दुर्लभ को सुलभ
दुर्लभ को सुलभ

दुर्लभ को सुलभ  

व्यूस : 5829 | आगस्त 2013
डा. बिन्देश्वर पाठकभारत के एक महान मानवतावादी समाजसुधारक हैं जो विगत 40 वर्षों से सुलभइंटरनेशनल समाज सेवा संगठन के द्वारापूरे विश्व में विख्यात हो गये और अपनीबुद्धि, लग्न व साहस से गांधी जी द्वाराशुरू किये गये दुर्लभ अभियान को सुलभकर दिखाया। पुराने जमाने की बात करें तो हमारी दादी और नानी छुआछूत में बहुत विश्वास रखती थीं। घर में मेहतरानी आए तो उससे काफी दूरी बना ली जाती थी कि कहीं छू न जाए। ऐसा ही ब्राह्मण परिवार में जन्मे बिंदेश्वर पाठक के साथ भी हुआ था बचपन में। उन्होंने एक दलित वर्ग की मेहतरानी को छू लिया तो मानो घर में भूचाल आ गया था। उन्हें पूरे प्रतिष्ठान आयोजित कर गंगा जल, गाय के गोबर व मूत्र आदि से नहलाया गया और पूरी शुद्धि की गई। उनका बाल सुलभ मन यह समझ नहीं पाता था कि हमारे समाज में ऐसी प्रथाएं क्यों हैं? उन्होंने 1964 में समाजशास्त्र में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और 1980 में मास्टर की डिग्री पूरी की। पटना विश्वविद्यालय से 1985 में उन्होंने पीएच.डी. पूरी की। उन्होंने बहुत सी पुस्तकों का लेखन किया है जिसमें ‘‘द रोड टू फ्रीडम’’ प्रमुख है। उनके दिल में स्वच्छता, स्वास्थ्य व सामाजिक प्रगति के लिए हमेशा से विशेष जगह रही है और इसको प्रोत्साहित करने के लिए वे हर सम्मेलन व सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेते रहे हैं। 1969 में भारत में गांधी शताब्दी समारोह मनाया जा रहा था तो एक समिति का गठन किया गया जिसका नाम था भंगी मुक्ति। पाठक जी को समिति ने मैला ढोने वालों की दुर्दशा समझने व उनके हित में काम करने का कार्य सौंपा। उन्होंने पूरे भारत का दौरा किया और उनके साथ रहकर उनके दुख-दर्द और प्रशासन की कमियों को जाना और 1970 में उन्होंने मानवीय सिद्धांतों के साथ तकनीकी नवविचार के संयोजन से ‘सुलभ इंटरनेशनल समाज सेवा संगठन’ की स्थापना की। यह संगठन शिक्षा के माध्यम से पर्यावरण स्वच्छता, ऊर्जा के गैर परंपरागत स्रोतों, कचरा प्रबंधन और सामाजिक सुधारों को बढ़ावा देने के लिए काम करता है। इस संगठन में 50,000 से अधिक स्वयंसेवक हैं। पाठक जी ने एक अभिनव प्रयोग किया है। इन्होंने सुलभ शौचालय का पौधों के साथ किण्वन (Fermentation) कर बायोगैस का निर्माण किया। यह बायोगैस बिना किसी गंध की है और इन शौचालयों द्वारा रिलीज किया गया पानी भी फाॅस्फोरस युक्त और जैविक खाद के लिये अच्छा है। सुलभ शौचालय का मुख्य उद्देश्य स्वच्छता को सुनिश्चित करना व ग्रीन हाऊस गैस उत्सर्जन को रोकना है। डा. बिंदेश्वर पाठक निश्चित रूप से लाखों मेहतरों के लिए एक भगवान का रूप लेकर आए हैं जहां एक ओर उन्हें गंदा मैला ढोने से मुक्ति मिल गई वहीं उनका सामाजिक कद भी ऊंचा हो गया है। उन्हें भी दूसरों की तरह समाज में समान अधिकार से जीने का हक मिलने लगा और यह पाठक जी के प्रयासों का ही परिणाम है कि अछूत समझा जाने वाला दलित वर्ग आज सबके साथ कंधे से कंधा मिला कर चलता है। मंदिर में सभी की तरह भगवान की पूजा अर्चना करता है। इसके साथ-साथ सुलभ शौचालय व्यवस्था से उन करोड़ों लोगों को भी आशातीत लाभ हुआ है जिन्हें शौचालय के अभाव में अपने घर से बाहर खुले में अथवा रेल की पटरियों के पास जाना पड़ता था। कोई भी पहाड़ी एरिया हो या जंगली रास्ता पाठक जी ने कोशिश की है सुलभ की सुविधा हर जगह हो। 