ज्योतिष से करें शिक्षा क्षेत्र का चुनाव वेदव्रत भटनागर बौद्धिक विकास एवं शिक्षा एक दूसरे के पूरक हैं। इसके लिए विवेक शक्ति, बुद्धि, प्रतिभा एवं स्मरण शक्ति तथा विद्या पर विचार करने की आवश्यकता होगी। ज्योतिष में सर्वार्थ चिंतामणि के अनुसार शिक्षा का विचार तृतीय एवं पंचम भाव से किया जाता है। जातक परिजात के अनुसार चतुर्थ एवं पंचम भावों से शिक्षा का विचार करते हैं। फलदीपिका में लग्नेश, पंचम भाव और पंचमेश के साथ ही चंद्रमा, बृहस्पति एवं बुध को शिक्षा का कारक बताया गया है। चंद्रमा लग्न स्वरूप मन का कारक है। बृहस्पति ज्ञान का नैसर्गिक कारक है, जबकि बुध विवेक शक्ति, बुद्धि, स्मरण शक्ति का कारक है। इसके अतिरिक्त शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्वस्थ तन की भी आवश्यकता है। यदि इनके साथ-साथ विद्या, बुद्धि, स्मरण शक्ति, विविध शिक्षा योगों का अध्ययन करें, तो सभी बातें स्वतः ही स्पष्ट हो जाएंगी। शिक्षा का योग बृहस्पति उच्च का हो कर पांचवें स्थान को देखता हो। बुध उच्च का हो। पंचमेश बली हो कर 1, 4, 5 भावों में हो। पंचमेश केंद्र, या त्रिकोण में हो। नवमेश केंद्र, या त्रिकोण में हो। द्वितीयश्े ा एव ं बहृ स्पति त्रिकाण्े ा म ंे हां।े दशमेश लग्न में हो। बृहस्पति और चंद्र में राशि परिवर्तन योग हो। बृहस्पति और बुध की युति, या दृष्टि संबंध हो। बृहस्पति, बुध एवं शुक्र केंद्र, या त्रिकोण में हांे। चंद्र से त्रिकोण में बृहस्पति एवं बुध से त्रिकोण में मंगल हो। विद्वान योग बुध, सूर्य के साथ, अपने घर में हो। लग्न में मंगल हो, चतुर्थ स्थान में सूर्य एवं बुध हांे तथा दशम भाव में शनि और चंद्रमा हों, तो जातक विद्वान होता है। गणितज्ञ योग शनि-बुध ग्यारहवें भाव में हों। लग्न में बृहस्पति एवं अष्टम भाव में शनि हों। लग्न से दूसरे, तीसरे, या पांचवें भाव में केतु और बृहस्पति हों। धन भाव में मंगल हो और शुभ ग्रहों की उस पर दृष्टि हो। बृहस्पति केंद्र और त्रिकोण में हो। शुक्र मीन का हो एवं बुध धनेश हो। मंगल और चंद्र दूसरे भाव में हों तथा केंद्र में बुध स्थित हो। चिकित्सक योग सूर्य औषधियों का कारक है। मंगल रक्त का कारक है। शनि अस्थियों, चर्म तथा मृत शरीर का कारक है। दशम भाव व्यवसाय, एकादश आय एवं द्वितीय भाव विद्या एवं धन के हैं। यदि उपर्युक्त ग्रहों का संबंध संबंधित भावों से हो, तो जातक चिकित्सा शिक्षा ग्रहण करता है। केंद्र में मंगल हो और शुक्र द्वारा दृष्ट हो। केतु और बृहस्पति की युति हो। शुक्र-चंद्र की युति दशम भाव में हो और सूर्य की उनपर दृष्टि हो। इंजीनियर योग सूर्य और बुध की युति केंद्र, या त्रिकोण में हो। शनि पंचम भाव में हो और बुध एकादश में हो। राहु-मंगल की युति केंद्र, या त्रिकोण में हो। शनि एवं मंगल की युति, या दृष्टि संबंध। शुक्र बली हो। उसपर मंगल, शनि, या बृहस्पति की दृष्टि हो। शनि-मंगल की युति एवं केंद्र में बृहस्पति हो। अभिनेता का योग शुक्र स्वराशि का हो कर केंद्र, या त्रिकोण में हो। बुध और शुक्र की युति हो। बुध चंद्रमा के नवांश में हो और सूर्य द्वारा दृष्ट हो। शुक्र एवं बुध लग्नेश से युत हों तथा भाव बली हों। वृषभ, या तुला राशिस्थ मंगल पर बृहस्पति की दृष्टि हो। बुध कर्क राशि में हो तथा उस पर चंद्रमा, या शुक्र की दृष्टि हो। चंद्र और शुक्र में पारस्परिक युति या दृष्टि हो। पत्रकारिता का योग बली बृहस्पति, या बुध दशम भाव में हो। स्वराशि का बुध, या बृहस्पति केंद्र, या त्रिकोण में हो। शुक्र पर बृहस्पति की दृष्टि, या युति। चंद्रमा, गुरु और शुक्र परस्पर त्रिकोण में हों। अध्यापक के योग पंचमेश बली हो कर केंद्र में स्थित हो। बुध स्वराशि का हो एवं उसपर बृहस्पति की दृष्टि, या युति हो। शुक्र एवं बृहस्पति की युति केंद्र, या त्रिकोण में हो। बृहस्पति एवं मंगल की युति, या दृष्टि हो। बृहस्पति एवं चंद्र की युति, या दृष्टि हो। आध्यात्मिक योग एकादश स्थान में शनि हो। दशम स्थान में मीन राशि का मंगल, या बुध हो। नवमेश स्वग्रही हो। दशमाधिपति नवम में हो और बलवान नवमेश बृहस्पति, या शुक्र से युक्त, या दृष्ट हो। लग्नेश दशम स्थान में और दशमेश नवम स्थान में हों तथा उस पर पाप ग्रह की दृष्टि एवं दशमेश शुभ ग्रह के नवमांश में हो। ज्योतिषी योग बुध केंद्र में हो, द्वितीयेश बली हो, या शुक्र दूसरे भाव में हो। केंद्र, या त्रिकोण में बुध एवं बृहस्पति की युति।