सरस्वती स्तवन से सारस्वत जागरण
सरस्वती स्तवन से सारस्वत जागरण

सरस्वती स्तवन से सारस्वत जागरण  

व्यूस : 11529 | फ़रवरी 2008
सरस्वती स्तवन से सारस्वत जागरण पं. निर्मल कुमार झा मा भगवती महामायी देवी सरस्वती वाणी की अधिष्ठात्री देवी हैं। इनकी आराधना, अर्चना, पूजा तथा स्तवन से व्यक्ति सारस्वत बनता है और समाज तथा राष्ट्र का मार्ग दर्शन करता है। भगवती सरस्वती का कृपा से बुद्धि, विद्या व ज्ञान प्राप्त कर वह मानवता की सेवा करता है। माघ शुक्ल पंचमी सरस्वती पूजन की शुभ तिथि है। इस दिन विद्यार्थी विद्या हेतु याचना करते हैं- सरस्वती महामाये-विद्ये कमल लोचने। विद्यारूपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमस्तुते।। यह समय शिशिर-नवरात्र का साधना-काल है जो माघ शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक होता है। अतः सरस्वती साधना का यह सर्वोत्तम काल है। साधक मां सरस्वती की साधना से विद्या, कला और वाणी की सिद्धि प्राप्त करते हैं। दुर्गा सप्तसती में महासरस्वती के स्तवन का प्रावधान है, जिसके ध्यान तथा मंत्र के 11000 जप से प्रत्युत्पन्नमति तथा सहज बुद्धि में चमत्कारिक वृद्धि होती है- ध्यान घंटा शूल हलानि शंख मुसले चक्रे धनु सायकं हस्ताव्जै दघतीं घनान्तविलच्छीतां सतुल्यप्रभाम गौरीदेह समुद्भवां त्रिजगतामाधारभूतां महा- पूर्वाभत्र सरस्वतीमनुजे शुम्भादि दैत्यदिमर्दनीम्। मंत्र: या देवि सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। ¬ ऐ ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमः। नील सरस्वती की आराधना से विद्यालाभ में उत्पन्न होने वाले व्यवधान दूर होते हैं, छात्र ऊंचे प्रतिशत से परीक्षा पास करते हैं तथा प्रतियोगिता परीक्षा में उच्च स्थान प्राप्त करते हैं। इनका मंत्र है- ।। ब्लूं वें वद वद त्रीं हुं फट्।। इस मंत्र को विद्यार्थी के कान में उसकी मां ग्यारह बार पढ़ती है तथा बालक इस मंत्र का 108 बार पढ़ाई की अवधि में जप करता है। वागीश्वरी सरस्वती की मंत्र साधना से वाणी की सिद्धि होती है। विशेषतः वाणी से व्यवसाय कराने वालों के लिए या व्याख्यान देने वाले लोगों के लिए निम्नलिखित मंत्र अत्यधिक लाभदायक है। 24 अक्षर के इस मंत्र का स्फटिक की माला पर नित्य 7 माला जप किया जाता है। ।। ¬ नमः पद्मासने शब्दरूपे ऐं हीं क्लीं वद् वद वाग्वादिनी स्वाहा। चित्रेश्वरी सरस्वती की साधना से लोग सिद्धहस्त चित्रकार होते हैं। स्फटिक की माला पर नीचे लिखे मंत्र का ग्यारह माला जप नित्य करना चाहिए। मंत्र - ह स क ल हीं वद् वद ऐं चित्रेश्वरी स्वाहा। कीर्तिश्वरी भगवती सरस्वती के मंत्र जप से पेशे में ख्याति एवं प्रसिद्धि मिलती है। साधक कीर्ति का कार्य करते हैं। निम्नलिखित मंत्र का 51 दिन तक प्रतिदिन 501 बार स्फटिक का माला पर जप करना चाहिए। मंत्र: ऐं हीं श्रीं वद वद कीर्तिश्वरी स्वाहा। संगीता सरस्वती के मंत्र का 108 बार जप करने से साधक गान विद्या में पारंगत होता है और उसे स्वर सिद्धि मिलती है। मंत्र: सा रे ग म प द नी सा तान ताम् वीणा संक्रांति क्रान्त हस्तान तान्। अघटित घटित चूली तालित तालित पलासतां डनक्रान्त वाम कुचनीत वीणां वरदां संगीत त्वमातृकां वन्दे। ¬ ऐं।। किणि सरस्वती के 91 दिन तक नित्य 2100 बार जप से अभीष्ट की प्राप्ति होती है। यह काम्य प्रयोग मंत्र है। अर्थात इसके प्रयोग से कामना की पूर्ति होती है। ऐं हैं हीं किणि किणि विच्चे।। इस प्रकार ऊपर वर्णित विधियों से विद्या की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती की उपासना कर विद्या की प्राप्ति की जा सकती है। उपासना मनोयोग पूर्वक करनी चाहिए। देवि सरस्वती चराचर सारे कुचयुग शोभित मणिमय हारे। वीणा पुस्तक रंजित हस्ते भगवति भारती देवि नमस्तुते।।



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