श्रावण में क्यों बढ़ जाता है शिवपूजा का माहात्म्य?
श्रावण में क्यों बढ़ जाता है शिवपूजा का माहात्म्य?

श्रावण में क्यों बढ़ जाता है शिवपूजा का माहात्म्य?  

व्यूस : 9824 | आगस्त 2013
शिवपूजा कहीं भी की जाए, किसी समय की जाए फलदायी होती है। लेकिन श्रावण मास में गंगाजल से शिव अभिषेक का माहात्म्य दोगुना बताया जाता है। श्रावण मास के आगमन के साथ ही गंगाजल लेने दूर-दूर से निकले कांवरियों की कतार देखते ही बनती है। नंगे पांव, कंधे पर कांवर और बम-बम भोले का उद्घोष संपूर्ण वातावरण को शिवमय बना देता है। आइए जानें भक्ति-मुक्तिदायी शिव को श्रावण मास में प्रसन्न करने का क्या विधान है... हिंदू महीनों में किसी न किसी नक्षत्र की प्रधानता रहती है और हर माह पर उसके नक्षत्र के स्वामी की विशेष कृपा होती है। जैसे श्रवण नक्षत्र की श्रावण में प्रधानता होती है। श्रवण के अधिपति भगवान विष्णु हैं और विष्णु हमेशा शंकर में रमण करते हैं। इसलिए यह मास शिव को समर्पित मास कहा जाता है। मनुष्य मात्र के सांसारिक, भौतिक या आध्यात्मिक किसी प्रकार के कष्ट का निदान शिव की जटाशंकरी से अभिषेक करने से हो जाता है। जटाशंकरी का अर्थ भगवान शंकर की जटाओं में विराजमान श्री गंगाजी के जल से है। श्री गंगा के जटाओं में अवतरित होने के कारण उन्हें जटाशंकरी नाम दिया गया। यह जटाशंकरी (गंगा) पूर्व जन्म में सती थीं जिनका जन्म स्थान कनखल (हरिद्वार) है। यहां स्नान करने और शिव अभिषेक करने से मनुष्य का दोबारा जन्म नहीं होता है ऐसा शास्त्रों का मत है। इसलिए श्रावण मास में गंगा जल से अभिषेक करने का विशेष महत्व है। इससे मनुष्य मात्र के सभी कष्टों का निवारण होता है। व्यक्ति को अपनी जन्मकुंडली में ग्रहों की शुभ-अशुभ स्थिति के अनुसार शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पूजन करना चाहिए। यदि सूर्य से संबंधित कष्ट सिरदर्द, नेत्र रोग, अस्थि रोग आदि हों तो शिवलिंग पूजन आक के पुष्पों, पत्तों एवं बिल्व पत्रों से करने से इनसे मुक्ति मिलती है। यदि चंद्रमा से संबंधित बीमारी या कष्ट जैसे खांसी, जुकाम, नजला, मन की परेशानी, ब्लड प्रेशर आदि हों तो शिवलिंग का रुद्री पाठ करते हुए काले तिल मिश्रित दूध धार से रुद्राभिषेक करना चाहिए। यदि मंगल से संबंधित बीमारी जैसे रक्त दोष हो तो गिलोय, जड़ी बूटी के रस आदि से अभिषेक करें। यदि बुध से संबंधित बीमारी जैसे चर्म रोग, गुर्दे का रोग आदि हों तो विदारा या जड़ी-बूटी के रस से अभिषेक करें। यदि बृहस्पति से संबंधित बीमारी जैसे चर्बी, आंतों, लीवर की बीमारी आदि हों तो शिवलिंग पर हल्दी मिश्रित दूध चढ़ाएं। यदि शुक्र से संबंधित बीमारी, वीर्य की कमी, मलमूत्र की बीमारी शारीरिक या शक्ति में कमी हो तो पंचामृत, शहद और घृत से शिवलिंग का अभिषेक करें। यदि शनि से संबंधित रोग जैसे मांसपेशियों का दर्द, जोड़ों का दर्द, वात रोग आदि हों तो गन्ने के रस और छाछ से शिवलिंग का अभिषेक करें। राहु-केतु से संबंधित बीमारी जैसे सिर चकराना, मानसिक