इस अंक में त्राटक और इसकी उपयोगिता पर चर्चा करेंगे तथा साथ में त्राटक और सम्मोहन के सम्बन्ध के बारे में भी चर्चा करेंगे। हमारे कई पाठकों ने ‘त्राटक’ शब्द का बड़ा मार्मिक रूप से प्रयोग किया है तथा कई लोगों ने इसे सम्मोहन के पर्यायवाची शब्द के रूप में भी प्रयोग किया है। अतः यह आवश्यक हो जाता है कि इस विषय पर कुछ विस्तृत चर्चा की जाये। त्राटक क्या है? त्राटक ध्यान लगाने की एक बहुचर्चित एवं प्राचीन विधि है। हमारा मन स्वभाव से चंचल होता है जिसमें विचार लगातार आते रहते हैं। एक विचार जितना अधिक आता है उतना ही ज्यादा स्वीकार कर लिया जाता है। मन के इसी स्वभाव को मद्देनजर रखते हुए त्राटक का प्रयोग ध्यान लगाने में किया जाता है। त्राटक का व्यावहारिक अर्थ है एकटक देखना अर्थात एक ही बिन्दु पर लगातार देखना ही त्राटक है। जब हम एक ही तरफ या एक ही स्थान पर देखते हैं तो उसी स्थान या उसी बिन्दु की छवि बार-बार हमारी आंखें हमारे मस्तिष्क में भेजती हैं। अतः एक ही स्थान पर देखने का संदेश बार-बार मस्तिष्क में जा रहा होता है। बारम्बारता के नियम के आधार पर हमारा ध्यान उसी बिन्दु या उसी स्थान पर टिकने लगता है। विचारों या संदेशों की अधिकता होने पर वह चेतन मन के अधिकार क्षेत्र से बाहर हो जाती है तथा अवचेतन मन के अधिकार क्षेत्र में आ जाती है। इसी अवस्था को ध्यान की अवस्था कहते हैं। इस वर्णन से ऐसा प्रतीत होता है कि त्राटक ध्यान की अवस्था प्राप्त करने का मात्र एक साधन है जिसका कार्य ध्यान में जाने के बाद समाप्त हो जाता है। सामने एक बिन्दु या एक स्थान लगातार होने के कारण हम उस बिन्दु को या स्थान को नजर अन्दाज नहीं कर सकते। अगर ध्यान भटकने भी लगता है तो भी वह बिन्दु हमें फिर से याद दिला देता है। इसी कारण से ध्यान की चर्चा त्राटक की चर्चा के बिना अधूरी सी लगती है। त्राटक व सम्मोहन हमने पिछले अंक में सम्मोहन की तीन मुख्य अवस्थाओं के बारे में वर्णन किया था। उसमें पहली अवस्था ही ध्यान की अवस्था है। सम्मोहन में ध्यान प्राप्त करने की तो अनेकों विधियां हैं। उनमें से एक त्राटक भी काफी कारगर विधि के रूप में जानी जाती है। हमें इस भ्रम में कतई नहीं पड़ना चाहिए कि त्राटक को ही सम्मोहन कहते हैं बल्कि त्राटक तो सम्मोहन की अवस्था में जाने का एक साधन है। त्राटक सम्मोहन का एक अंश है, यह सम्मोहन नहीं है। कई बार कुछ लोग सम्मोहन द्वारा होने वाले अनेक लाभों को त्राटक का चमत्कार कह कर पुकारते हैं। ऐसा आमतौर पर जानकारी के अभाव में लोग कहते हैं। त्राटक के माध्यम से सम्मोहन की अवस्था प्राप्त हो जाती है और उसके पश्चात लाभ प्राप्ति होती है। पुस्तकों में अत्यधिक प्रचार तथा सम्मोहन पर उचित मार्गदर्शन करने वाली पुस्तकों के अभाव से त्राटक सम्मोहन का एक अभिन्न अंग लगता है तथा लोग इसी प्रकार इसको स्वीकार करने लगे हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि