अंगुलियों में छिपा है आपका भविष्य पं. श्री कृष्ण शर्मा तर्जनी से जानें उच्च पद अगुंष्ट के पास वाली उंगली को तर्जनी कहते है। अंग्रेजी में इसे ‘‘इन्डेक्स फिंगर’’ के नाम से जाना जाता है। प्रत्येक उंगली में तीन पर्व होते है इन्हे ऊपर से क्रमशः प्रथम, द्वितीय और तृतीय पर्व कहा जाता है। तर्जनी के प्रथम पर्व में ‘‘मेष’’ राशि द्वितीय में ‘‘वृष’’ तथा तृतीय में ‘‘मिथुन’’ राशि का निवास स्थान होता है। हाथ की चारों उंगलियों के 12 पर्व 12 राशियों को इंगित करते है। कोई भी हस्तरेखा विशेषज्ञ उंगलियों की इन राशियों के माध्यम से जातक की जन्मपत्री आसानी से बना सकता है। इस उंगली के नीचे गुरू पर्वत का निवास होने के कारण इसे ‘‘जुपिटर फिंगर’’ (गुरु की उंगली) भी कहते है। साधारणतया यह उंगली मध्यमा तथा अनामिका से छोटी होती है लेकिन इस उंगली का मध्यमा के बराबर होना बहुत ही उत्तम माना जाता है। ऐसा व्यक्ति धनाढ्य, गौरवशाली तथा उच्य पद पर आसीन होता है। नेपोलियन बोनापार्ट की तर्जनी और मध्यमा बराबर लम्बी थी। इसलिये कुछ लोग इस उंगली को नेपोलियन फिगंर भी कहते है। किसी किसी हाथ में यह मध्यमा से छोटी तो होती है लेकिन अनामिका के बराबर देखी जाती है ऐसा व्यक्ति भली-भांति विचार करके निर्णय लेता है, वह स्वाभिमानी तथा नीतिज्ञ होता है। उसके प्रत्येक कार्य आसानी से बनते जाते है। यदि यह मध्यमा से लम्बी हो तो ऐसे व्यक्ति तानाशाही मिजाज के होते है उनमें दूसरों पर हुकूमत करने की प्रबल इच्छा पाई जाती है। ऐसे व्यक्ति न्याय के क्षेत्र में सफल हो सकते है। यदि अन्य ग्रह बलवान हो तो ऐसे व्यक्ति सफल एडवोकेट, जज या उच्च स्तर के प्रशासक हो सकते है। यदि यह उंगली मध्यमा तथा अनामिका दोनो में छोटी हो तो बाधाओं की सूचक है। बिना बाधा आये ऐसे व्यक्ति का कोई काम नहीं बनता। अनामिका बताएगी कुषल व्यापार एवं देषभक्ति मध्यमा तथा कनिष्ठा (सबसे छोटी) के मध्य अनामिका का स्थान है। इसे अंग्रेजी में ‘‘फिंगर आफ अपोलो’’ कहते है। इसके ठीक नीचे सूर्य पर्वत का स्थान होने से इसे सूर्यागंुली से भी संबोधित करते हैं। इसके प्रथम पर्व में ‘‘कर्क’’ राशि द्वितीय में ‘‘सिंह’’ तथा तृतीय में ‘‘कन्या’’ का निवास माना गया है। यदि इससे तर्जनी बडी हो तो उन्नतिशील के साथ-साथ वह कुशल व्यापारी भी बनता है। अनामिका और तर्जनी के बराबर होने से जातक अनेक कलाओं का जानकार होगा, उसमें नाम कमाने की अभिलाषा होगी। वह सच्चा देशभक्त होगा। इसका मध्यमा के बराबर होना अशुभ है। ऐसे व्यक्ति अपव्ययी तथा स्वार्थी होते है। अपने धन को स्ंवय की गलतियों से बर्बाद करते रहते है। अनामिका का मध्यमा की तरफ झुकना आपराधिक प्रवृति का प्रतीक है। वे बदनाम होते है। यदि अन्य ग्रह खराब हो तो जल की यात्रा भी हो सकती है। इसका कनिष्ठिका की तरफ झुकना बहुत शुभ है। ऐसे व्यक्ति का बढा-चढा व्यापार होता है। वे धनी होते है। मध्यमा बताएगी लक्ष्य प्राप्ति तर्जनी के पास वाली उगंली को मध्यमा कहते है। इसके नीचे शनि का पर्वत होने से इसे अंग्रेजी में ‘‘फिंगर आॅफ सेटर्न’’ भी कहा जाता है। इसके प्रथम पर्व में ‘‘मकर,’ द्वितीय में ‘‘कुंभ‘‘ तथा तृतीय में ‘‘मीन‘‘ राशि का निवास होता है। पूर्व में बताया गया कि तर्जनी और मध्यमा का बराबर होना शुभ है। वहीं अनामिका और मध्यमा का बराबर होना अशुभ है। ऐसे व्यक्ति अपने ध् ान का अपव्यय व्यर्थ की चीजो जैसे लाॅटरी, सट्टे, जुआ आदि में व्यय करते रहते है। इस उगंली का