उत्तराखंड में प्रकृति के प्रलयंकारी एवं विध्वंसक प्रकोप को असंख्य लोगों को भुगतना पड़ा। इसके ज्योतिषीय कारण क्या रहे? अप्रैल 2013 से सितंबर 2013 तक पूर्ण कालसर्प योग का समय है। इसके कारण सभी ग्रह राहु-केतु के एक ओर एकत्रित हो जाते हैं। इसमें भी चार ग्रह गुरु, सूर्य, बुध व शुक्र तो मिथुन राशि में गोचर कर ही रहे हैं, मंगल भी लगभग साथ में वृष राशि में है। चंद्रमा अपनी तीव्र गति से इन पांचों ग्रहों के ऊपर से गोचर कर आगे होता रहता है। इस प्रकार 6 ग्रहों का योग तो बनता ही है, आइये जानें -
उत्तराखंड आपदा के ज्योतिषीय कारण्
कालसर्प योग के कारण शनि का प्रभाव भी उसमें जुड़ जाता है और खगोलीय दृष्टि से यह एक असाधारण स्थिति बन जाती है जिसका गुरुत्वाकर्षणीय प्रभाव पृथ्वी पर अत्यधिक पड़ता है। इस कारण भूकंप, वर्षा, तूफान आदि के आसार बढ़ जाते हैं। केवल यही नहीं, मनुष्य की मानसिकता पर भी बहुत प्रभाव पड़ता है और वह उग्र हो जाता है। यही कारण है कि पिछले 3 माह में अनेक भूकंप आए हैं और अतिवृष्टि के कारण उत्तराखंड में आपदा आई। यही नहीं कुछ लोगों ने तो लूटपाट भी शुरु कर दी। यह सब ग्रहों के एक कोण में आ जाने के कारण हुआ। जब भी कुछ वर्षों के अंतराल पर ग्रह एकत्रित होते हैं तब-तब ऐसी स्थिति पैदा होती रहती है। उत्तराखंड की यदि कुंडली देखें तो कर्क लग्न है व जनता के स्थान अर्थात् चतुर्थ भाव में सूर्य, बुध बैठे हैं और शनि व राहु की अष्टम ढैया चल रही है। शनि, राहु गोचर में दोनों वक्री थे और सुरक्षा कारक गुरु अस्त थे। साथ ही 4 ग्रह बारहवें भाव में व चंद्र से नेष्ट चतुर्थ भाव में गोचरगत थे। सभी गोचर नकारात्मक होने के कारण यह त्रासदी हुई और हजारों की जानें गईं व लाखों प्रभावित हुए।
भारत की कुंडली से घटना का विश्लेषण
भारत की कुंडली देखें तो उसमें वृष लग्न है व 5 ग्रह सूर्य, बुध, चंद्र, शुक्र व शनि तीसरे घर में स्थित हैं। इसी कारण स्वतंत्रता के बाद संपूर्ण भारत में मार-काट की स्थिति बनी रही और गांधी जी के लिए हिंदू मुस्लिम दंगों को रोकना बेहद कठिन हो गया। इस समय गोचर में चंद्रमा से चतुर्थ भाव में शनि व राहु विद्यमान हैं जो जनता के लिए कष्ट का कारण बन रहे हैं, साथ ही यह अशुभ गोचर स्वतंत्र भारत के जन्मकालीन गुरु पर होने के कारण धर्म व धार्मिक स्थल के लिए विशेष घातक है। इसके अतिरिक्त सूर्य, बुध, शुक्र व गुरु के गोचर में चंद्रमा से बारहवें भाव मंे स्थिति तथा गुरु के अस्त हो जाने के समय स्थितियों ने और भी विकट रूप धारण कर लिया। इसमें यह बात अधिक महत्वपूर्ण है कि जिनका कर्क लग्न या कर्क राशि है उन पर यह गोचर विशेष कष्टदायक है। उत्तराखंड और भारत की कुंडलियों में भी कर्क राशि का ही प्रभाव है।
भारत का राजनैतिक भविष्य
अगले वर्ष 2014 में चुनाव होने वाले हैं। बी.जे.पी. और कांग्रेस में कांटे की टक्कर होने वाली है। कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी व बी.जे.पी. की ओर से नरेंद्र मोदी मुख्य नेता के रूप में उभर कर आ रहे हैं। यदि हम पूर्व में बने प्रधानमंत्रियों की कुंडलियों का विश्लेषण करें तो पायेंगे कि जवाहरलाल नेहरु, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, इंद्रकुमार गुजराल, देवगौड़ा, मनमोहन सिंह आदि समस्त नेता अपनी शनि की साढ़ेसाती के काल में ही प्रधानमंत्री बने।