सम्मोहन त्राटक किये बिना भी बड़ी आसानी से किया जा सकता है। त्राटक के लाभ त्राटक ध्यान की एक प्रक्रिया है अतः सर्वप्रथम तो इसका लाभ एकाग्रता बढ़ाना ही है। दूसरे शब्दों में इसे विचारों की संख्या में कमी लाना भी कह सकते हैं। विचार शून्यता के बारे में सोचना अति आवश्यक नहीं है। एक ही स्थान पर अधिक देर ध्यान देने की वजह से एक ही विचार की अधिकता होने लगती है तथा दूसरे विचारों पर नियन्त्रण बढ़ने लगता है। एकाग्रता बढ़ने से अपरोक्ष रूप से अनेकों प्रकार के लाभ होने लगते हैं जैसे अपने कार्य में दिल लगना, पढ़ाई में मन लगना, खेलों में तन्मयता बढ़ना इत्यादि। अगर एक विद्यार्थी का पढ़ाई में ध्यान लगता है तो उसकी ग्रहण करने या याद करने की क्षमता भी अपने आप बढ़ने लगती है। विद्यार्थियों की एक बड़ी समस्या होती है परीक्षा काल में प्रश्न का उत्तर भूल जाना। ऐसा चिन्ता बढ़ने से होता है। चिन्ता का मुख्य कारण आत्मविश्वास का कम होना हो सकता है। विद्यार्थियों का आत्मविश्वास पठन सामग्री के याद न होने के कारण से प्रायः होता है। इसी प्रकार खिलाड़ियों को भी एकाग्रता बढ़ने से अपना खेल सुधारने में मदद मिलती है क्योंकि एकाग्रता तो खिलाड़ियों का अहम शस्त्र है। व्यवसाय करने वाले लोग अपने कार्य पर और बेहतर ध्यान लगा कर अपना कार्यक्षेत्र व उत्पादन बखूबी बढ़ा सकते हैं। आपसी सम्बन्ध बढ़ाने में भी इसका काफी हाथ हो सकता है। ये सारे एक भौतिक सुख, ज्ञान, दक्षता, अर्थ और सफलता से सम्बन्धित हैं जिससे इंसान स्वयं को लाभान्वित करता है, अपने परिवार को लाभान्वित करता है और अपने से जुड़े हुये अन्य व्यक्तियों को भी लाभान्वित कर सकता है। त्राटक करने से अभौतिक लाभ भी प्राप्त किये जा सकते हैं। अभौतिक लाभ जैसे एक स्थान के बैठे हुये अपनी दिव्य दृष्टि को अन्य स्थानों से जोड़ना, टैलीपैथी करना, आत्मिक शक्ति बढ़ाना, आध्यात्मिक विकास करना तथा कई प्रकार की बीमारियों और आदतों से निजात पाना इत्यादि। त्राटक से पाये जाने वाले लाभों को आप अलौकिक शक्ति न मानें और न ही अलौकिक दुनिया से इसका कोई सम्बन्ध मानें। एक बार एक विद्यार्थी ने पूछा कि त्राटक करने से आंखों से एक ज्योति पुंज निकलेगा जो कि दूसरे लोगों को अपने वश में कर लेगा। यह मात्र एक मिथ्या भ्रान्ति है आंखों या शरीर के किसी भी अंग से कोई ज्वाला या रोशनी नहीं निकलती है। अगर किसी को कभी ऐसा प्रतीत होता है तो मात्र वह सम्मोहन की अवस्था में पूर्व सोच पर आधारित एक भ्रम है या मानसिक रचना है। हमारे मन में विशेष रूप से अवचेतन मन में इस प्रकार के भ्रम पैदा करने की शक्ति होती है जिसके कारण आवाजें सुनाई देना, दिखाई देना या किसी अद्भुत अप्रत्याशित अनुभव का एहसास होना एक आम बात है। कभी ऐसा होने पर भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है और न ही बहुत खुश होने की बात है। यह तो मात्र आपके