ऋद्धि.सिद्धिदायक ज्योतिषीय रत्न डाॅ. बी. एल. शर्मा ऋषि-मुनियों ने अपने त्रिकालज्ञ ज्ञान के द्वारा रत्नों की राशियों के अनुसार उनकी उपयोगिता का अध्ययन किया, उनकी परीक्षा की और अपने ज्ञान का विवरण वेद-शास्त्रों में समाहित किया। नारद संहिता के अध्याय 12 के श्लोक 13 में दिया गया है कि सूर्य के लिए माणिक (रूबी), चंद्र के लिए मोती, मंगल के लिए मंूगा, बुध के लिए पन्ना, गुरु के लिए पुखराज, शुक्र के लिए हीरा और शनि के लिए नीलमणि (नीलम) राहु के लिए गोमेद और केतु के लिए वैदुर्य (केट्स आय) धारण करने से उक्त ग्रह के फल उत्तम मिलते हैं। रत्नों के प्रचलन की प्राचीनता के संबंध में ‘‘वराहमिहिर’’ द्वारा रचित वृहद संहिता के अध्याय 79 से 82 में रत्नों के उपयोग के संबंध में सुंदर वर्णन हैं। उसमें अध्याय 79 में रत्नों का वर्णन है: हीरा (वज्र), नीलम (इंद्रनील), पन्ना (मरकत), कर्केतर, माणिक, रुधिर रत्न, वैदुर्य पुलक, अर्थात् लहसुनिया, या कटैला, विमलक (कोई चमकीला रत्न) राजमणि संभवतः स्फटिक, चंद्रकांत मणि, सौगंधिक, गोमेद, शंख मणि, महानील (अति नीला कोई रत्न) ब्रह्मणि, ज्योतिरस, सस्यक, मोती और प्रवाल (मूंगा) ये रत्न भाग्य वृद्धि के लिए धारण करने योग्य हैं। रामचरित मानस के रचयिता श्री तुलसीदास जी ने भी रामायण में रत्नों का वर्णन किया है। इससे यह सिद्ध होता है कि तुलसीदास जी के समय में भी रत्नों का प्रचलन जोरों पर था। गरूड़ पुराण में भी हीरे का वर्णन मिलता है। हीरा धारण करने से भाग्योदय होता है तथा श्री वृद्धि होती है। परंतु कुछ आचार्यों का मत है कि पुत्र चाहने वाली स्त्रियों को हीरा नहीं पहनना चाहिए। नीलम हड्डी के रोग दूर करता है और हड्डियों को बलवान बनाता है। हृदय रोग से पीड़ित लोगों को माणिक लाभकारी सिद्ध हुआ है। यदि मानसिक तनाव से हृदय रोग हुआ है, तो मोती भी बहुत उपयोगी सिद्ध हुआ है। इसी प्रकार गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित प्रसव के लिए हरा पन्ना लाभकारी सिद्ध हुआ है और मूंगा गर्भपात की संभावना को दूर करता है। अनेक विद्वान ज्योतिषी इस मत से सहमत हैं कि लग्नेश और त्रिकोणेश का रत्न धारण करना लाभकारी रहता है। एक विश्व प्रसिद्ध ज्योतिषी एवं कंप्यूटर साॅफ्टवेयर इंजीनियर की जन्म तारीख 13 दिसंबर 1956 है। उनका जन्म लग्न सिंह और उनकी राशि मेष है। परंतु लग्नेश सूर्य, राशि से पंचमेश हो कर अष्टम स्थान में होने के कारण सूर्य का रत्न माणिक उनके लिए लाभकारी है। एक भाग्यशाली महिला की जन्म तारीख 5 मई 1958 है और मेष लग्न, वृश्चिक राशि है। भाग्येश गुरु सप्तम में पीड़ित है। अतः उन्हें पीला पुखराज लाभकारी सिद्ध हुआ है। उपप्रधानमंत्री श्री अडवाणी का वृश्चिक लग्न और मेश राशि हैं। सूर्य भाग्येश हो कर द्वादश में नीच का है। इस कारण सूर्य का माणिक रत्न उन्हें बहुत लाभकारी सिद्ध हुआ है। सूर्य राशि से पंचमेश है। प्रसिद्ध फिल्मी सितारा हेमामालिनी का कर्क लग्न तथा मीन राशि हैं। उनका जन्म 16-10-48 को हुआ है तथा उनके लिए पुखराज लाभकारी सिद्ध हुआ है। एक राज्य में मंत्री के पद पर आसीन महोदय का वृश्चिक लग्न और कर्क राशि है। उनके लिए पंचमेश का रत्न पीला पुखराज बहुत लाभकारी सिद्ध हुआ है। इसी प्रकार राज्य में एक अन्य मंत्री का मीन लग्न और मीन राशि है। उनके लिए पीला पुखराज और मोती बहुत लाभकारी रहे हंै। उनकी उत्तरोत्तर उन्नति हो रही है। एक पत्र के संपादक की जन्म तारीख 10-1-1947 है, मेष लग्न और सिंह राशि हैं। उन्हें पंचमेश का रत्न माणिक पहनाया गया। तबसे वह उत्तरोत्तर उन्नति कर रहे हैं। एक करोड़पति व्यापारी की जन्म तारीख 14-8-1972 है। उनका धनु लग्न है और लग्नेश के पुखराज से उन्हें लाभ हुआ। दिल्ली में एक इलेक्ट्राॅनिक इंजीनियर किसी कंपनी में जनरल मैनेजर हैं। उनका जन्म दिनांक 15-9-1954, धनु लग्न और मेष राशि हैं। उनके लिए