आने वाले वर्ष 2014 में यदि मुख्य नेताओं की कुंडलियां देखें तो सर्वप्रथम बी.जे.पी. व कांग्रेस दोनों की साढ़ेसाती चल रही है लेकिन कांग्रेस की राशि कन्या है और साढ़ेसाती समाप्त होने वाली है जबकि बी.जे.पी. की राशि वृश्चिक है और उसकी साढ़ेसाती शुरु हुई है। मोदी व राहुल गांधी दोनों की वृश्चिक राशि है, अतः इन दोनों की भी साढ़ेसाती चल रही है।
यदि दोनों पार्टियों के अध्यक्षों की पत्री देखें तो बी.जे.पी. अध्यक्ष राजनाथ सिंह की वृश्चिक राशि है और साढ़ेसाती चल रही है जबकि सोनिया गांधी की मिथुन राशि और साढ़ेसाती समाप्त हो चुकी है। दस वर्ष पूर्व जब कांग्रेस सोनिया के नेतृत्व में सत्ता में आई थी उस समय सोनिया गांधी व मनमोहन सिंह दोनों की ही साढ़ेसाती चल रही थी जबकि बी.जे.पी. अध्यक्ष श्री वेंकैया नायडू की राशि सिंह व एल. के. आडवाणी की राशि मेष होने से दोनों को ही साढ़ेसाती नहीं थी। इसका मतलब यह हुआ कि सत्ता हाथ में आने के समय शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव चरम पर होता है।
लोगों के मन में साढ़ेसाती से एक भय की स्थिति बनी होती है लेकिन देखा गया है कि जब भी जातक के ऊपर साढ़ेसाती का प्रभाव आता है तो उसके पास सत्ता आने की संभावनाएं प्रबल होने लगती हैं। शनि जातक को अपनी कूटनीति और अच्छी योजना निर्माण के माध्यम से श्रेष्ठ प्रशासक बना देता है।
जब जातक के जीवन के केंद्र अर्थात् मन के कारक चंद्रमा के करीब शनि आने लगता है तो यह उसे सत्ता प्राप्ति के लिए प्रेरित करता है। मौजूदा हालात में भारत के राजनैतिक पटल पर इस विश्लेषण का परिणाम यह इंगित करता है कि सितारे बी.जे.पी. के पक्ष में हैं क्योंकि बी.जे.पी. अध्यक्ष राजनाथ सिंह, बी.जे.पी. की कुंडली व नरेंद्र मोदी, इन तीनों में शनि की साढ़ेसाती का अनुकूल प्रभाव है।
भारत के राजनैतिक पटल के जन्म विवरण
नाम |
जन्म विवरण |
समय |
स्थान |
लग्न |
राशि |
कांग्रेस आई |
02.01.1978 |
09:30 |
दिल्ली |
मकर |
कन्या |
बी.जे.पी. |
06.04.1980 |
11:40 |
दिल्ली |
मिथुन |
वृश्चिक |
जवाहरलाल नेहरु |
14.11.1889 |
23:06 |
इलाहबाद |
कर्क |
कर्क |
इंदिरा गांधी |
19.11.1917 |
23:11 |
इलाहबाद |
कर्क |
मकर |
राजीव गांधी |
20.08.1944 |
07:30 |
मुम्बई |
सिंह |
सिंह |
मनमोहन सिंह |
26.09.1932 |
14:00 |
झेलम |
धनु |
कर्क |
राहुल गांधी |
19.06.1970 |
05:50 |
दिल्ली |
मिथुन |
वृश्चिक |
सोनिया गांधी |
09.12.1946 |
21:30 |
तुरिन |
कर्क |
मिथुन |
प्रियंका गांधी |
12.01.1972 |
17:45 |
दिल्ली |
मिथुन |
वृश्चिक |
एल. के. आडवाणी |
08.11.1927 |
09:20 |
हैदराबाद |
वृश्चिक |
मेष |
ए. बी. बाजपेयी |
25.12.1924 |
04:00 |
ग्वालियर |
तुला |
वृश्चिक |
राजनाथ सिंह |
12.02.1950 |
01:36 |
वाराणसी |
वृश्चिक |
वृश्चिक |
नरेंद्र मोदी |
17.09.1950 |
12:21 |
वादनगर |
वृश्चिक |
वृश्चिक |
नितीश कुमार |
01.03.1951 |
13:20 |
बख्तियारपुर |
मिथुन |
वृश्चिक |
आई. के. गुजराल |
04.12.1919 |
22:00 |
झेलम |
कर्क |
मेष |
देवेगौड़ा |
18.05.1933 |
11:00 |
हासन |
कर्क |
कुंभ |
वेंकैया नायडू |
01.07.1949 |
12:00 |
चावटपालेम |
कन्या |
सिंह |
इसके अतिरिक्त नीतीश की कुंडली में भी वृश्चिक राशि है जिस कारण ऐसा जान पड़ता है कि उनका ग्रह योग भी उत्तम है लेकिन अपेक्षाकृत कम है।
प्रियंका गांधी की जन्मपत्री में वृश्चिक राशि होने से उनके भी राजनैतिक पटल पर शीघ्रता से उभरने के ग्रह योग बने हुए हैं। यदि सोनिया विश्राम लें, राहुल गांधी को कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त करें व प्रियंका गांधी को प्रधानमंत्री के पद का उम्मीदवार घोषित करें तो सितारों का समीकरण कुछ कांग्रेस के पक्ष में हो सकता है।