अवचेतन मन की एक कल्पना है। इस प्रकार की कल्पनाओं का प्रयोग उपचार करने के लिए किया जा सकता है। हमारा मन आत्मा का एक हिस्सा माना जा सकता है और आत्मा को परमात्मा का एक हिस्सा मानते हैं। आत्मा एक ऊर्जा है जो कभी समाप्त नहीं होती है तथा उसका सम्बन्ध उच्चतम शक्ति या ऊर्जा से होता है जिसे भगवान कहते हैं। अतः त्राटक करने वाले व्यक्तियों को स्वयं के बारे में तथा दूसरों के बारे में भूतकाल या भविष्यकाल सम्बन्धित ज्ञान होना भी संभव है। अगर इस प्रकार आपकी आध्यात्मिक शक्ति का विकास होकर आपको भी आभास होने लगे तो कृपया अपने आप को महापुरुष की उपाधि न दें। कई लोग इसी प्रकार अपने आप को भगवान का दूत या अवतार मानने लगते हैं। यह प्रक्रिया होना एक स्वाभाविक गुण है जिसको हमने विकसित नहीं किया है तथा सम्मोहन या ध्यान के माध्यम से आप इसे विकसित कर सकते हैं। अतः यह कहा जा सकता है कि त्राटक से सभी आयु के लोग अनेक प्रकार से लाभ उठा सकते हैं चाहे वह सांसारिक जीवन में हो, चाहे विद्यार्थी जीवन में या चाहे अज्ञातवास में रह रहे हों। काम-काजी, व्यापारी, किसान, खिलाड़ी, अधिकारी या किसी भी क्षेत्र से जुड़े हुये महिला या पुरुष हों सभी त्राटक का विधिवत प्रयोग करके अपने आप को तथा दूसरों को लाभान्वित कर सकते हैं। लेकिन ‘नीम हकीम खतरे जान’ इस कहावत को कभी न भूलें। पहले किसी अच्छी जगह से इसकी शिक्षा पायें और फिर इसका उपयोग करें। इन सभी लाभों को पाने हेतु विभिन्न प्रकार की प्रक्रियाओं का प्रयोग किया जाता है। एक ही प्रक्रिया सभी कामों के लिए प्रयोग नहीं होती। जैसे विद्यार्थी को अपनी शिक्षा में कार्य क्षमता बढ़ाने के लिए जो प्रक्रिया करनी पड़ेगी वह प्रक्रिया एक व्यापारी को अपना उत्पादन बढ़ाने के लिए नहीं करनी है या आपसी सम्बन्ध बढ़ाने के लिए नहीं करनी है। त्राटक करना एक प्रक्रिया है जिसके अनेक ढंग हैं तथा उस प्रक्रिया द्वारा प्राप्त मनोदशा का उपयोग करने के लिए अनेक प्रकार की प्रक्रियायें होती हैं जो उद्देश्यानुसार भिन्न होती हैं। इन सभी को ठीक से उपयोग में लाने के लिए ठीक से जान लेना अति आवश्यक है। त्राटक करने की विधियां त्राटक करने की सभी विधियों को एक स्थान पर लाना नामुमकिन है। अतः उनमें से कुछ विधियों का संक्षेप में वर्णन आपको इस अवधारणा को बताने के लिए यहां पर दिया गया है। ये विधियां हो सकती हैं शक्ति चक्कर, दीया या मोमबत्ती, अगरबत्ती, गोल बिन्दु, होलोग्राफिक (छुपा हुआ) चित्र, गहरा पानी, नीला आकाश, चांद, तारे, सूरज, सूई की नोक, अपनी छाया, आइना वगैरह। ये सूची और भी बड़ी हो सकती है। इन सभी विधियों या इस प्रकार की विधियों का यथापूर्वक विस्तृत वर्णन आगे किसी अंक में दिया जा सकता है। यहां पर कुछ विधियों का एक-एक पंक्ति का प्रारम्भिक वर्णन इस प्रकार है: शक्ति चक्रः- शक्ति चक्र अनेक प्रकार के मिलते हैं। उन सभी में एक चीज आम होती है कि उनके