पितृ दोष : कारण-निवारण लाल किताब के आईने से
पितृ दोष : कारण-निवारण लाल किताब के आईने से

पितृ दोष : कारण-निवारण लाल किताब के आईने से  

व्यूस : 9710 | सितम्बर 2012
पितृ दोष: कारण-निवारण शुभेष शर्मन लाल किताब के आइने में वैदिक ज्योतिष की तरह ही लाल किताब में भी पितृ दोष को स्वीकार किया गया है। इस लेख में ग्रहों की स्थिति के आधार पर विभिन्न प्रकार के नौ ऋणों के स्वरूप, लक्षण और उपाय के बारे में बताया गया है। के 3, 4, 5, 6, 9, 10, 11 भावों में स्थित हो तथा द्वितीय या सप्तम भाव में सूर्य, या चंद्र या राहु स्थित हो तो व्यक्ति स्त्री के ऋण से ग्रस्त होता है। परिवार के सभी लोगों से पैसा लेकर स्वस्थ गायों को जो 100 की संख्या में हो, चारा खिलाना तथा लगातार गौशाला में सेवा करने से लाभ होता है। बहन का ऋण- बहन को तकलीफ पहुंचाना, उनका पैसा मार लेना, तथा बच्चों को नुकसान पहुंचाना अथवा बच्चों में भेद-भाव करना आदि इसके कारण हैं। जब कुंडली में बुध 1, 4, 5, 8, 9, 10, 11 भावों में स्थित हो तथा 3, 6, भावों में चंद्रमा हो तो व्यक्ति बहन के ऋण से ग्रस्त होता है। परिवार के सभी सदस्यों से बराबर धन लेकर कन्यादान करने, छोटे बच्चों को या 100 कन्याओं को एक साथ भोजन कराने से इसमें लाभ मिलता है। रिश्तेदारी का ऋण - किसी के बनते मकान में अड़चन डालना, किसी के विवाह-संबंध में अड़चन डालना, खुशी के समय गम का काम करना अथवा खुशी के समय दूर रहना आदि। जब कुंडली में मंगल 2, 4, 5, 6, 9, 11 व 12 भावों में स्थित हो तथा प्रथम व अष्टम भाव में बुध/केतु स्थित हो तो व्यक्ति रिश्तेदारी के ऋण से ग्रस्त होता है। परिवार के सभी सदस्यों से बराबर मात्रा में धन इक्ट्ठा करके मुफ्त दवाई देने वाले डाॅक्टर, हकीम की मदद करने से लाभ मिलता है। जालिमाना ऋण - बिना कारण के किसी पर मुकदमा कर देना, शिक्षा में असफल होना, किसी को धोखा देना, इसके मुख्य लक्षण हैं। संतान की या ससुराल में असमय मृत्यु होना खराब खाना खाने से हुई बीमारी होना आदि। कुंडली में ग्यारहवें तथा दसवें भाव में सूर्य-चंद्र-मंगल का एक साथ होना अथवा अलग-अलग होना, इसके ग्रह-लक्षण हैं। जब कुंडली में शनि 1, 2, 5, 6, 8, 9, 12 भावों में स्थित हो तथा 10 या 11 भावों में सूर्य/चंद्र/ मंगल स्थित हो तो व्यक्ति जालिमाना ऋण से पीडित होता है। परिवार के सदस्यों की संख्या से चार नारियल अधिक लेकर के एक ही बार में जल प्रवाह करने से लाभ होता है। अजन्मे का ऋण - परिवार के सभी लोगों से बराबर पैसा लेकर अलग-अलग स्थानों की मछलियों को एक ही दिन में भोजन कराने से लाभ होता है। जब कुंडली में राहु 6, 12, 3 भावों के अतिरिक्त किसी भी भाव में हो तथा 12 वें भाव में सूर्य/मंगल शुक्र मौजूद हो तो व्यक्ति अजन्मे के ऋण से ग्रस्त होता है। बिजली का झटका या बिजली का खराब होना, ज्यादा धन होने पर भी समय-समय पर नुकसान होना, सोना खोना, परिवार में काली खांसी, मिर्गी, सांस आदि की तकलीफ घर के आस-पास कूड़े का ढेर इसके लक्षण हैं। आध्यात्मिक ऋण: बच्चों की असमय मृत्यु होना, हड्डियों की तकलीफ, पेशाब की बीमारी, कानों के रोग, लकवा, ननिहाल में परेशानी, यात्रा में असुविधा या हानि आदि इसके मुख्य लक्षण हैं। जब कुंडली में केतु 2, 6, 9 के अतिरिक्त किसी भी भाव में हो तथा छटे भाव में चंद्रमा/मंगल स्थित हो तो ऐसे व्यक्ति पर आध्यात्मिक ऋण होता है। कुत्ते को मारने, किसी की बहु या बच्चों को गलत शिक्षा देना, लालच के कारण किसी का नुकसान करना भी इसी के लक्षण हैं। परिवार के सदस्यों से बराबर पैसा इक्ट्ठा करके एक ही दिन में 100 या 100 से अधिक कुत्तों को भोजन कराना, फीके खोये के लड्डू का भोजन कराने से भी लाभ प्राप्त होता है। विशेष रूप से पितृ-ऋण की सभी प्रकार की हिंदू पद्धतियों के सारांश रूप की चर्चा पूर्व में ही की गई है पर लाल किताब में मंदिर को तोड़ना, पीपल का पेड़ कटवाना, अथवा कुल पुरोहित को बदल लेना भी पितृण के लक्षण हैं। ऐसी स्थिति में काली खांसी की शिकायत, दुनिया की बुरी चीजों का कलंक लगना, किसी घर के बुजुर्ग के एक साथ सारे बाल सफेद हो जाना इसके लक्षण हैं। जब कुंडली में केतु 2, 6, 9 के अतिरिक्त किसी भी भाव में हो तथा छठे भाव में चंद्रमा/मंगल स्थित हो तो ऐसे व्यक्ति पर आध्यात्मिक ऋण होता है। दूसरी स्थिति में बनने वाले ऋण में कोई ग्रह जब नवम भाव में स्थित होता है तो उस नवमस्थ ग्रह की राशि में बुध के बैठने पर ऋण पितृ से कुंडली ग्रस्त होती है। इन दोनों प्रकार के ऋणो का फलादेश अलग-अलग होता है। ऐसी स्थिति में परिवार के सभी सदस्यों से धन इकट्ठा करके धर्म स्थान में दान देने से लाभ होता है। वह धर्म स्थान मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा या चर्च में से कोई भी हो सकता है। परिवार के इन सदस्यों में दादा-दादी, माता-पिता, बहन-बेटी, बुआ, भाई, ताया, चाचा के परिवार के सदस्यों की संख्या भी है। इन सबको शामिल करना चाहिए। इस प्रकार ऋणों का यह सिद्धांत सभी जाति, धर्म, संप्रदाय के मनुष्य मात्र को मानना चाहिए। इन समाधानों के माध्यमों से निश्चित रूप से लाभ होता है। सभी को इनका लाभ लेना चाहिए।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.