श्री सत्यनारायण व्रत
श्री सत्यनारायण व्रत

श्री सत्यनारायण व्रत  

व्यूस : 8751 | अप्रैल 2008
श्री सत्यनारायण व्रत पं. ब्रज किशोर शर्मा ब्रजवासी श्रीसत्यनारायण व्रत प्रत्येक पूर्णिमा तिथि को किया जाता है। इस दिन सत्यनारायण कथा का विधान भी है। सत्य को नारायण मानकर अपने सांसारिक व्यवहारों में उसे सुप्रतिष्ठित करने का व्रत लेने वालों की कथा है श्री सत्यनारायण व्रत कथा। सत्य को जीवन में अपनाने के लिए किसी मुहूर्Ÿा शोधन की भी आवश्यकता नहीं है। कभी भी किसी भी दिन से यह शुभ कार्य प्रारंभ किया जा सकता है- यास्मेन् कास्मेन् दिने मत्र्यो भक्तिश्रद्धासमन्वितः। आवश्यकता है केवल व्यक्ति के दृढ़ निश्चय की और उसके परिपालन के लिए संपूर्ण समर्पण भाव की। सत्य को स्वीकार करते ही सुख एवं समृद्धि की वर्षा व्यक्ति पर उसी प्रकार प्रारंभ हो जाती है जिस प्रकार भोजन का एक-एक ग्रास ग्रहण करने पर क्षुधा की निवृŸिा हो जाती है। वेदादि शास्त्रों में सत्य की महिमा का गान करने वाले अगणित वचन उपलब्ध हैं। इन शास्त्रों में पग-पग पर सत्य की महिमा का गायन किया गया है। स्थावर-जंगमात्कम इस नानाविधि भूतसृष्टि में भगवान श्रीमनारायण ही एक मात्र सत्य हैं। सकल शास्त्रानुमोदित इस सिद्धांत के अनुसार ही ब्रह्मादि देवता श्रीमद्भागवत महापुराण में गर्भस्तुति के समय भगवान् श्रीकृष्ण की सत्यरूप में वंदना करते हैं- हे प्रभो! आप सत्यसंकल्प हैं। सत्य ही आपकी प्राप्ति की स्थिति के समय इन असत्य अवस्थाओं में भी आप सत्य हैं। पृथ्वी, जल, तेज, वायु, आकाश इन पांच सत्यों के आप ही कारण हैं और उनमें अंतर्यामीरूप से विराजमान भी हैं। आप ही मधुर वाणी और समदर्शन के प्रतीक हैं। आप इस दृश्यमान जगत् के परमार्थ रूप हैं। हे भगवन्! आप तो साक्षात् सम्यस्वरूप ही हैं। हम सब आपकी शरण में हैं। ‘नारायण’ शब्द का व्युत्पŸिाक अर्थ भी इसी रहस्य की ओर संकेत करता है- नार अर्थात् पंचमहाभूतों में अयन अर्थात् सत्यरूप से अवस्थित रहने वाले भगवान नारायण। अतएव सत्य और नारायण परस्पर अभिन्न हैं। व्यावहारिक जगत में भी मनुष्य चाहे सत्य से ही दूर क्यों न हो, दूर नहीं हो सकता, क्योंकि सत्य ही जीवन है, सत्य ही जीवन का आधार है, सत्य के बिना कोई भी एक क्षण भी नहीं रह सकता। कोई व्यक्ति, वह चाहे किसी भी धर्म, पंथ या संप्रदाय का अनुयायी क्यों न हो, यदि किसी के सामने असत्य भाषण करता है, तो सामने वाले को तुरंत क्रोध आ जाता है, उसके नेत्र लाल होने लगते हैं, भुजाएं फड़कने लगती हैं और उसका मन करने लगता है कि वह उस मिथ्याभाषी का गला घोंट दे, उसे जान से मार डाले। क्या कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? क्यों कि आप स्वयं सत्य स्वरूप हैं, सत्य को ही पाना चाहते हैं परंतु त्रिगुणमयी माया के कारण जगत मंे नाशवान वस्तुओं के प्रति आकर्षित होकर स्वयं को नहीं जान पा रहे हैं। इस सत्यव्रत को जो व्यक्ति अपने आचरण में सुप्रतिष्ठित करता है, वह अपने भीतर भगवद्गुणों का आधान करता है, उसे सभी सुख समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है और वह जीवन के चार पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को सिद्ध कर लेता है। इसके विपरीत सत्य से दूर रहने वाला व्यक्ति भगवद् गुणों से हीन होने के कारण तामस स्वभाव वाला हो जाता है और पापकर्मों में उसकी प्रवृŸिा बढ़ जाती है फलतः वह जीवनपर्यंत नानाप्रकार के क्लेशों से पीड़ित रहता है। यह व्रत क्लेशो से मुक्ति का एक अद्वितीय मार्ग है। जीवन में सत्य को अपनाने का व्रत लीजिए और तुरंत सुख प्राप्त कीजिए। सत्य को जीवन का अंग बनाते ही