पन्ना पन्ना बुध ग्रह का प्रतिनिधि रत्न माना जाता है इसे विभिन्न नामों से पुकारा जाता है- हरितमणि, मरकत, पांचू, पन्ना तथा अंग्रेजी में इसे एमराल्ड कहते हैं। पन्ना हरे तथा तोते के पंख प्रकार पत्थर पाया जाता है, इसी को पन्ना कहते हैं। पन्ना अति प्राचीन, बहुप्रचलित तथा मूल्यवान रत्न होता है। मूल्यवान रत्नों की श्रेणी में इसका तीसरा स्थान है। पन्ने का जन्म: पन्ना ग्रेनाइट तथा पैग्मेटाइट चट्टानों के अतिरिक्त दरारों और परतदार चट्टानों के ढेरों में जन्म लेता है। रासायनिक संगठन के रूप में इसमें पोटैशियम, सोडियम, लीथियम, शीशियम आदि क्षारीय तत्व सम्मिलित रहते हैं। भारत में पन्ना अजमेर, उदयपुर, भीलवाड़ा तथा छतरपुर में प्राप्त होता है। विदेशों में यह पाकिस्तान, अफ्रीका, अमेरिका, ब्राजील, कोलम्बिया, मेडागास्कर द्वीप तथा साइबेरिया में प्राप्त होता है। आजकल सर्वोकृष्ट पन्नों के लिए कोलम्बिया की खानें प्रसिद्ध हैं। दूसरे दर्जे के पन्ना रूस तथा ब्राजील से प्राप्त होते हैं। पन्ना प्रायः पारदर्शी और अपारदर्शी दोनों ही रूपों में पाया जाता है। पारदर्शी पन्ने में प्रायः हल्का-सा जाला अथवा रेशा अवश्य पाया जाता है। प्रायः सर्वथा निर्दोष पन्ना कम ही उपलब्ध होता है अगर मिलता भी है तो उसका मूल्य इतना अधिक होता है कि इसे खरीदना आम आदमी के बस का नहीं होता है। विशेषता एवं धारण करने से लाभ: पन्ना नेत्र रोग नाशक व ज्वर नाशक होता है। साथ ही पन्ना सन्निपात, दमा, शोथ आदि व्याधियों को नष्ट करके शरीर में बल एवं वीर्य की वृद्धि करता है। पन्ने की प्रमुख विशेषता यह है कि पन्ना धारण करने से बुध जनित समस्त दोष नष्ट हो जाते हैं। इसके धारण करने से धारक की चंचल चिŸा वृŸिायां शांत व संयमित रहती हैं तथा धारक को मानसिक शांति प्राप्त होती है। इसके धारण करने से मन एकाग्र होता है। यह काम, क्रोध आदि विकारों को शांत कर धारक को असीम सुख शांत प्रदान करता है। इसीलिए ईसाई पादरी लोग प्रायः धारण किए रहते हैं। पन्ने की पहचान: असली पन्ने की पहचान निम्नलिखित हैं- पन्ना सुंदर, हरी मखमली घास की भांति प्रियदर्शी हरित वर्ण का होता है। साथ ही यह हरे और सफेद मिश्रित रंग का अपारदर्शी भी होता है। पन्ना पारदर्शी तथा अपारदर्शी दोनों ही रूपों में प्राप्त होता है। असली पन्ने को लकड़ी पर रगड़ने से इसकी चमक में वृद्धि होती है। असली पन्ने पर पानी की बूंद रखने से बूंद यथावत् बनी रहती है। इसमें भंगुरता होने के कारण यह गिरने से टूट सकता है। पन्ना धारण विधि पन्ने की अंगूठी सोने, चांदी या प्लेटिनम में बनवाकर दाएं हाथ की कनिष्ठा उंगली में धारण करनी चाहिए। बुधवार के दिन प्रातः नित्य कर्म आदि से निवृŸा होकर कच्चे दूध और गंगाजल से अंगूठी को धोकर निम्नलिखित मंत्र के उच्चारण के साथ धारण करनी चाहिए- ‘‘¬ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः’’