2-5 रुपये देकर कोई भी व्यक्ति इस सुविधा का लाभ उठा सकता है। सार्वजनिक स्थान में लगभग 8000 ऐसे पब्लिक टायलेट लगाये जा चुके हैं। इसके अतिरिक्त दस लाख से भी ज्यादा घरों में पर्यावरण हितैषी तकनीक से युक्त सुलभ शौचालय का इस्तेमाल हो रहा है। सार्वजनिक सुलभ शौचालयों के साथ पाठक जी ने बायो गैस प्लान्ट भी लगाए हैं। इन बायोगैस प्लान्ट के द्वारा गंध रहित बायो गैस बनाई जाती है जिसका उपयोग खाना पकाने, लैंप जलाने और बिजली में होता है। हाल ही में सुलभ ने ऐसा जेनेरेटर भी बनाया है जिसमें डीजल के स्थान पर 100 प्रतिशत बायो गैस का ही उपयोग होता है। ऐसे 200 से अधिक बायो गैस प्लान्ट पूरे देश में सुलभ ने लगवा दिए हैं। बिन्देश्वर पाठक जी को उनके अभूतपूर्व कार्यों के लिए और समाज चंके उत्कर्ष के लिए भारत सरकार के द्वारा 2003 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त, ऊर्जा ग्लोबल पुरस्कार, इंदिरा गांधी प्रियदर्शिनी अवार्ड, स्टाॅकहोम जल पुरस्कार और पोर्ट लुईस में अंतर्राष्ट्रीय भोजपुरी सम्मेलन में विशेष सम्मान से नवाजा गया। मई 2013 में इन्हें फ्रांस में आमंत्रित किया गया था और ‘‘लीजेंड आफ प्लेनेट’’ पुरस्कार से नवाजा गया। सुलभ की दौड़ यहीं तक सीमित नहीं है। जहां एक ओर इस संस्था ने लाखों दलित वर्ग की महिलाओं के उत्थान के लिए कार्य किया है वहीं दूसरी ओर अब पाठक जी ने अपने कदम वृंदावन की विधवाओं के उद्धार की ओर बढ़ाए हैं। वृन्दावन में हजारां विधवाएं रहती हैं और उन्हें अपने जीवन यापन के लिए मजबूरन भीख मांगनी पड़ती है। उनके उद्धार के लिए सुलभ प्रत्येक विधवा को 2000/- प्रति माह प्रदान कर रहा है तथा उनकी दवाई व स्वास्थ्य का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है। इस वर्ष की होली वृंदावन की विधवाओं के लिए विशेष थी क्योंकि इस बार पाठक जी ने स्वयं उनके साथ रंगों से होली खेली और उनके बेरंग जीवन में खुशी के कुछ रंग भरने की कोशिश की। यही खुशी यदि हम सब भी किसी एक व्यक्ति के जीवन में भी उतारने का प्रण कर लें तो शायद हमारी खुशी भी दुगुनी हो जाएगी। बिन्देश्वर जी की जन्म कुंडली का विवेचन तो करेंगे ही लेकिन यहां पर हमें उनसे सीख भी लेनी है कि जिस तरह उन्होंने पूरी सामाजिक व्यवस्था से टक्कर लेते हुए अपने दिल की आवाज सुनी और समाज सुधार के लिए वह कर दिखाया जो हमारी सरकार भी नहीं कर पाई, वैसे ही हमें भी अपने दिल की आवाज सुननी चाहिए क्योंकि दूसरों को खुशी देने का सुख कुछ और ही होता है और इसी में खुशी का सार निहित है। यह देश, यह समाज अपना है और हम कुछ इसके भले के लिए कर रहे हैं तो निश्चित रूप से हमारा भी भला होगा। पाठक जी की कुंडली का विवेचन पाठक जी की जन्मकुंडली में लग्नेश तथा कर्मेश बृहस्पति की पराक्रमेश व अष्टमेश शुक्र के साथ चतुर्थ भाव में युति बन रही है। चतुर्थ भाव जनता का होता है इसीलिये इन दोनों शुभ ग्रहों के प्रभाव से आपने जनता की भलाई के लिए समाज सेवा और दलित लोगों के उद्धार का कार्य किया। इनकी कुंडली में चतुर्थेश बुध तथा पंचमेश चंद्र का दृष्टि संबंध भी बन रहा है और पंचम भाव में बुधादित्य योग होने से इन्होंने अपनी