग खुला रखेंगे तो आपको वह सब कुछ प्राप्त होगा जिसकी आप कामना कर रहे हैं। (पप) शांत रहें टैरो संदेश बहुत ही सूक्ष्मता और बारीकी से सामने आते हैं। यदि मष्तिष्क शांत नहीं होगा तो वह संदेश पकड़ में ही नहीं आएंगे। मस्तिष्क की स्थिति वैसी ही होनी चाहिए जैसी कि ध्यान करते वक्त होती है। (पपप) सतर्क रहें इस संदर्भ में शांति का सही अर्थ है दिमाग में उठने वाले हर विचार तथा कार्डों से प्राप्त होने वाले हर संदेश को ग्रहण करने की क्षमता। कार्ड रीडर पूरी तरह सतर्क रहने पर ही उन सभी संदेशों को पकड़ पायेंगे। पहरे पर पहरेदार सतर्क होते हैं; टैरो कार्ड रीडर को भी पूरी तरह शांत एवम् चैकन्ना होना जरूरी है, तभी सटीक बात कह सकेंगे। (पअ) ध्यान को केंद्रित रखें टैरो पठन या रीडिंग के समय जब प्रश्न सामने आए तो पूरा ध्यान उसी पर केंद्रित रखें। पूरी एकाग्रता से प्रश्न को समझने के बाद उसके समाधान की संभावनाएं खुद व खुद सामने आने लगेंगी। समस्या में पूरी रूचि नहीं लें तो बोरियत का अनुभव होगा। जो कार्ड रीडर की मानसिक शक्ति और प्रखरता को कुंद कर देगा। (अ) पूरे सम्मान का भाव रखें सम्मान का अर्थ है कार्डों को एक देवी-संदेश का वाहक समझकर उनके प्रति पूरी श्रद्धा और सम्मान का भाव रखना। यहां कार्ड ही वह निमित्त हैं जो आपको सही संदेश देंगे। इस पद्धति में श्रद्धा और सम्मान की उतनी ही जरूरत होती है, जितनी पूजा में अपने इष्ट का ध्यान करते समय। यद्यपि यह गुण आवश्यक तो हैं परंतु अपरिहार्य नहीं। इसके बगैर भी कार्ड का सही पठन किया जा सकता है। परंतु वह तरीका समस्याप्रद ज्यादा है। अंतःचेतना पूरी तरह जागृत होने पर कार्डों के संदेश को सही प्रकार से और आसानी से ग्रहण किया जा सकता है। कार्ड सत्र प्रारंभ करने के पूर्व मनःस्थिति पर गौर करना जरूरी है। मन शांत और दिमाग केन्द्रित होने पर ही कार्ड रीडिंग करें। यदि ऐसा न हो तो सत्र को आगे के लिए टालना ही श्रेयस्कर रहेगा। भीतरी माहौल के अलावा पूरी सैटिंग का प्रभाव भी बहुत माने रखता है। यह सत्र कहां होना चाहिए? आदर्श स्थल तो वही है जहां शांति हो, शोर-शराबा न हो और मस्तिष्क भी ज्यादा व्यवस्थित और केंद्रित हो। अंदर तथा बाहर दोनों तरफ एक ‘पूज्यता’ का भाव प्रतिलक्षित होना जरूरी है। इसलिए यह काम निश्चित तौर पर किसी रेलवे प्लेटफार्म या एयरपोर्ट पर नहीं किया जा सकता। टैरो कार्ड रीडर को कार्ड रीडिंग अपने घर पर ही करना चाहिए। इसके लिए घर में ही एक कक्ष सुरक्षित कर लेना चाहिए। बार-बार एक ही जगह कार्ड पठन करने से उस कक्ष में स्वतः ही एक दिव्यता का समावेश हो जाता है। इसी जगह यदि ध्यान और पूजा पाठ भी नियमित रूप से होता रहे तो दैवी संदेशों को ग्रहण कर एक शुभ वातावरण स्वयम् ही सृजित होने लगेगा। पूरी समरसता के साथ कार्ड पठन करना अपनी अंतप्र्रज्ञा को जागृत रखना ही है। यदि अलग से कक्ष या कमरे की गुंजाइश न हो तो, ड्राइंग रूम या स्टडी रूम का कोई कोना इस काम के लिए सुरक्षित रखना चाहिए। चाहे तो पर्दा इत्यादि लगाकर बाहरी व्यवधानों को दूर रखा जा सकता है। साथ ही साथ ऐसा प्रयत्न