सम्मोहन उपचार पिछले अंक में हमने पैरा सम्मोहन के एक विषय पास्ट लाइफ रिग्रेशन थिरैपी से संबंधित कुछ प्रश्नों को शामिल किया था। इस अंक में इसी विषय के विभिन्न पहलुओं से संबंधित कुछ और प्रश्नों को सामिल किया जा रहा है जो कि कई व्यक्तियों के जीवन में कभी न कभी प्रभाव डालते हैं। प्रश्न: आत्मा किसे कहते हैं? उŸार: यह कहाबत का मुद्दा हो सकता है। कुछ लोगों का मानना है कि आत्मा मात्र एक धार्मिक विश्वास की एक मान्यता है जबकि कुछ अन्य लोग इसे एक वास्तविकता के रूप में देखते हैं। इस दुनिया में होने वाली हर क्रिया या पाये जाने वाले सभी पदार्थों को दो भागों में बांटा जा सकता है भौतिक पदार्थ जो कि एक भौतिक आधार पर मिलते हैं तथा अभौतिक ऊर्जा जो कि एक प्रकार की शक्ति के आधार पर अनुभव की जा सकती है। अगर हम अपने शरीर को देखें तो हमारा शरीर पंचभूतों से बना एक पिण्ड है जो मृत्यु के समय विखण् िडत होकर अलग-अलग तत्वों में विलीन हो जाता है। हमारे शरीर के साथ जीवन ऊर्जा जुड़ी रहती है जिसके कारण ये पांचों तत्व विखण्डित नहीं होते। इस जीवन ऊर्जा को ही आत्मा कहते हैं। जिसे और कई नामों से जाना जाता है। प्रश्न: क्या आत्मा हमारे शरीर का एक अंग है? उŸार: हमारा शरीर एक भौतिक पदार्थ है लेकिन आत्मा का कोई भौतिक स्वरूप नहीं है अतः यह हमारे शरीर का अंग नहीं है बल्कि यह शरीर को चलायमान रखने वाली अभौतिक ऊर्जा है। यह भी कहा जाता है ऊर्जा तो दो पदार्थों की प्रक्रिया का एक नतीजा मात्र है। इस आधार पर यह शरीर के एक अंग की भांति लगती है। लेकिन यह तथ्य तर्क संगत नहीं लगता। अभी तक हजारों ही नहीं, बल्कि लाखों अनुभव रिकाॅर्ड किये जा चुके हैं जो आत्मा और शरीर के अलग-अलग होने पर बल देते हैं। इन्हें आउट आॅफ बाॅडी अनुभव कहते हैं। हमारे अनेकों लोग अभी भी विद्यमान हैं जिन्होंने गहन ध्यान की अवस्था में या बहुत सख्त बीमारी की अवस्था में अपने आपको अपने शरीर से अलग होने का अनुभव किया है अन्यथा हम अपने आपको खुद कैसे देख सकते हैं। प्रश्न: भूत-प्रेत क्या होते हैं? उŸार: भूत-प्रेत की व्याख्या दो प्रकार से की जाती है। कुछ लोग भूत को महज मन की कल्पना कहते हैं। हमारे मन में काल्पनिक अनुभव पैदा करने की शक्ति होती है। अतः हम अपनी जानकारी के आधार पर काल्पनिक अनुभव करना शुरू कर देते हैं। जैसे मत्यु के बाद किसी मृत व्यक्ति को देखना, किसी देवी-देवता को देखना, अपने शरीर में किसी बाहरी ऊर्जा का अनुभव करना इत्यादि। ये सभी अनुभव व्यक्ति अपनी संस्कृति के आधार पर करता है। दूसरा मत इससे भिन्न है। अगर भगवान व आत्मा का कोई वजूद है तो भूत-प्रेत का भी एक वजूद है। भूत शब्द का अर्थ है जो चला गया अर्थात् वह आत्मा जो एक शरीर का अनुभव कर चुकी है, लेकिन अब एक शरीर उसके पास नहीं है। अपनी कुछ इच्छाओं का अनुभव करने के लिए वह किसी दूसरे शरीर में