परेशानी, अधरंग आदि के लिए उपर्युक्त सभी वस्तुआंे के अतिरिक्त मृत संजीवनी का सवालाख जप कराकर भांग-धतूरे से शिवलिंग का अभिषेक करें। यदि पति-पत्नी में प्रेम न हो, गृह क्लेश हो, ब्याह शादी में रुकावट आ रही हो तो मक्खन-मिसरी का मिश्रण 108 बिल्वपत्रों पर रखकर चढ़ाएं- मनोकामना निश्चित रूप से पूर्ण होगी। यदि धन की ईच्छा हो तो खीर से अभिषेक करें। यदि सुख समृद्धि की ईच्छा हो तो भांग को घोटकर अभिषेक करें - लाभ होगा। मारकेश या मारक दशा चल रही हो तो मृत संजीवनी या महामृत्युंजय मंत्र के सवा लाख जप कराकर अभिषेक करें। कालसर्प के लिए भी शिवपूजा विशेष फलदायी है। कलियुग में शिव की पार्थिव पूजा का विधान भी है। इसके लिए बांबी, गंगा, तालाब, वेश्या के घर और घुड़साल की मिट्टी तथा मक्खन और मिसरी मिलाकर 108 शिवलिंग बनाकर उनका अभिषेक करें - सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। लेकिन सायंकाल को ये सभी 108 शिवलिंग जल में प्रवाहित कर दें। विभिन्न प्रकार के शिवलिंगों का पूजन भक्ति और मुक्ति प्रदान करता है। यहां 20 प्रकार के शिवलिंगों के पूजन का वर्णन प्रस्तुत है। 1- कस्तूरी और चंदन से बने शिवलिंग के रुद्राभिषेक से शिव सायुज्य प्राप्त होता है। 2- फूलों से बनाए गए शिवलिंग के पूजन से भू-सम्पत्ति प्राप्त होती है। 3- जौ, गेहूं, चावल तीनों का आटा समान भाग मिलाकर जो शिवलिंग बनाया जाता है, उसकी पूजा स्वास्थ्य, श्री और संतान देती है। 4- मिसरी से बनाए हुए शिवलिंग की पूजा रोग से छुटकारा देती है। सुख शांति की प्राप्ति के लिए चीनी की चाशनी से बने शिवलिंग का पूजन होता है। 5- बांस के अंकुर को शिवलिंग के समान काटकर पूजन करने से वंश वृद्धि होती है। 6- दही को कपड़े में बांधकर निचोड़ देने के पश्चात उसमें जो शिवलिंग बनता है उसका पूजन लक्ष्मी और सुख प्रदान करने वाला होता है। 7- गुड़ में अन्न चिपकाकर शिवलिंग बनाकर पूजा करने से कृषि उत्पादन अधिक होता है। 8- किसी भी फल को शिवलिंग के समान रखकर उसका रुद्राभिषेक करने से वाटिका में फल अधिक होते हंै। 9- आंवले को पीसकर बनाए गए शिवलिंग का रुद्राभिषेक मुक्ति प्रदाता होता है। 10- मक्खन को अथवा वृक्षों के पत्तों को पीसकर बनाए गए शिवलिंग का रुद्राभिषेक स्त्री के लिए सौभाग्यदाता होता है। 11- दूर्बा को शिवलिंगाकार गूंधकर उसकी पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है। 12- कपूर से बने शिवलिंग का पूजन भक्ति और मुक्ति देता है। 13- स्वर्ण निर्मित शिवलिंग का रुद्राभिषेक समृद्धि का वर्धन करता है। 14- चांदी के शिवलिंग का रुद्राभिषेक धन-धान्य बढ़ाता है। 15- पीतल के शिवलिंग का रुद्राभिषेक दरिद्रता का निवारण करता है। 16- लहसुनिया शिवलिंग का रुद्राभिषेक शत्रुओं का नाशक और विजयदाता होता है। 17- पारे से बने शिवलिंग का पूजन सर्व कामप्रद, मोक्षप्रद, शिवस्वरूप बनाने वाला होता है। यह समस्त पापों का नाश कर संसार के संपूर्ण सुख एवं मोक्ष देता है।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.