मित्रता किनसे करेंें जानिए हस्त रेख्ेखाओं ें द्वारा भारती आनंद रि श्तों की बुनियाद विश्वास से बनती है। यह विश्वास रिश्तों की तरह दोस्ती में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अगर आप किसी अच्छे मित्र की तलाश में हैं या कोई आपकी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ता है तो आप अवश्य चाहेंगे कि वह मित्रता में खरा उतरे, सुख दुख में काम आए। दोस्त ही एक ऐसा व्यक्ति होता है जिसे वे बातें भी बताई जा सकती हैं, जो जीवन साथी से भी नहीं कही जा सकतीं। व्यक्ति चाहता है कि उसका कोई मित्र हो और उसकी मित्रता सच्चा हो। मित्रता अन्य संबंधों से भिन्न होने पर भी जीवन में एक अहम भूमिका निभाती है। लेकिन सच्चा और अच्छा मित्र पाना इतना आसान नहीं है। कवि ‘थिरुवल्लूर’ का कहना है कि किसी को दोस्त बनाने से पहले उसकी दोस्ती को जांच लेना चाहिए क्योंकि किसी के चेहरे पर अच्छा-बुरा कुछ नहीं लिखा होता है। आइए, जानें कि हाथ की रेखाएं दोस्ती को किस तरह से प्रभावित करती हैं या दोस्ती के संबंध की दिशा और दशा तय करने में उनकी क्या भूमिका है? अधिकांश हाथों में जीवन रेखा सीधी होती है। यह एक दोष माना जाता है। कई बार देखने में आता है कि यह शुरू में सीधी तथा बाद में गोल हो जाती है। गोल होने पर यह दोषमुक्त हो जाती है। भाग्य रेखा का शुरू से अंत तक मोटा होना भी एक दोष माना जाता है। इस दोष के रहते तथा जीवन रेखा के सीधे होने से मनुष्य में लालच अधिक होता है। इन दोषों के अतिरिक्त यदि किसी के हाथ में शुक्र क्षेत्र भी उठा हो, तो उससे मित्रता कतई नहीं करनी चाहिए क्योंकि वह दुश्चरित्र होता है। इसके अतिरिक्त मस्तिष्क रेखा पर भी ध्यान देना चाहिए। जिस व्यक्ति की मस्तिष्क रेखा ज्यादा साफ-सुथरी हो वह सच को झूठ तथा झूठ को सच साबित करने वाला होता है। स अंगूठा मोटा व छोटा हो तथा मस्तिष्क रेखा में द्वीप हो, तो व्यक्ति क्रोध की अवस्था में ज्ञान शून्य हो जाता है। यदि हृदय व मस्तिष्क रेखा भी समानांतर हों तो व्यक्ति मित्रता को दांव पर लगाकर मित्र की हत्या तक करने से नहीं चूकता है। उसे अपमान बरदाश्त नहीं होता। अतः जहां तक हो सके ऐसे लोगों से दूर ही रहना चाहिए। इसके अतिरिक्त हाथ में अन्य दोष होने पर व्यक्ति कुटिल होता है। ऐसे लोगों में हिम्मत तो होती है पर बुद्धि नहीं होती। स मित्रता करते वक्त उंगलियों पर भी विशेष ध्यान दें क्योंकि उंगलियां चरित्र का परिचायक होती हैं। ऐसे किसी व्यक्ति से मित्रता न करें, जिसकी उंगलियां छोटी व मोटी हों। उंगलियों का मोटा होना अल्प बुद्धि होने का द्योतक है। उंगलियां जितनी मोटी होंगी व्यक्ति उतना ही क्रोधी, वहमी, व चिड़चिड़ा होगा। ऐसे लोग परिणाम की चिंता नहीं करते। क्रोध आने पर या मन में निश्चय होने पर उचित या अनुचित परिणाम पर विचार किए बिना कार्य कर डालते हैं। इस लक्षण के साथ-साथ यदि मस्तिष्क रेखा शाखाहीन हो, तो व्यक्ति बहुत स्वार्थी होता है। उससे लेन-देन या किसी अन्य प्रकार का व्यवहार हितकर नहीं होता। मस्तिष्क रेखा बहुत अच्छी हो, हृदय रेखा में दोष हो व गुरु की उंगली छोटी तथा बुध की उंगली टेढ़ी हो, तो व्यक्ति अपने मित्र से लेना तो जानता है पर देना नहीं जानता। ऐसे लोग अनैतिक कार्य से धन कमाने वाले होते हैं तथा अपने किसी मित्र को भी इसमें फंसा देते हैं। इस लक्षण के साथ-साथ यदि शुक्र का क्षेत्र भी उभरा हुआ हो तो पर स्त्री के चक्कर में स्वयं तथा अपने