माणिक और पुखराज बहुत लाभकारी सिद्ध हुए हैं। एक चार्टर्ड अकाउंटेंट की जन्म तारीख 20-10-1973, वृश्चिक लग्न एवं कर्क राशि हैं। उनके लिए पुखराज बहुत लाभकारी सिद्ध हुआ और अब वह विदेश में है। एक मुख्य अभियंता की जन्म तारीख 29-5-40 है, जन्म लग्न मकर और राशि कुंभ हैं। उनके लिए हीरा बहुत लाभकारी सिद्ध हुआ। मेहनत करने से उनकी उन्नति हुई। वह सुखी जीवन व्यतीत कर रहे हैं। एक अविवाहित कन्या की जन्म तारीख 2-1-1979, मेष लग्न, कुंभ राशि हैं। उसे पीले पुखराज की अंगूठी पहनायी गयी, तो जल्दी ही उसका विवाह संपन्न हुआ। एक डाॅक्टर सेना में कर्नल हैं। उनकी जन्म तारीख 9-10-47, सिंह लग्न, कर्क राशि है। उनके लिए पुखराज बहुत लाभकारी रहा। एक अविवाहित कन्या की जन्म तारीख 8-1-78, जन्म लग्न कर्क और राशि धनु हैं। उसे पीले पुखराज की अंगूठी पहनायी गयी। उसका विवाह शीघ्र हो गया। अब उसका जीवन सुखी है। एक एम. बी. बी. एस डाॅक्टर की जन्म तारीख 5-2-1971, वृश्चिक लग्न, वृष राशि हैं। उसकी आगे की पढ़ाई रुकी हुई थी। उसे पीले पुखराज की अंगूठी पहनायी गयी और वह आगे की पढ़ाई एम. डी. कर के अपना अस्पताल चला रहा है। व्यक्तित्व के निखार और जीवन में सफलता के लिए लग्नेश और त्रिकोणेश के रत्न धारण करने चाहिएं। इससे भाग्योदय त्वरित गति से होता है। कुछ विद्वानों का मत है कि यदि नीच राशि स्थित ग्रह लग्नेश, या त्रिकोणेश भी हो, तबभी उनके रत्न धारण नहीं करने चाहिएं। लेकिन यह भी पाया गया कि ग्रह नीच का हो, तबभी उसका रत्न लाभकारी सिद्ध हुआ है, जैसे एक चार्टर्ड अकाउंटेंट की परीक्षा के परीक्षार्थी जिसकी जन्म तारीख 13-11-1973 और वृश्चिक लग्न है, गुरु मकर में नीच राशि में है। पीले पुखराज ने उसे सफलता दिलायी। इस प्रकार तुला राशि’ लग्न वाले जातक का शनि सप्तम में मेष की नीच राशि का था। उसे नीलम लाभकारी सिद्ध हुआ। महर्षि वराह मिहिर एवं अन्य प्राचीन आचार्यों ने बताया कि यदि जन्म पत्रिका में पंच महापुरुष राजयोग हो, तो उसे उक्त राजयोगकारी ग्रह का रत्न लाभकारी रहता है। यह तो सभी ज्योतिषी जानते हैं कि यदि गुरु, शुक्र, बुध, मंगल, या शनि जन्म लग्न से केंद्र में स्वग्रही, या उच्च का हो, तो गुरु से हंस, शुक्र से मालव्य, बुध से भद्र, मंगल से रूचक एवं शनि से शश पंच महापुरुष राजयोग बनते है। अतः राजयोगकारी ग्रह का रत्न लाभकारी सिद्ध होगा। यदि किसी की जन्मपत्रिका में उपर्युक्त पंच महापुरुष राजयोग हो, तो उक्त ग्रह की महादशा में उसका रत्न धारण करना चाहिएं, जैसे, मंगल से रूचक योग में मूंगा, बुध से भद्र योग में हरा पन्ना, गुरु से हंस योग में पीला पुखराज, शु़क्र से मालव्य योग में सफेद हीरा, शनि से शश योग में नीलम। रत्न धारण करने में एक और सावधानी अवश्य रखें कि कभी भी अष्टेश का रत्न धारण नहीं करें, जैसे सिंह लग्न वाले के लिए गुरु पंचमेश (त्रिकोणेश) और अष्टमेश बनता है, तो वह पुखराज नहीं पहनें। इसी प्रकार कुंभ लग्न वालों के लिए बुध पंचमेश और अष्टमेश बनता है, तो वे बुध का पन्ना धारण नहीं करें और मेष लग्न वाले का मंगल लग्नेश और अष्टमेश बनता है तो वे मंगल का मूंगा धारण नहीं करें। मिथुन लग्न वालों के लिए शनि नवमेश (त्रिकोणेश) और अष्टमेश बनता है। अतः वे शनि का नीलम धारण नहीं करें। इस प्रकार तुला लग्न वालों के लिए शुक्र लग्नेश और अष्टमेश बनता है, तो वे हीरा धारण नहीं करें। विभिन्न रत्नों को धारण करने के लिए उन ग्रहों के दिन, यानी मोती के लिए सोमवार, माणिक के लिए रविवार, मूंगे, के लिए मंगलवार, पन्ना के लिए बुधवार, पुखराज के लिए गुरुवार, हीरे के लिए शुक्रवार और नीलम के लिए शनिवार उपयुक्त रहते हैं। महर्षियों ने अपनी खोज से यह निष्कर्ष निकाला है कि जिस वस्तु का रंग जितना गहरा होगा वह अपने गुण की उतनी ही अधिक अभिव्यक्ति करेगा। इसी सिद्धांत के अनुसार लाभकारी रत्न धारण करने से लाभ होगा।