भूत प्रेत बाधा होने पर क्या करें
भूत प्रेत बाधा होने पर क्या करें

भूत प्रेत बाधा होने पर क्या करें  

व्यूस : 67199 | सितम्बर 2012
भूत-प्रेत-बाधा होने पर क्या करें? चोट लगने पर डाॅक्टर के आने से पहले प्राथमिक उपचार की तरह ही प्रेत बाधा ग्रस्त व्यक्ति का मनोबल बढ़ाने का उपाय किया जाता है और कुछ सावधानियां वरती जाती हैं। ऐसा करने से प्रेत बाधा की उग्रता कम हो जाती है। इस लेख में भूत-प्रेत बाधा निवारण के यंत्र-मंत्र आधारित उपायों की जानकारी दी गयी है। लाभ प्राप्त करने के लिए इनका निष्ठापूर्वक पालन करें। जब भी किसी भूत-प्रेतबाधा से ग्रस्त व्यक्ति को देखें तो सर्वप्रथम उसके मनोबल को ऊंचा उठायें। उदाहरणार्थ यदि वह व्यक्ति मन में कल्पना परक दृश्यों को देखता है तथा जोर-जोर से चिल्लोता है कि वह सामने खड़ी या खड़ा है, वह लाल आंखों से मुझे घूर रही या रहा है, वह मुझे खा जाएगा या जाएगी। हालांकि वह व्यक्ति सच कह रहा है पर आप उसे समझाइए- वह कुछ नहीं है, वह केवल तुम्हारा वहम है। लो, हम उसे भगा देते हैं। उसे भगाने की क्रिया करें। कोई चाकू, छूरी या कैंची उसके समीप रख दे और उसे बताएं नहीं। देवताओं के चित्र हनुमान दुर्गा या काली का टांग दें। गंगाजल छिड़ककर लोहबान, अगरबत्ती या गूग्गल धूप जला दें। इससे उसका मनोबल ऊंचा होगा। प्रेतात्मा को बुरा भला कदापि न कहें। इससे उसका क्रोध और बढ़ जाएगा। इसमंे कोई बुराई नहीं। घर के बड़े-बुजुर्ग भूत-प्रेत से अनजाने अपराध के लिए क्षमा मांग लें। निराकारी योनियों के चित्र बनाना कठिन होता है। यह मृदु बातों तथा सुस्वादुयुक्त भोगों के हवन से शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं। इसके पश्चात आप पीपल के पांच अखंडित स्वच्छ पत्ते लेकर उन पर पांच सुपारी, दो लौंग रख दे तथा गंगाजल में चंदन घिसकर पत्तों पर (रामदूताय हनुमान) दो-दो बार लिख दें। अब उनके सामने धूप-दीप और अगरबत्ती जला दें। इसके बाद बाधाग्रस्त व्यक्ति को छोड़ देने की प्रार्थना करें। ऐसा करने से प्रेतबाधा नष्ट हो जाती है। फिर भी अगर लाभ न हो तो नीचे दिए गए कुछ उपाय व टोटके सिद्ध करके काम में लें। देह रक्षा मंत्र: ऊँ नमः वज्र का कोठा, जिसमें पिंड हमारा बैठा। ईश्वर कुंजी ब्रह्मा का ताला, मेरे आठों धाम का यती हनुमन्त रखवाला। इस मंत्र को किसी भी ग्रहण काल में पूरे समय तक लगातार जप करके सिद्ध कर लें। किसी दुष्ट व्यक्ति से अहित का डर हो, ग्यारह बार मंत्र पढ़कर शरीर पर फूंक मारे तो आपका शरीर दुश्मन के आक्रमण से हर प्रकार सुरक्षित रहेगा। उल्टी खोपड़ी मरघटिया मसान बांध दें, बाबा भैरो की आन। इस मंत्र को श्मशान में भैरोजी की पूजा, बलि का भोग देकर सवा लाख मंत्र