पुखराज
पुखराज

पुखराज  

व्यूस : 15290 | जून 2009
पुखराज पुखराज’ गुरु गुणों वाला रत्न माना गया है। पुखराज पीला, लाल तथा सफेद रंगों में भी पाया जाता है तथा इसे दिव्य गुणों वाला रत्न भी माना गया है। इसकी परख के लिए अगर कांच के गिलास में गाय का दूध भर कर इसे डाल दें, तो एक घंटे बाद पुखराज के रंग की किरण ऊपर सतह तक जाती प्रतीत होती है। इसे गुरुवार को दिन में सुवर्ण अंगूठी में, धनु, अथवा मीन लग्न में धारण करना चाहिए। विभिन्न लग्न और पुखराजः मेष लग्नः मेष लग्न की कुंडली में गुरु ग्रह भाग्य भाव तथा बारहवें (हानि) भाव का स्वामी माना गया है। इसलिए पुखराज धारण करना उचित नहीं माना गया है। परंतु देखने में आता है कि अगर पत्रिका में गुरु ग्रह प्रथम, पंचम, नवम भावों में हो, तो इसे धारण करने से लाभ होता है। वृष लग्नः जिन जातकों का जन्म वृष लग्न में होता है, उनकी पत्रिका में गुरु ग्रह अष्टम भाव तथा लाभ भाव का स्वामी होता है, परंतु लग्नेश से इसका अंतर्विरोध होता है। अस्तु, धारण करने से पुखराज शरीर को कष्ट देता है। इसलिए इसे नहीं धारण करना चाहिए। मिथुन लग्नः जिन जातकों का जन्म मिथुन लग्न में होता है, उनके लिए गुरु सप्तम भाव तथा दशम भाव का स्वामी होता है तथा दोनों भाव केंद्र भाव हैं। अस्तु, गुरु ग्रह की बुध के साथ मित्रता होती है। ऐसे जातकों को पुखराज धारण करने से लाभ होता है। कर्क लग्नः जिन जातकों का जन्म कर्क लग्न में होता है, उनके लिए गुरु ग्रह षष्ठ भाव तथा भाग्य भाव का स्वामी होता है। उनके लिए पुखराज अनुकूल नहीं रहता है। सिंह लग्नः जिन जातकों का जन्म सिंह लग्न में होता है, गुरु ग्रह उनके पंचम तथा अष्टम भाव का स्वामी होता है। उनको भी पुखराज धारण नहीं करना चाहिए। कन्या लग्नः जिन जातकों का जन्म कन्या लग्न में होता है, गुरु ग्रह उनके सुख तथा सप्तम भाव का स्वामी होता है। उनको पुखराज धारण करने से लाभ होता है, क्योंकि दोनो भाव केंद्र भाव हैं तथा बुध ग्रह से गुरु ग्रह का मित्रवत संबंध होता है। तुला लग्नः जिन जातकों का जन्म तुला लग्न में होता है, उनके तृतीय तथा षष्ठ भावों का स्वामी गुरु ग्रह होता है तथा लग्नेश से शत्रुवत भाव गुरु का होता है। अस्तु, इन जातकों को पुखराज नहीं धारण करना चाहिए। वृश्चिक लग्नः जिन जातकों का जन्म वृश्चिक लग्न में होता है, गुरु ग्रह उनके द्वितीय भाव तथा पंचम भाव का स्वामी होता है। उनको संतान तथा धन संबंधी कष्ट निवारण के लिए पुखराज धारण करने से लाभ होता है। धनु लग्न: जिन जातकों का जन्म धनु लग्न में होता है, उनके लिए गुरु ग्रह लग्नेश तथा सुखेश होता है। अस्तु, उनके लिए पुखराज विशेष लाभकारी होता है। मकर लग्न: जिन जातकों का जन्म मकर लग्न में होता है, उनके लिए गुरु ग्रह बारहवें भाव तथा तृतीय भाव का स्वामी होता है। उनको पुखराज नहीं धारण करना चाहिए। कुंभ लग्न: जिन जातकों का जन्म कुंभ लग्न में होता है, उनके लाभ भाव तथा द्वितीय भाव का स्वामी गुरु ग्रह होता है। उनको पुखराज धारण करने से विशेष लाभ होता है। मीन लग्न: जिन जातकों का जन्म मीन लग्न में होता है, उनके लिए गुरु ग्रह लग्नेश होता है। उनके लिए पीला पुखराज लाभकारी होता है, क्योंकि गुरु शरीर तथा कर्म भाव का स्वामी होता है। अन्य विचारः अंक शास्त्र के हिसाब से जिन जातकों का जन्म 3, 12, 21 तथा 30 तारीखों में होता है, उनका मूलांक 3 माना जाता है। 3 अंक गुरु ग्रह का माना गया है। उन्हें भी पुखराज धारण करने से लाभ होता है। जिन जातकों के जन्मांक में ब्राह्मण वर्ण में जन्म का संकेत होता है, उन्हें सफेद पुखराज धारण करने से लाभ होता है। जिन जातकों का जन्म क्षत्रिय वर्ण में होता है, उन्हें गुलाबी, अथवा लाल पुखराज धारण करना चाहिए। जिन जातकों का जन्म ‘वैष्य वर्ण’ में होता है, उन्हें पीला पुखराज धारण करना चाहिए। श्वेत पुखराज ज्ञानवर्धक



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