रूद्र के अवतार हनुमान
रूद्र के अवतार हनुमान

रूद्र के अवतार हनुमान  

व्यूस : 15222 | सितम्बर 2009
रुद्र के अवतार हनुमान पं. किशोर घिल्डियाल स्कंदपुराण में उल्लेख है कि भगवान महादेव के ग्यारहवें रुद्र ही भगवान विष्णु की सहायता हेतु महाकपि हनुमान बनकर अवतरित हुए। इसीलिए हनुमान जी को रुद्रावतार भी कहा गया है। इस घटना की पुष्टि रामचरित मानस, अगस्त्य संहिता, विनय पत्रिका और वायु पुराण में भी की गई है। हनुमान जी के जन्म को लेकर विद्वानों के अलग-अलग मत हैं। किंतु हनुमान जी के अवतार की तीन तिथियां सर्वमान्य हैं, जिनका विशद विवरण यहां प्रस्तुत है। चैत्र पूर्णिमा महाचैत्री पुर्णिमाया समुत्पन्नौऽ´्जनीसुतः। वदन्ति कल्पभेदेन बुधा इत्यादि केचन।। इस श्लोक के अनुसार हनुमान जी का जन्म चैत्र पूर्णिमा को हुआ। चैत्र शुक्ल एकादशी चैत्रे मासे सिते पक्षे हरिदिन्यां मघाभिदे। नक्षत्रे स समुत्पन्नौ हनुमान रिपुसूदनः ।। इस श्लोक के अनुसार उनका जन्म चैत्र शुक्ल एकादशी को हुआ। कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी ऊर्जे कृष्णचतुर्दश्यां भौमे स्वात्यां कपीश्वरः। मेष लग्नेऽ´्जनागर्भात् प्रादुर्भूतः स्वयं शिवा।। इस श्लोक के अनुसार उनकी अवतार तिथि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी है। अधिकतर विद्वान व ज्योतिषी कार्तिक कृष्ण चतुदर्शी को हनुमान जी के अवतार की तिथि मानते हैं। हनुमान जी के अवतार की तिथियों की भांति ही उनके अवतार की कथाएं भी विभिन्न हैं। इनमें प्रमुख और सर्वमान्य दो कथाओं का उल्लेख यहां प्रस्तुत है। विवाह के बहुत दिनों के पश्चात् भी जब माता अंजना को संतान प्राप्त नहीं हुई, तब उन्होंने कठोर तप किया। उन्हें तप करता देख महामुनि मतंग ने उनसे इसका कारण पूछा। माता अंजना ने कहा- ‘‘हे मुनिश्रेष्ठ! केसरी नामक वानर श्रेष्ठ ने मुझे मेरे पिता से मांगकर मेरा वरण किया। मैंने अपने पति के संग सभी सुखों व वैभवों का भोग किया परंतु संतान सुख से अभी तक वंचित हूं। मैंने व्रत उपवास भी बहुत किए परंतु संतान की प्राप्ति नहीं हुई। इसीलिए अब मैं कठोर तप कर रही हूं। मुनिवर! कृपा कर मुझे पुत्र प्राप्ति का कोई उपाय बताएं।’’ महामुनि मतंग ने उन्हें वृषभाचल जाकर भगवान वेंकटेश्वर के चरणों में प्रणाम कर के आकश गंगा नामक तीर्थ में स्नान कर, जल ग्रहण कर वायु देव को प्रसन्न करने को कहा। देवी अंजना ने मतंग ऋषि द्वारा बताई गई विधि से वायु देव को प्रसन्न करने हेतु संयम, धैर्य, श्रद्धा व विश्वास के साथ तप आरंभ किया। उनके तप से प्रसन्न होकर वायुदेव ने मेष राशि में सूर्य की स्थित के समय चित्रा नक्षत्र युक्त पुर्णिमा के दिन उन्हें दर्शन देकर वरदान मांगने को कहा। माता अंजना ने उŸाम पुत्र का वरदान मांगा। वायुदेव ने वरदान देते हुए कहा कि वह स्वयं उनके गर्भ से जन्म लेंगे। माता अंजना को पुत्र की प्राप्ति हुई जो अंजनिपुत्र, हनुमान, पवनसुत, केसरी नंदन आदि अनेकानेक नामों से जाने जाते हैं। दूसरी कथा के अनुसार रावण का अंत करने हेतु जब भगवान विष्णु ने राम का अवतार लिया। तब अन्य देवता भी राम की सेवा हेतु अलग-अलग रूपों में प्रकट हुए। भगवान शंकर ने पूर्व में भगवान विष्णु से दास्य का वरदान प्राप्त किया था, जिसे पूर्ण करने हेतु वह भी अवतरित होना चाहते थे परंतु उनके समक्ष धर्मसंकट यह था कि जिस रावण का वध करने हेतु भगवान विष्णु ने श्रीराम का रूप लिया था वह स्वयं उनका (शिव का) परम भक्त था। अपने परम भक्त के विरुद्ध वह राम की सहायता कैसे कर सकते थे। रावण ने अपने दस सिरों को अर्पित कर भगवान शंकर के दस रुद्रों को संतुष्ट कर रखा। अतः वह हनुमान क रूप में अवतरित हुए। हनुमान उनके ग्यारहवें रुद्र हैं। इस रूप में भगवान शंकर ने राम की सेवा भी की तथा रावण वध में सहायता भी की। प्रस्तुत दोनों कथाएं हनुमान के अवतरण की प्रामाणिकता सिद्ध करती हैं। इस प्रकार भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लेकर देवी देवताओं का कल्याण किया। आज भी वह पृथ्वी पर विराजमान हैं और पापियों से अपने भक्तों की रक्षा कर रहे हैं।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.