बीच में एक बिन्दु होता है और चारों तरफ या तो एक ही गोले की अनेक रेखायें होती हैं या फिर अनेक वृत्त होते हैं। शक्ति चक्र का मध्य बिन्दु त्राटक के लिए प्रयोग किया जाता है। प्रतिबिम्बः- स्वयं का प्रतिबिम्ब आइने में देखते हैं तथा आंखों या नाक की नोक,मस्तिष्क या नाभि आदि किसी अंग का त्राटक करने में प्रयोग किया जा सकता है। सुई की नोकः- सूई को या तो लटका दिया जाता है या फिर किसी एक स्थान पर गाड़ दिया जाता है। सूई की नोक का प्रयोग त्राटक के लिए किया जाता है। दीपकः- दीपक जलाकर उसकी लौ पर त्राटक किया जाता है। यह दीपक घी, सरसों का तेल या तिल के तेल से आमतौर पर जलाया जाता है। गहरा पानीः- थमे हुए गहरे साफ पानी की गहराई में किसी एक बिन्दु पर ध्यान लगा कर त्राटक किया जा सकता है। नीला आकाशः- आकाश की गहराई को भी त्राटक के लिए प्रयोग किया जा सकता है। घना अंधेराः- कुछ भी न दिखाई देने वाला अंधेरा भी त्राटक के लिए प्रयोग में लाया जाता है। घना अंधेरा, नीला आकाश, गहरा पानी जैसी विधियां पहले काफी अभ्यास के बाद प्रयोग में लाई जाती हैं। अगरबत्तीः- अगरबत्ती का सुलगता हुआ सिरा त्राटक करने का एक बिन्दु बन सकता है। मोमबत्तीः- जलती हुई मोमबत्ती की लौ पर भी त्राटक किया जा सकता है। छायाः- अपनी छाया के एक हिस्से पर त्राटक किया जा सकता है। चन्द्रमाः- रात्रि को चमकते हुए चन्द्रमा पर त्राटक किया जा सकता है। सूरजः- निकलते हुए और बढ़ते हुए सूर्य पर भी कुछ लोग त्राटक करते हैं। तारेः- चमकदार तारों को पहचानकर किसी एक तारे को त्राटक के लिए चुन कर उस पर ध्यान लगाया जाता है। लेजर लाईटः- कम रोशनी वाले कमरे में लेजर लाईट जलाकर उस पर भी त्राटक किया जाता है। इसी प्रकार त्रिकालदर्शी शीशा, पेंडुलम, क्रिस्टल बाल, कागज पर वृत्ताकार निशान इत्यादि अनेक त्राटक करने के तरीके हैं। इनमें से कुछ विधियां कभी भी की जा सकती हैं तथा कुछ विधियां प्रारम्भ में नहीं की जाती हं। बिना उचित जानकारी या शिक्षा के इनमें से किसी भी विधि का प्रयोग ना करें। त्राटक करते वक्त हमारी मनोदशा का बहुत महत्व होता है तथा विचारों को प्रयोग करना या उनका उपयोग करना प्रक्रियाओं के माध्यम से किया जाता है। पहले इन प्रक्रियाओं को सीख लेना चाहिए। जिस प्रकार पुस्तक से पढ़कर साइकिल चलाना, तैरना या गाड़ी चलाना सीखना संभव नहीं है उसी प्रकार मात्र पढ़कर त्राटक करना भी संभव नहीं है। यह मात्र जानकारी के लिए बताया जा रहा है ताकि हमारे पाठकगण किसी के बहकावे में न आयें तथा अपनी आध्यात्मिकता का उचित रूप से विकास करें और लाभान्वित हों। अगले अंक में त्राटक की कुछ विधियों का विस्तार से वर्णन किया जायेगा तथा त्राटक करते समय क्या-क्या सावधानियां बरती जायें, किस समय अभ्यास किया जाए तथा कितना अभ्यास किया जाये इत्यादि बताया जाएगा। हम आपके द्वारा भेजी गई जानकारियांे और प्रश्नों का हमेशा स्वागत करते हैं।