मधुमेह रोग आचार्य अविनाश सिंह आधुनिक युग में मधुमेह का प्रभाव सभी उम्र के लोगों पर देखा जा सकता है। यह वह मीठा जहर है जो यकृत और क्लोम गं्रथि (पैक्रियाज) में गड़बड़ी के कारण होता है। क्लोम गं्रथि आमाशय के नीचे बीच में आड़ी पड़ी होती है जो पेट के ऊपरी भाग में स्थित है। इससे इंसुलिन नामक हार्मोन निकलकर सीधे रक्त में मिलता है। यह रक्त में उपस्थित शर्करा (ग्लूकोज) का आक्सीकरण करके ऊर्जा उत्पन्न करता है। इंसुलिन के कारण ही रक्त में ग्लूकोज की मात्रा एक निश्चित स्तर से अधिक नहीं बढ़ने पाती। जब किन्हीं कारणों से क्लोम ग्रंथि से निकलने वाले इंसुलिन की मात्रा कम हो जाती है या उसका निकलना बंद हो जाता है तो फिर रक्त शर्करा का चय-अपचय ठीक ढंग से न होने के कारण रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। यह ग्लूकोज गुर्दे द्वारा भी पूरी तरह से अवशोषित नहीं हो पाता, परिणामस्वरूप मूत्र मार्ग से भी ग्लूकोज निकलने लगता है इसी स्थिति को मधुमेह कहते हैं। मधुमेह का वर्गीकरण एवं लक्षण: इंसुलिन आश्रित मधुमेह: इस प्रकार के रोगी को रक्त ग्लूकोज पर नियंत्रण रखने के लिए इंसुलिन का इंजेक्शन लगवाना पड़ता है। इसलिए इसे इंसुलिन आश्रित मधुमेह कहते हैं। लक्षण: बार-बार भूख लगना और पेशाब जाना, वजन कम होना। पेशाब में अत्यधिक शर्करा बह जाना। शर्करा पर नियंत्रण के लिए इंसुलिन पर आश्रित होना। इंसुलिन अनाश्रित मधुमेह: इसके रोगियों को इंसुलिन इंजेक्शन की आवश्यकता नहीं होती। ऐसा मधुमेह अधेड़ उम्र या वृद्धावस्था में होता है। इसके भी दो प्रकार हैं- मोटे व्यक्तियों का मधुमेह सामान्य कद के व्यक्तियों का मधुमेह ऐसे रोगियों में कोई प्रत्यक्ष लक्षण नहीं मिलते। जांच में अचानक पता लगता है कि रोगी को मधुमेह है। कुछ रोगियों में मधुमेह के आम लक्षण जैसे बार-बार पेशाब जाना, बार-बार भूख लगना, घाव न भरना, त्वचा और फेफड़ों का संक्रमण बार-बार होना आदि मिल सकते हैं। कुपोषण जनित मधुमेह: कुपोषण के कारण ऐसे मधुमेह के रोगी अधिक देखे जाते हैं। इन रोगियों में कुपोषण के साथ-साथ खाद्यों में मौजूद विषैले तत्व भी मधुमेह के लिए उŸारदायी होते हैं। यह रोग आनुवंशिक भी होता है। मधुमेह के अन्य प्रकार: गुर्दों की खराबी के कारण भी मधुमेह हो सकता है। ऐसी स्थिति में गुर्दे भी बारीक नलिकाओं द्वारा रक्त की शर्करा का पूरा अवशोषण नहीं हो पाता और शर्करा मूत्र में मौजूद रह जाती है। वंशानुगत होने के कारण और मां-बाप में से कोई भी यदि मधुमेह रोग से पीड़ित हो तो बच्चों को भी रोग की संभावना रहती है। मधुमेह के घरेलू उपचार मेथी दाना छः ग्राम लेकर कूट लें और सांय पानी में भीगने के लिए छोड़ दें। प्रातः इसे खूब घोंटें और बिना मीठे के पीएं। दो माह तक सेवन करने से मधुमेह रोग दूर हो जाता है। ताजा बेलपत्र के पांच पŸो तथा दस काली मिर्च दोनों को ठंडाई की तरह घांेटकर-पीसकर पीने से मधुमेह रोग दूर होता है। हरे करेले को कूटकर उसका पानी निचोड़ कर पांच तोला प्रतिदिन पिएं। टमाटर का सलाद, टमाटर की भाजी और रस का सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है। बसंत कुसुमाकर रस एक-एक रŸाी सुबह-शाम करेले के रस के साथ लें। शिलाजीत का सेवन मधुमेह के रोगियों के लिए उपयोगी है। चंद्रप्रभावटी की दो-दो गोली (गुड़ुची-सत्व) के साथ सुबह-शाम लें। जामुन की गुठली का चूर्ण दस ग्राम, गुड़मार बूटी सौ ग्राम, सौंठ पचास ग्राम, खारपाड़े के रस में पीसकर बराबर गोलियां बनाकर सुबह-शाम, एक-एक गोली खाएं। 20 ग्राम जामुन की गुठली और खसखस के छिलके को पीसकर छानकर सुबह-शाम दो-दो ग्राम छाछ या पानी के साथ सेवन करने से लाभ होता है। बरगद के अकरों का काढ़े में शहद डालकर पीने से मधुमेह ठीक हो जाता है। पलाश के फूलों का काढ़ा, मिश्री मिलाकर एक माह तक पीने से मधुमेह ठीक हो जाता है। सदाबहार के पŸाों व जड़ों को पीसकर पीने से मधुमेह में लाभ मिलता है। छोकर के 10 ग्राम पŸाों के साथ 3 ग्राम जीरा मिलाकर, पीसकर, एक पाव दूध में मिलाकर 15 दिन खाएं,मधुमेह में लाभ मिलेगा। देवदारू, नागर मोथा तथा त्रिफला को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पीने से मधुमेह में लाभ मिलता है। गुड़ मार के पŸो व जामुन के पŸो 5-5 ग्राम लेकर, काढ़ा बनाकर, सुबह-शाम लेने से मधुमेह नष्ट हो जाता है। बिल्व के पŸाों का रस 2 ग्राम, 7 दिन तक प्रातः लेने से पेशाब में शुगर आना बंद हो जाता है। दारु, हल्दी, मुलहठी, त्रिफला तथा चिजरू को बराबर लेकर, काढ़ा बनाकर, सुबह-शाम, एक-एक कप पीने से सब प्रकार से मधुमेह नष्ट हो जाता है। बबूल, नीम, जामुन और बेल सभी के पांच-पांच पŸो, गुड़हल के फूल दो सबको पीसकर छान लें और सौ ग्राम पानी में घोलकर दिन में एक बार भोजन के बाद पिएं, मधुमेह जड़ से दूर हो जाता है। भुने चने 200 ग्राम, भुनी लाल फिटकरी 10 ग्राम सबको बारीक पीसकर रख लें। सोते समय ताजे पानी से खाकर सो जाएं। चार दिन में ही मधुमेह में लाभ नजर आयेगा। सीताफल वृक्ष की एक-एक पŸाी प्रतिदिन प्रातःकाल, चटनी की भांति पीसकर, घोलकर 21 दिन तक पिएं। प्रतिदिन एक-एक पŸाी बढ़ाते हुए 3 सप्ताह तक ले जाएं। मधुमेह में लाभ मिलेगा।