अधिक लंबा होना भी शुभ नहीं है। जिनकी उंगली बडी होती है वे हमेशा चिंतातुर तथा उदास बने रहते हैं। यदि यह अनामिका की तरफ झुक रही हो, तो वैचारिक अस्थिरता का प्रतीक है। मध्यमा के तर्जनी की तरफ झुकने से आत्मविश्वास की बढोतरी होती है। ऐसे व्यक्ति आसानी से अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेते है। कनिष्ठिका से जाने आयु हाथ की सबसे छोटी उंगली का नाम कनिष्ठिका है। इसे अंग्रेजी में लिटिल फिंगर कहते हैं। इसके नीचे बुध पर्वत का निवास होने के इसे ‘‘फिगंर आफ मरकरी’’ भी कहते है। इसके प्रथम पर्व में ‘‘तुला’’ द्वितीय में ‘‘वृश्चिक’’ तथा तृतीय में ‘‘धनु’’ राशि का निवास होता है। इसका बडा होना बहुत ही शुभ है। यदि एक अनामिका के प्रथम पर्व के आधे भाग को पार कर जाये तो ऐसे व्यक्ति उच्च कोटि के प्रशासक होते है। ‘‘नारद संहिता’’ के अनुसार ऐसे जातक सौ वर्ष तक जीते है। कनिष्ठिका का छोटा होना असफलता का प्रतीक है तथा इसका टेढा होना अस्थिरता का द्योतक है। अंगुष्ठ से जाने स्वभाव और सफलता हाथ का सबसे महत्वपूर्ण अंग अंगुष्ठ है। अंगुष्ठ और मस्तिष्क का घनिष्ठ संबध है। मुख्यतः ये दो प्रकार के होते है। एक सीधा तथा दूसरा झुका कोमल। जिसके हाथ का अंगूठा सुदृढ हो वे जिद्दी स्वाभाव के होते हैं दूसरे की बात को ज्यों की त्यों स्वीकार नहीं करते। अच्छे तार्किक, दृढ विचारों के कारण वे अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेते है। पैसे का सदुपयोग करना वे भली भाँति जानते है। यदि अंगूठा दृढ हो तो ऐसे व्यक्ति बडे कंजूस होते है। पैसे के मामले में वे बहुत रूखे होते है। कोमल और झुके अंगूठे से व्यक्ति के जीवन में अस्थिरता आ जाती है। यदि मस्तिष्क रेखा सीधी न होकर झुकी हुई हो तो वे सही समय पर सही निर्णय नहीं ले पाते। प्रवृत्ति खर्चीली होती है। वे समय व पैसे का सदुपयोग नहीं कर सकते। लेकिन ऐसे जातक उदार, दयालु, परोपकारी, भावुक और कल्पनाशील होते है। दूसरों के हित सम्पादन में वे स्ंवय को गौरवान्वित महसूस करते है। जल्दबाज होते है। विचारों में बार-बार परिवर्तन करने के कारण उन्हे सफलता नहीं मिल पाती। लेकिन ऐसे व्यक्ति हर परिस्थिति में अपने आपको ढाल लेने की अद्भुत शक्ति रखते है। अंगूठे के तीन भाग होते है- ऊध्र्व (नख के पास वाला) भाग, मध्यम भाग तथा अधोभाग। ये क्रमशः इच्छा शक्ति, विचार शक्ति तथा प्रेम शक्ति के प्रतीक है। अंगूठा लम्बा होना बहुत शुभ हैं। यदि तर्जनी के तृतीय पर्व तक पहुंच जाए तो ऐसे जातक अपनी हर अभिलाषा पूरी करते है, वे धनाढ्य और खुशहाल होते है। यदि यह छोटा हो, गुरू पर्व तक ही जाए तो ऐसे व्यक्ति हमेशा असंतुष्ट और कामवासना के वशीभूत होकर कदाचारी होते है। अंगूठा सीधा, चिकना, ऊँचा तथा गोल होना चाहिए। इसके विपरीत बेढंगे और कुरूप अंगूठे वाले पाशविक प्रवृत्ति के तथा मूर्ख होते है, वे कब क्रोधित हो जाएं और कब प्रसन्न, कुछ नहीं कहा जा सकता। ऐसे व्यक्ति अपने अभीष्ट कार्य की सिद्धि के लिए जोर जबरदस्ती भी करते देखे गए है। अंगूठा यदि ऊपर से अत्यधिक मोटा हो तो ऐसे व्यक्ति आपराधिक कार्याे में रूचि रखते है। छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करके लडाई करना उनकी आदत होती है। कोर्ट कचहरी के चक्कर लगते रहते है। यदि अन्य ग्रह निर्बल हों तो ऐसे व्यक्ति किसी की हत्या भी कर सकते है। सुन्दर, सीधे और सुदृढ अंगूठे वाले कुशल व्यापारी, नीतिज्ञ, डाॅक्टर तथा गणितज्ञ होते है।