मित्र को भी उलझाते हैं तथा अपना उल्लू सीधा करते हैं। हाथ का रंग मटमैला हो, तो इनके संबंध किसी से भी स्थायी नहीं रहते। ये लोग दूसरों की आलोचना करने के आदि होते हैं। मस्तिष्क रेखा मुड़कर चंद्र क्षेत्र पर समाप्त हो, उंगलियां लंबी हों, तो व्यक्ति भावुक, कल्पनाशील, बातें अधिक व काम कम करने वाला होता है। वह खुद भी डरपोक होता है और अपने मित्रों को भी डराता रहता है। ऐसे लोग न तो खुद कुछ करते हैं न अपने मित्रों को कुछ करने देते हैं। दोनों हाथों में यदि ऐसा लक्षण हो, तो व्यक्ति आत्महत्या तक करने से नहीं चूकता। इनके साथ शुरू-शुरू में मित्रता करनी तो अच्छी लगती है। किंतु बाद में व्यक्ति, इनके स्वभाव की वजह से परेशान हो जाता है। इसलिए ऐसे लोगों से सोच समझ कर ही मित्रता करें। स अगर आपके किसी मित्र के हाथ में मस्तिष्क रेखा में कुठार रेखा हो, तो यह कोई अच्छा लक्षण नहीं माना जाता है। मस्तिष्क रेखा कितनी भी अच्छी हो, कुठार रेखा होने पर उसके फल में कमी हो जाती है। जिन लोगों की मस्तिष्क रेखा में यह दोष होता है, वे अपने कुटंुबियों और मित्रों से परेशान रहते हैं। वे काम से जी चुराते हैं। इस लक्षण के साथ-साथ यदि हाथ पतला हो, तो व्यक्ति झूठी तारीफ करने वाला होता है। मस्तिष्क रेखा में कुठार रेखा, जीवन रेखा और मस्तिष्क रेखा का जोड़ लंबा हो और हृदय रेखा भी वहीं मिलती हो, तो ऐसे लोग जीवन भर किसी न किसी समस्या में खुद तो फंसें रहते ही हैं, अपने मित्रों को भी बेवजह फंसाए रखते हैं। हाथ नरम, गुलाबी और गुदगुदा हो तथा छूने में चिकना महसूस हो, जीवन रेखा गोल और भाग्य रेखा मोटी से पतली या शुरू से ही पतली हो, तो व्यक्ति का स्वभाव मधुर होता है। इस लक्षण के साथ भाग्य रेखा यदि एक से अधिक हों, तो ऐसे लोग मित्रगण, संबंधियों, सेवकों की सहायता करते हैं। उनमें सहनशीलता भी बहुत अधिक होती है। दूसरों के मामलों में हस्तक्षेप करना उन्हें पसंद नहीं होता है। भाग्य रेखाएं अधिक होने की वजह से संपत्ति, सवारी, धर्मशाला, मंदिर, मित्र आदि पर व्यय करते हैं। जरूरतमंदों के प्रति काफी उदार होते हैं। अतः ऐसे लोगों से मित्रता करनी चाहिए। ये लोग यथा संभव मित्रता का निर्वाह करते हैं। उंगलियां लंबी हों, हृदय और मस्तिष्क रेखाओं में अंतर अधिक हो, अंगूठा लंबा व पतला हो और पीछे की तरफ झुकता हो तथा हाथ मुलायम हो, तो व्यक्ति मित्रता निभाने वाला होता है। ऐसे लोग बेईमान प्रवृत्ति के नहीं होते। स मस्तिष्क रेखा में थोड़ा सा दोष हो, भाग्य रेखा जीवन रेखा से थोड़ी दूरी पर हो, जीवन रेखा के साथ मंगल रेखा हो, अंगूठा व उंगलियां पतली और पीछे की तरफ झुकने वाली हों, हृदय रेखा का अंत गुरु पर्वत पर या उससे थोड़ा नीचे हो, तो व्यक्ति मित्र का दुख दर्द समझने वाला होता है। उसकी कोशिश रहती है कि मित्रता बनी रहे। हृदय व मस्तिष्क रेखाओं में अंतर अधिक हो, हाथ भारी, गुलाबी और गुदगुदा हो, उंगलियां लंबी या मध्यम आकार की हों, गुरु की उंगली सूर्य की उंगली से बड़ी या उसके बराबर हो और भाग्य रेखा की संख्या एक से अधिक होने पर व्यक्ति दयालु, दानी, उदार व विशाल हृदय का होता है। ऐसे लोग ईमानदार व सतर्क होते हैं। वे न तो स्वयं बेईमान होते हैं न ही बेईमानी करने देते हैं। ऐसे लोगों की मित्रता चिरस्थायी होती है। इनके अतिरिक्त और भी कई लक्षण हैं जिनके आधार पर मित्रता के लिए किसी व्यक्ति की पहचान की जा सकती है। इसके लिए रेखाआंे की सही जानकारी जरूरी है।