कैसे करें रत्नों का चयन नागेंद्र भारद्वाज ज्योतिष शास्त्र में रत्नों की विशेष महŸाा बताई गई है। अनेकों प्रकार के रत्नों का उल्लेख हमारे शास्त्रों में पाया जाता है। रत्नों को उनके गुण व रंग के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। आयुर्वेद शास्त्र में भी रत्नों की भस्म व किस रोग के लिए किस रत्न को पहना जाए बताया गया है। जिसके आधार पर रोग से मुक्ति व स्वास्थ्य लाभ हो सके। मानव शरीर के विभिन्न अंगों को नौ ग्रह प्रभावित करते हैं जैसे - सूर्य: सिर, पेट, रीढ़, गर्भाशय चंद्र: कपोल, नेत्र, हृदय भौम: रक्त, भुजा, गला बुध: त्वचा, पिŸा, गुर्दा गुरु: जिगर, जांघ, चर्बी शुक्र: रज, वीर्य, जीभ शनि: सूक्ष्म नाडी, पिंडली, टांगें राहु: दांत, गैस, सिर का ऊपरी हिस्सा केतु: पंजे नाखून इन से संबंधित बीमारियों के रत्न धारण कर इन्हें दूर कर सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र में प्रत्येक ग्रह की शांति के लिए अलग-अलग रत्नों को बताया गया है। रत्नों की अधिक शुभता प्राप्त करने के लिए उनकी चमक व पारदर्शिता पर विशेष ध्यान दिया जाता है। प्राचीन काल में राजा-महाराजा भी रत्नों को पहनते थे तथा उनके सिंहासन, महल, आभूषणों में रत्न जड़े होते थे। ऐसी नक्काशियां आज भी हमें कहीं न कहीं देखने को मिल जाती हैं। किसी भी व्यक्ति को रत्न पहनाने से पहले उनके शारीरिक भार, ग्रहों की निर्बलता व शुभता को ध्यान में रखते हुए रत्न का ग्राम में एक अंश निर्धारित किया जाता है तत्पश्चात् उस रत्न को उसकी गुणवŸाा व अनुकूलता के आधार पर उचित धातु में जड़वाकर पहनाया जाता है।