जपे तथा आवश्यकता के समय चाकू से अपने चारों तरफ घेरा खींचे तो अचूक चैकी बनती है। इससे किसी भी प्रकार की मायावी शक्ति साधना में विघ्न नहीं डाल सकती। होली, दीपावली या ग्रहण काल में इस मंत्र को सिद्ध कर लें 11 माला जपकर। ऊँ नमः श्मशानवासिने भूतादिनां पलायन कुरू-कुरू स्वाहा। इस मंत्र से 108 बार अभिमंत्रित करके लहसुन, हींग को पीसकर इसके अर्क को बाधाग्रस्त रोगी के नाक व आंख में लगायें, भूत तुरंत शरीर छोड़कर चला जाएगा। बहेड़े के पत्ते या जड़ को घर लाकर धूप, दीप, नैवेद्य और पंचोपचार पूजा के बाद 1 माला यानि 108 बार इस मंत्र से 21 दिन अभिमंत्रित करने से सिद्ध हो जाएगा। ऊँ नमः सर्वभूताधिपतये ग्रसग्रस शोषय भैरवी चाजायति स्वाहा।’ इस पत्ते को जहां स्थापित किया जाता है, वहां किसी भी प्रकार से भूत प्रेतबाधा व जादू टोने का प्रभाव नहीं पड़ता तथा सिद्ध जड़ को बच्चे या बड़े के गले में ताबीज बनाकर पहनाया जा सकता है। प्रेतबाधा निवारण भूत, प्रेत, डाकिनी, शाकिनी तथा पिशाच, मशान आदि तामसी शक्तियों से रक्षा के लिए यह साधना सर्वोत्तम तथा सरल उपाय वाली है। इसके लिए साधक को चाहिए कि किसी शुभ घड़ी में रविपुष्य योग अथवा शनिवार को) उल्लू लेकर, उसके दाएं डैने के कुछ पंख निकाल लें तथा उल्लू को उड़ा दें। इसके बाद उस पंख को गंगाजल से धोकर स्नानादि करके पूर्वाभिमुख होकर लाल कंबल के आसन पर बैठकर 2100 बार मंत्र पढकर प्रत्येक पंख पर फूंक मारे। इस प्रकार से अभिमंत्रित करके, जलाकर उन पंखों की राख बना लें । मंत्र: ऊँ नमः रूद्राय, नमः कालिकायै, नमः चंचलायै नमः कामाक्ष्यै नमः पक्षिराजाय, नमः लक्ष्मीवाहनाय, भूत-प्रेतादीनां निवारणं कुरू-कुरू ठं ठं ठं स्वाहा। इस मंत्र से सिद्ध भभूति को कांच के चैड़े पात्र में सुरक्षित रख लें। जब भी किसी स्त्री या पुरुष को ऊपरी बाधा हो, इसे निकालकर चुटकी भर विभूति से 108 बार मंत्र पढ़कर झाड़ देने से जो अला बला हो, वह भाग जाती है। अधिक शक्तिशाली आत्मा हो तो इसे ताबीज में रखकर पुरुष की दाहिनी भुजा पर, स्त्री की बाई भुजा पर बांधने से दुबारा किसी आत्मा या दुरात्मा का प्रकोप नहीं होता। भूतबाधा से रक्षा हेतु यंत्र इस यंत्र को मंगलवार, या शनिवार की रात 12 बजे पीपल के पेड़ के नीचे लिखे। यह यंत्र श्मशान की राख में अष्टगंध मिलाकर अनार की कलम से लिखें। स्वच्छ अखंडित भोजपत्र को लिखने से पहले गंगाजल से धोकर सुखा लें, और यंत्र बनाएं। स्वप्न में भूत दिखाई दे तो यह यंत्र बनाएं। इस यंत्र को केवड़े के रस या आक के दूध से भोजपत्र पर बनाकर फिर जिस स्त्री पुरुष को स्वप्न में भूत दिखते हैं उसके सिरहाने रख दें।



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