करें कि सब कुछ सुंदर व सार्थक लगे। जिन चीजों की जरूरत पड़ सकती है उनको अपने पास ही रखना चाहिए। कुछ लोग कुछ प्राकृतिक वस्तुएं जैसे शुभ सीप, पत्थर (शालिग्राम पत्थर भी) क्रिस्टल तथा कुछ शुभ पौधे भी रख लेते हैं। कोई ताबीज, रुद्राक्ष या कोई नग, अपने गुरु या इष्ट की मूर्ति या तस्वीर इत्यादि को पास रख लेते हैं जिनसे उन्हें प्रेरणा प्राप्त होती है। यदि कोई लैंडस्केप या अन्य फोटोग्राफ रखना चाहें तो बेशक रखें परंतु उनके दर्शन से मन में शांति या एकाग्रता का जागरण होना चाहिए। कोई उम्दा प्राकृतिक सीनरी/दृश्य, समुद्री विस्तार या प्राकृतिक सुषमा दिखाने वाली पेटिंग ऐसे माहौल में काफी प्रेरणादायक सिद्ध होती है। हल्का संगीत व मंद रौशनी भी मूड को सृजनात्मक व आध्यात्मिक बनाने में सहायक होते हैं। वैसे यह व्यक्ति-व्यक्ति के अपने स्वभाव पर भी निर्भर है। यूं तो जमीन पर आसन पर विराजमान होने से एक स्थायित्व का भाव स्वतः ही जागृत हाता है, किंतु यदि आयु या अन्य शारीरिक कमियों के कारण कुर्सी-मेज का सहारा लेना पड़े तो भी कार्ड रीडर का आसन आरामदायक होना चाहिए। यदि मेज हो तो वह पत्थर या लकड़ी की होनी चाहिए, लोहे या अन्य धातु की नहीं। चाहे आप जमीन पर आसन जमाएं या कुर्सी पर, इसका ख्याल रखें कि उसमें लगने वाला कपड़ा प्राकृतिक हो, कृत्रिम नहीं। रेशमी, सूती, गर्म कपड़ा या लिनन तो ठीक रहेगा लेकिन नाइलाॅन इत्यादि ऊर्जा के संवाहक होने के कारण ध्यान पूरी तरह केन्द्रित रखने में बाधा होगी। कपड़ों का रंग भी सावधानी से चुनंे क्योंकि रंग अपनी ऊर्जाएं स्वयं साबित करते हैं। काला, गहरा नीला तथा जामुनी रंग इस काम के लिए सही रहता है। इन कपड़ों पर कोई डिजाइन तथा पैटर्न नहीं होना चाहिए तो वह कार्डों की छवियों को प्रभावित कर सकता हे, खास तौर पर पृष्ठभूमि में पर्दे इत्यादि पर कोई ऐसी डिजाइन या चित्र होना चाहिए जो कार्डों की छवियों को आवृत कर सके। कार्डों को सदैव किसी केस या डिब्बे में रखना चाहिए। इस सावधानी से उनकी ऊर्जा उन्हीं में कायम रहती है। यह केस या आवरण लकड़ी पत्थर, सीप या किसी प्राकृतिक वस्त्र का हो सकता है। कई लोग अपने ऐसे कार्ड-केस स्वयं बनाते हैं। ये केस ऐसे रेशम के थैले हो सकते हैं जिन पर गुलकारी द्वारा पृथ्वी-चांद-सितारों के चित्र अंकित हों। रेशम का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है कि रेशम में एक शुभता और बहुमूल्य का भाव निहित रहता है। टैरो कार्ड जिसके पास रहता है वह उसकी स्वयम् की ऊर्जा तथा चरित्र से प्रभावित होता है इसलिए कार्ड रीडर को अपनी गड्डी को सदैव अपने पास ही रखना चाहिए क्योंकि यह कार्ड वह यंत्र हैं जो अव्यक्त को व्यक्त करने में सहायक होता हैं तथा किसी के मन को भेद कर उसके रहस्य उजागर करने के लिए गुप्तचर का कार्य करता है। इनसे कार्ड एक व्यक्तिगत तादात्म्य स्थापित होना चाहिए। इस तैयारी के साथ कार्डों का पठन-पाठन करते समय होने वाले अनुभवी काफी अभिभूत करने वाले होते हैं। लेकिन उस सबके लिए और कुछ खास करने की जरूरत नहीं होती बस एकाग्रता से कार्डों को पढ़ें।