खजूर फलों और मेवों की दुनिया में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। बेलनाकार सा यह फल पीला, लालिमा लिए होता है, कहीं यह गहरे भूरे रंग का भी होता है। सर्दी-गर्मी हर मौसम में पाया जाने वाला यह फल बहुत ही स्वादिष्ट, पौष्टिक और सर्वगुणकारी भोज्य पदार्थ है। खजूर को ‘‘रेगिस्तान की रोटी’’ भी कहा जाता है। खजूर की उत्पत्ति मेसोपोटामिया (आज का इराक) से मानी जाती है। प्राचीन काल से ही मानव खजूर की खेती करता आया है। आज विश्व में इसकी खेती एक मानक फसल के रूप में की जाती है। सऊदी अरब, मिस्र, ईरान, इराक, स्पेन, इटली, चीन और अमेरिका में इसकी खेती प्रमुख रूप से की जाती है। भारत में समुद्र तट की रेतीली जमीन में इसके पेड़ अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। लेकिन भारत में उपजे खजूर अच्छी श्रेणी के नहीं माने जाते। इसलिए भारत में अच्छी श्रेणी का खजूर विदेश से आयात होता है। पूरी तरह से पके फलों को ‘खजूर’ तथा आधे पके खजूरों को छुआरा कहा जाता है। इसलिए यह ताजा मेवा भी है और सूखा मेवा भी। खजूर का वर्णन सभी धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। आयुर्वेद में खजूर को सर्वगुणकारी पोषक और रोगनाशक भी कहा गया है। आधुनिक चिकित्सा प्रणाली भी खजूर के सेवन की सलाह विभिन्न रोगों के लिए देती है। खजूर में पाए जाने वाले पोषक तत्व शरीर का पोषण तेजी से करते हैं क्योंकि ये सरलता से पचकर शरीर में रोगों से रक्षा करने की ऊर्जा को भर देते हैं। खजूर में पाये जाने वाले तत्व प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, फैट, रेशे, पानी, सोडियम, कैल्शियम, फाॅस्फोरस, पोटाशियम, विटामिन-ए, विटामिन सी, विटामिन-बी, फोलिक एसिड मैग्नेशियम, लोहा, जिंक आदि तत्व खजूर में पाए जाते हैं। ये सभी तत्व अनेक रोगों की रोकथाम में सहायक होते हैं। वर्षों से खजूर का शक्तिवर्द्धक प्रभावों के कारण औषधीय उपयोग होता आ रहा है। सरलता से पचने के कारण ये शारीरिक ऊर्जा स्रोत रहे हैं। खजूर को सूखे मेवे की तरह, पानी के साथ दूध के साथ जैसे जी चाहे सेवन कर सकते हैं। अपने रोग निवारक गुणों के कारण आयुर्वेद व प्राकृतिक चिकित्सा में इसका उपयोग किया जाता है। विभिन्न रोगों में खजूर 1. सर्दी-जुकाम सर्दी जुकाम होने पर खजूर का सेवन बहुत लाभकारी होता है। चार-पांच खजूर दिन में दो बार गर्म दूध के साथ खाने से सर्दी-जुकाम में राहत मिलती है। खजूर में पाया जाने वाला पोटाशियम शरीर में पोटाशियम की कमी पूरी करता है जिसमें हम सर्दी-जुकाम से बच जाते हैं। 2. सिर-दर्द खजूर का नियमित सेवन सिर दर्द में भी लाभकारी है। जिन लोगों को सिर दर्द की शिकायत रहती है वे यदि खजूर का सेवन करें तो सिर दर्द, आधा सीसी का दर्द माइग्रेन आदि से छुटकारा पा सकते हैं। सिर दर्द का कारण अक्सर विटामिन बी की कमी होता है। खजूर में विटामिन-बी काफी मात्रा में पाया जाता है इसलिए खजूर के सेवन से सिर दर्द में राहत मिलती है। 3. कमजोर दिल (हृदय) कमजोर दिलवालों के लिए खजूर रामबाण है। रात को खजूर या छुआरा को पानी में भिगोकर उस पानी को पीने से हृदय को ताकत मिलती है। 4. आंतों का विकार खजूर में पाया जाने वाला निकोटिन पदार्थ आंतों के विकारों को दूर करने के लिए अत्यंत उपयोगी है। कुछ अनुसंधानों के अनुसार खजूर का सेवन करने वालों को पेट व आंतों में रसौली नहीं होती। 5. कब्ज खजूर में पाये जाने वाले रेशे पाचन तंत्र को सुचारू रखते हैं जिससे कब्ज इत्यादि रोग में लाभ होता है। 