प्रवेश कर जाती है तथा उस व्यक्ति के व्यवहार को प्रभावित करती है। यहां तक कि वह व्यक्ति कभी-कभी अनजान भाषा का प्रयोग भी करता है। इसलिए कहते हैं कि व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात् उससे अधिक लगाव नहीं दिखाई देना चाहिए ताकि उसकी आत्मा वहां से चली जायें। प्रश्न: क्या ये आत्मा हर किसी के शरीर में आ सकती हैं? उŸार: नहीं, हर व्यक्ति के शरीर मंे बिल्कुल नहीं। यह केवल उन्हीं व्यक्तियों के शरीर में आ सकती हैं जिनका आभामण्डल खण्डित हो। कुछ विशेष परस्थितियों में आभामण्डल खण् िडत हो जाता है। तभी उस शरीर का दूसरी आत्मा भी प्रयोग कर सकती है। अतः हमें अपनी भावनाओं और इच्छओं को नियंत्रित रखना चाहिए। हमारे अंदर स्वयं काफी शक्ति होती है जो हमें खुद ही बगैर किसी और की मदद से किसी भी बाह्य ऊर्जा से बचाकर रखती है। स्वयं पर भरोसा करना चाहिए। प्रश्न: एक शरीर में दो आत्माएं कैसे रह सकती हैं? उŸार: आत्मा केवल एक एहसास है, एक ऊर्जा मात्र है, यह कोई भौतिक पदार्थ नहीं है जिसको रहने के लिए भौतिक स्थान की आवश्यकता पड़े। दूसरी आत्मा का शरीर में जुड़ने पर शरीर के आयाम पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। प्रश्न: क्या भूत-प्रेत से छुटकारा पाने में सम्मोहन एक मदद कर सकता है? उŸार: सम्मोहन का पूर्ण आधार मन ही है। मन का संबंध आत्मा से है। सम्मोहित व्यक्ति अपने अवचेतन मन की शक्ति से जुड़ जाता है। अतः सम्मोहन के प्रयोग से इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है चाहे व्यक्ति भूत-प्रेत में विश्वास करता हो या इसे मात्र मन का भ्रम मानता हो, दोनों ही दशाओं में सम्मोहन के प्रयोग से इसमें मदद मिलती है। प्रश्न: क्या इस प्रकार के रोगी को कोई दवा या मंत्र दिया जाता है? उŸार: सम्मोहन मन की शक्ति का प्रयोग करके उपचार करता है। इसमें किसी भी प्रकार की कोई दवाई नहीं दी जाती न ही किसी तंत्र, मंत्र या यंत्र का प्रयोग किया जाता है न कोई धागा, ताबीज या माला दी जाती है। हमारा मन स्वयं ही इस प्रकार के रोगों और आदतों को एक विधि का प्रयोग करके ठीक कर लेता है। प्रश्न: क्या रोगी को कोई पोशाक या खान-पान पर विशेष ध्यान रखना होता है? उŸार: नहीं, इस प्रकार की कोई पाबंदी की आवश्यकता नहीं है। आप अपने मन-मुताबिक वस्त्र व भोजन का प्रयोग कर सकते हैं जो कि आपके स्वास्थ्य स्वभाव व परिस्थिति के अनुकूल हो। मन का कार्य केवल मन करता है कोई वस्त्र या भोजन नहीं। प्रश्न: इस बीमारी (भूत-प्रेत) का किस प्रकार पता चलता है? उŸार: जो भी व्यक्ति बाहरी ऊर्जा या आत्मा या भूत-प्रेत द्वारा प्रभावित होता है उसके व्यवहार में असमान्य लक्षण आ जाते हैं जैसे शरीर में दर्द होना, कुछ-कुछ ऐसे कार्य करना जो स्वभाव के अनुसार न हो जैसे खाना-पीना, बोलना, गुस्सा या प्यार करना, चक्कर आना, कुछ-कुछ बोलना या बकना, व्यवहार में विभिन्नताएं आना इत्यादि। इन सब लक्षणों के अतिरिक्त कभी-कभी महसूस होना जैसे कोई अलग प्रकार का प्रभाव या असर शरीर पर पड़ रहा हो। कभी लगे, जैसे कोई और मौजूद है वह दिखाई भी दे सकता है, आवाज भी सुनाई दे सकती है। इस प्रकार अनेकों लक्षण हो सकते हैं लेकिन अपनी जांच कराने पर कोई बीमारी नहीं मिलती। अनुभव के आधार पर मैं कहना चाहूंगा कि ऐसा कुछ होने पर भी आवश्यक नहीं है कि वह किसी बाहरी शक्ति के कारण ही हो। वह अधिकतर लोगों में मन द्वारा किया गया प्रभाव होता है। लेकिन दोनों परिस्थितियों में सम्मोहन इसे ठीक करने में सहायक है। प्रश्न: क्या दूर बैठे सम्मोहन से यह ठीक किया जा सकता है? उŸार: सम्मोहन के लिए दोनों व्यक्तियों (सम्मोहन व रोगी) की आपकी बातचीत और मौजूदगी आवश्यक है। बातचीत, फोन पर भी हो सकती हैं लेकिन यह फोन के माध्यम से कराना उचित नहीं है क्योंकि व्यक्ति जब सम्मोहन की दशा में जाता है तो उसके मन के भाव प्रकट होने लगते हैं। अगर उस पर वास्तविक या मननिर्मित ऐसा प्रभाव है तो उसके व्यवहार में कई भौतिक क्रियाएं भी देखने को मिल सकती हैं जैसे चिल्लाना, गालियां देना, हाथ पैर मारना आदि। ऐसी हालात में फोन पर नियंत्रित करना कठिन हो सकता है। अतः स्वयं जाकर ही इस का इलाज करवाना चाहिए। इन सभी क्रियाओं और प्रतिक्रियाआं को बड़े आराम से ठीक किया जा सकता है। प्रश्न: क्या सम्मोहक पर इस दौरान या बाद में कोई कुप्रभाव पड़ता है? उŸार: नहीं, सम्मोहक पर इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। जिस प्रकार किसी बीमारी का इलाज करते समय डाॅक्टर सुरक्षित रहता है। हां, अपनी सुरक्षा का वह ध्यान रखता है। इसी प्रकार सम्मोहन का उपचारक भी सुरक्षित विधियों का प्रयोग करता है। जिस प्रकार अनेकों बीमरियां सिर्फ और सिर्फ मन के भ्रम मात्र से पैदा होती है, ठीक उसी प्रकार यह भी मात्र एक भ्रम है कि उपचार करने से व्यक्ति स्वयं बीमार हो जाता है। जिस प्रकार वस्त्र धोते समय आपके हाथ भी धुल जाते हैं वे गंदे नहीं होते। ठीक उसी प्रकार उपचार करते समय स्वयं को भी शक्ति मिलती है बीमारी नहीं। सम्मोहक तो एक मार्गदर्शक का कार्य करता है सारा का सारा कार्य तो रोगी के मन की शक्ति करती है। सम्मोहन मनोविज्ञान की अन्य क्रियाओं या पद्ध तियों की तरह एक सुरक्षित पद्धति है। प्रश्न: क्या बाहरी ऊर्जा या भूत-प्रेत के उपचार करने की विधि को सीखा जा सकता है? यह कितना कठिन है? उŸार: यह भी सम्मोहन के उपचार के अन्य ढंगों की तरह ही एक प्रक्रिया है जिसका संबंध पैरा- सम्मोहन से है। इसे बड़ी आसानी से सीखा जा सकता है लेकिन यह कई बार काफी लंबी प्रक्रिया हो सकती है अतः सम्मोहन का गहन ज्ञान होना आवश्यक है। मन जो भी बना सकता है उसको सुधारने की शक्ति रखता है। उसके लिए उचित विधियों का प्रयोग होना चाहिए।