कुछ उपयोगी टोटके क्रोध को शांत करने के लिए यदि पति, पत्नी या परिवार का कोई भी सदस्य क्रोध में सबको अपमानित कर देता हो अथवा तोड़-फोड़ करता हो उसे इस उपाय से शांत करें तो यह देख लें कि क्रोध करने वाले की आयु कितने वर्ष है उतनी डंठल वाली सूखी लाल मिर्च से उतने ही बीज लें और जब क्रोधी सदस्य घर में हो तो उन बीजों को आग पर डाल दें। शत्रु के सताये जाने पर उससे अपने को इस प्रकार मुक्त करें। अश्विनी नक्षत्र में पीपल की दस अंगुल नाप कर कील जिस घर में दबा दी जायेगी, उस घर में रहने वालों का उच्चाटन हो जाता है। अतः भुक्त भोगी को चाहिए कि वह एक पीपल की डाल लाकर उससे अश्विनी नक्षत्र में कील बनाकर इसी नक्षत्र में जो शत्रु है उसके घर में गाड़ देने से शत्रु से छुटकारा मिल जाता है। शनि की साढ़ेसाती एवं उसका प्रभाव: जन्मकुंडली में शनि की स्थिति ठीक हो अथवा शुभ ग्रह की दशा चल रही हो, तो साढ़ेसाती का प्रभाव कम होता है। इसलिए कुंडली का अध्ययन आवश्यक है। यदि अशुभ प्रभाव हो तो यह उपाय करें। शनि की शांति के लिए 5 से 7 रŸाी का नीलम धारण करना चाहिए। यह रत्न शनि के अशुभ प्रभाव को कुछ घंटांे में ही कम कर देता है। फिर भी यदि आपको यह सूट न इसलिए इसे पहले पहनकर चैक कर लेना चाहिए। नीलम अनुकूल हो तो व्यक्ति को न देखें यह क्रिया कई बार करें। शनिवार के दिन पानी वाले नारियल की जटा उतारकर उसमें छेद करके उसमें यथासंभव शक्कर भर दें और सायंकाल के समय काले कपड़े से ढककर बिना बोले व बिना टोके चीटियों के अड्डे पर इसे गाड़ दें। ऊपर का मुंह खुला रहने दें, चीटियों के खाने के लिए। तीन शनिवार यह क्रिया करें, शनिदेव शांत हो जायेंगे। शनिवार को आक (मदार) के पेड़ में सरसों के तेल का दीपक जलाया करें। 3, 5 या 7 शनिवार मंे सब कुछ ठीक होने लगेगा। पुत्र प्राप्ति के लिए: जैसे किसी के घर में कन्या होती है तो जिस कन्या ने आपके घर में जन्म लिया है उसका विधि-पूर्वक पूजन कराएं तथा पूजा में पुत्र की कामना करें। दोनों पति-पत्नी मृगछाला पर पवित्र मन से प्रभु से जिसको भी आप अपना इष्ट मानते हांे, यह प्रार्थना करनी चाहिए और निम्न मंत्र का 108 बार जाप करें, तो अवश्य ही पुत्र होगा। मंत्र - ऊँ ह्रीं उलजाल्प ठं ठं ऊँ ह्रीं। ऊँ नमः सिद्धि सूपाप (अमुकी) सुपष्पा कुरु कुरु स्वाहा। उक्त मंत्र को प्रयोग करने से पहले दस हजार बार मंत्र का जाप कर सिद्ध कर लो। इसके बाद प्रयोग के समय शंखपुष्पी के मूल का स्वरस सवा तोले की मात्रा में लेकर इसी मंत्र से 108 बार अभिमंत्रित कर उस स्त्री को पिलाना चाहिए जिसे पुत्र की प्रबल इच्छा है।