6. कमर दर्द खजूर में पाये जाने वाले खनिज तत्व कमर दर्द में लाभकारी भूमिका निभाते हैं। चार खजूर गर्म-पानी या दूध के साथ सेवन करने से कमर-दर्द में राहत मिलती है। जिन स्त्रियों को शिशु जन्म के पश्चात कमर दर्द रहता है उन्हें खजूर का सेवन अवश्य करना चाहिए। 7. जोड़ों का दर्द जोड़ों के दर्द में भी खजूर का सेवन लाभकारी होता है। खजूर या छुआरा के बने खीर बनाकर खाने से जोड़ों के दर्द में लाभ होता है। विटामिन की कमी से जोड़ों के दर्द होते हैं और खजूर में विटामिन-सी काफी मात्रा में होता है। 8. दांतों और हड्डियों की कमजोरी खजूर में पाये जाने वाले खनिज तत्व मैग्नेशियम, कैल्शियम, फाॅस्फोरस, सोडियम, दांतों एवं हड्डियों की कमजोरी को दूर कर सुदृढ़ बनाते हैं। इसलिए विशेषकर बढ़ते बच्चों को खजूर के सेवन से विशेष लाभ होता है। 9. खून की कमी एनीमिया शारीरिक स्वस्थता के लिए लौह का विशेष महत्व है, जिसकी कमी से रक्त में पाये जाने वाले लाल कणों की संख्या बहुत कम हो जाती है जिसके कारण शारीरिक और मानसिक कमजोरी मनुष्य को घेरे रखती है, चेहरा भी पीला पड़ जाता है। खजूर में लौह मात्रा भरपूर होती है इसलिए इसके सेवन से शरीर में लौह मात्रा की कमी दूर होती है। शरीर स्वस्थ और स्फूर्ति भरा हो जाता है। चेहरे पर रौनक आ जाती है। 10. थायराॅइड जिन लोगों को थायराॅइड की शिकायत होती है खजूर उनके लिए विशेष लाभकारी है। थायराॅइड अक्सर आयोडिन की कमी से होता है। आयोडिन थायराॅइड ग्रंथि को पुष्ट बनाए रखती है। यदि यह ग्रंथि अपना कार्य ठीक ढंग से न करे तो शरीर में विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न होने का भय होता है। खजूर में आयोडिन की मात्रा भी पाई जाती है इसलिए खजूर के सेवन से शरीर में आयोडिन की कमी दूर होती है जिससे थायराॅइड ग्रंथि अपना कार्य सुचारू रूप से करने लगती है। 11. मांसपेशियों की कमजोरी मांसपेशियों की कमजोरी से व्यक्ति की शारीरिक क्षमता कम हो जाती है। कम कार्य करने पर थकान व दर्द शुरू हो जाती है। खजूर में पाये जाने वाले खनिज तत्व मांसपेशियों को सुदृढ़ रखने में विशेष भूमिका निभाते हैं इसलिए खजूर का सेवन करने वालों को मांसपेशियों की कमजोरी नहीं होती। 12. खांसी व दमा रोग रक्त में लौह की कमी होने से फेफड़े ठीक से काम नहीं कर पाते तथा फेफड़े जो आॅक्सीजन ग्रहण करते हैं, रक्त उस आॅक्सीजन को पूरी तरह ग्रहण नहीं कर पाता। परिणामतः व्यक्ति को दमा का सामना करना पड़ता है जिससे शरीर कमजोर हो जाता है तथा अनेक प्रकार के रोगों की उत्पत्ति होती है। खजूर के सेवन से लौह की कमी पूरी होती है जिससे दमे जैसे रोगों से राहत मिलती है। नित्य चार-पांच खजूर गुनगुने पानी के साथ सेवन से खांसी एवं दमा रोग मिट जाता है। 13. हीस्टिरिया/मूर्छा जिन स्त्रियों को हिस्टिरिया जैसे रोग से दूर रहना है वे नित्य चार पांच खजूरों का सेवन और हीस्टिरिया/ मूर्छा आदि रोगों से छुटकारा मिल जायेगा। 14. संक्रामक रोग विटामिन ‘ए’ की कमी से संक्रामक रोग होते हैं। ऐसी स्थिति में डाॅक्टर विटामिन-ए का कैप्सूल या गोलियां देते हैं जिससे रोग से छुटकारा पाया जाये। खजूर में विटामिन ‘ए’ काफी मात्रा में होता है। यदि खजूर का सेवन दूध के साथ नित्य किया जाए तो संक्रामक रोगों से बचा जा सकता है। 15. चेहरे की सुंदरता चेहरे का पीलापन-चेहरे का रूखापन चेहरे की छाइयों से छुटकारा पाने के लिए नित्य खजूर का सेवन करें। खजूर में पाये जाने वाले सभी खनिज तत्व लाभकारी हं। नोट: यदि खजूर के सेवन से भरपूर लाभ उठाना चाहते हों तो मसालेदार, तली चीजों का सेवन न करें अन्यथा लाभ नहीं होगा।