सृजनात्मक बुद्धि के बल पर एक नये भौतिक अनुसंधान के द्वारा सुलभ शौचालय के कार्य को भारत वर्ष में बुलंदियों तक पहुंचाया जिसकी देश में ही नहीं अपितु विदेशों में भी प्रशंसा हुई। षष्ठ भाव में राहु और धनेश व भाग्येश मंगल की युति ने उन्हें अपने कार्यों में आने वाली बाधाओं से मुक्ति दिलाई और इतनी निर्भयता दी कि ये निडर होकर समाज में ऐसा कार्य कर पाए जिसे उच्च वर्गीय समाज हेय दृष्टि से देखता था। एकादश भाव के चंद्र ने इन्हें हमेशा ही आर्थिक रूप से संपन्न रखा। विदेशों से भी इतने फंड आए कि इन्हें अपने प्रोजेक्ट को पूरा करने में पैसे की कमी महसूस नहीं हुई। द्वादश भाव के केतु ने इन्हें निष्काम भाव से समाज के लिए कार्य करने की प्रेरणा दी और तभी ये पूरे समर्पण एवं सेवा भाव से अपने समाज सेवा के कार्य में लगे रहे। पाठक जी की कुंडली में अनेक शुभ योग घटित हो रहे हैं जिनका उल्लेख नीचे किया जा रहा है। श्रेष्ठ योग: यदि जन्मपत्रिका में सुख स्थान में गुरु हो, सुख स्थान का स्वामी शुभ ग्रह से युक्त या दृष्ट हो तो यह योग घटित होता है। पाठक जी की कुंडली में सुख भाव में बृहस्पति स्थित है तथा सुखेश बुध, शुभ ग्रह चंद्रमा से दृष्ट है। इसी के फलस्वरूप ये अपने जीवन में एक श्रेष्ठ व्यक्तित्व के मालिक हुए तथा आज भारत में ही नहीं विश्व में इनकी अपनी एक अलग पहचान है। निष्कपट योग: चतुर्थ भाव में शुभ ग्रह अपनी उच्च या मित्र राशि में हो अथवा शुभ ग्रह की राशि में हो तो निष्कपट योग का सृजन होता है। इनकी कुंडली में यह येाग पूर्ण रूप से घटित हो रहा है। चतुर्थ स्थान में शुभ ग्रह शुक्र अपने मित्र ग्रह बुध की राशि में स्थित है जिसके प्रभाव से इनका हृदय अत्यंत निर्मल व निष्कपट है और इन्होंने समाज में फैली संकुचित रूढ़िवादिता से ऊपर उठकर निश्छल मन से गरीब दलित वर्ग के उत्थान के लिए निष्काम भाव से कार्य किया। उपकारी योग: जन्मकुंडली में यदि सुखेश धन लाभ या त्रिकोण स्थान में शुभ ग्रह से दृष्ट हो अथवा शुभ ग्रह के नवांश में हो तो उपकारी योग बनता है। इनकी कुंडली में भी सुखेश बुध त्रिकोण (भाव पंचम) में स्थित है तथा शुभ ग्रह चंद्रमा से दृष्ट है जिसके कारण इन्होंने निजी स्वार्थों को तिलांजलि देकर समाज और देश के लिए परोपकारी कार्य किया। तपस्वी योग: यदि जन्मपत्रिका में दशम भाव का स्वामी गुरु के द्रेष्काण, नवमांश या त्रिंशांश में हो तो जातक तपस्वी होता है। इनकी कुंडली में भी दशम भाव का स्वामी बृहस्पति ही है और नवांश में अपने ही नवमांश में स्थित है जिसके फलस्वरूप इन्होंने अपने जीवन में एक तपस्वी की भांति मन, वचन व कर्म से समाज सेवा में अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। धीर पुरुष योग: तृतीयेश यदि गुरु से युक्त हो तो यह योग बनता है। इनकी कुंडली में तृतीयेश शुक्र चतुर्थ भाव में गुरु से युक्त है जिससे इन्होंने धीरता व गंभीरता से सोच समझकर अपने कार्य में सफलता हासिल की। इन सभी योगों व कुंडली के विवेचन से यही निष्कर्ष निकलता है कि पाठक जी का जन्म समाज उद्धार के लिए ही हुआ है और आने वाले समय में भी अपनी बुध की दशा में ये अपनी बुद्धि से और सृजनात्मक कार्य करेंगे और विदेशो में भी अपने देश का नाम रोशन करेंगे।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.