सुख मिलना प्रारंभ हो जाता है। ऐसा चमत्कारी है सत्यव्रत। नारायण जैसे बिना किसी भेद-भाव के प्राणिमात्र पर समान रूप से अपनी करुणा की वृष्टि किया करते हैं, उसी प्रकार सत्य भी तद्रूप होने के कारण सभी को अभावों-संतापों से मुक्त कर उन्हें शाश्वत सुख प्रदान करता है। इसीलिए श्री सत्यनारायण व्रत कथा में उन सभी व्यक्तियों की कथाएं संग्रहीत हैं जिन्होंने अपने कार्य में आचरण में सत्य को समाविस्ट करने का व्रत धारण किया था। सत्यव्रत एक रूप से सत्याग्रह है। श्री भगवान को धार्मिक सत्याग्रह अत्यंत प्रिय है। अनीति और अत्याचार के विरुद्ध कोई सत्यनिष्ठ व्यक्ति यदि सत्याग्रह करता है, तो भगवान उसकी रक्षा करते हैं। भक्तवर प्रह्लाद ने अनेक कष्ट सहे किंतु सत्यव्रत का पालन करते हुए अपने पिता के अत्याचार का विरोध किया। फलस्वरूप उन्हें भगवान की प्राप्ति हुई। वस्तुतः मनसा, वाचा, कर्मणा सत्य को अपने विचार एवं आचरण में धारण करना ही पूर्ण सत्यव्रत है। पुराणों में भगवान के सत्यस्वरूप को जनमानस में प्रतिष्ठित करने के उद्देश्य से श्री सत्यनारायण व्रत कथा का उल्लेख है। यह कथा यद्यपि पूजापरक है, किंतु कथा के माध्यम से यह संदेश दिया गया है कि सत्य ही नारायण का रूप है और सत्यव्रत का पालन करने से हम नारायण को प्राप्त कर सकते हैं। कथा में शतानंद ब्राह्मण, लकड़हारा, उल्कामुख राजा, साधु वणिक् और तुंध्वज राजा का दृष्टांत देकर हमें सत्यव्रत के पालन की प्रेरणा दी गई है। पूजनविधि- प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व ही स्नानादि से निवृत्त होकर मस्तक पर तिलक और कंठ में तुलसी की माला धारण कर हाथ में अक्षत, पुष्प, दूर्वा जल और द्रव्यादि लेकर संकल्प हेतु शुद्ध मन से देशकाल का उच्चारण करने के अनंतर बोलें- ममाखिल पापक्षयपूर्वक सकलाभीष्ट सिद्धये पुत्रपौत्रादि सौभाग्य वृद्धये श्रीमन्न्ाारायण प्रीत्यर्थं धर्म-अर्थ काम-मोक्ष प्राप्तये च सत्य नारायण पूजनमहं करिष्ये। पूर्व में विराजमान गणेश, गौरी, वरुणादि की विधिवत् पूजा करंे। श्रीमन्न्ाारायण भगवान का भी षोडशोपचार पूजन करें। सत्यव्रत कथा का श्रवण करें। आरती पुष्पांजलि प्रार्थनापूर्वक नमस्कारादि कृत्यों को पूर्ण कर भगवद् प्रसाद भक्तों को वितरित कर स्वयं भी ग्रहण करें। पूजन ‘¬ नमो नारायणाय’ नाम मंत्र से या वैदिक मंत्रों से या फिर पुरुष सूक्त के मंत्रों से भी किया जा सकता है। अच्छा हो कि किसी विद्वान ब्राह्मण से ही पूजन विधि संपन्न कराके कथा श्रवण करें। ब्राह्मण को भोजनादि पदार्थों से तृप्तकर द्रव्य दक्षिणादि देकर आदर सहित विदा करें। श्रीमन्नारायण नारायण नारायण भजमन नारायण नारायण नारायण का पाठ करें। आरती श्री सत्यनारायण जी की जय लक्ष्मीरमणा, श्री जय लक्ष्मीरमणा। सत्यनारायण स्वामी, जनपातक हरणा।। जय... रत्न जड़ित सिंहासन, अद्भुत छवि राजे। नारद करत निराजन, घंटा ध्वनि बाजे।। जय... प्रगट भये कलिकारण, द्विज को दरश दियो। बूढ़ो ब्राह्मण बनकर, कंचन महल कियो।। जय... दुर्बल भील कठारो, इन पर कृपा करी। चंद्रचूड़ एक राजा, जिनकी विपति हरी।। जय... वैश्य मनोरथ पायो, श्रद्धा तज दीनी। सो फल भोग्यो प्रभुजी, फिर स्तुत कीनी।। जय... भाव भक्ति के कारण, छिन-छिन रूप धरयो। श्रद्धा धारण कीनी, तिनको काज सरयो।। जय... ग्वाल बाल संग राज, वन में भक्ति करी। मनवांछित फल दीन्हा, दीनदयाल हरी।। जय... चढ़त प्रसाद सवाया, कदली फल मेवा। धूप दीप तुलसी से, राजी सत्यदेवा।। जय... सत्यनारायण की आरति, जो कोइ नर गावे। कहत शिवानंद स्वामी, वांछित फल पावे।। जय...



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.