शनि शांति के उपाय पं. रमेश शास्त्री और देवता चित्त न धरई, हनुमत सेई सर्व सुख करई हनुमान चालीसा की उक्त पंक्तियों से स्पष्ट है कि रामभक्त हनुमान अपने भक्तों पर आए बड़े से बड़े संकट को पल भर में दूर कर देते हैं। वह अपने भक्तों की पुकार को शीघ्र सुनते हैं और उन्हें सभी प्रकार के सुख ऐश्वर्य प्रदान करते हैं। शनि ग्रह के दोष निवारण के अनेक उपायों में पवनपुत्र हनुमान की भक्ति-साधना भी एक है। पौराणिक कथाओं के आनुसार जब महावीर हनुमान ने शनि को रावण के कारागार से मुक्त कराया था, तभी शनि ने उन्हें यह कहते हुए वचन दिया था कि जो लोग सच्चे मन से उनकी पूजा उपासना करेंगे, उन्हें वह किसी प्रकार का कष्ट नहीं पहुंचाएंगे। इसीलिए जो लोग रामभक्त हनुमान की आराधना उपासना करते हैं, उन्हें शनिदेव पीड़ित नहीं करते। हनुमान जी की यंत्र, मंत्र आदि के द्वारा की शांति होती है। इस हेतु निम्नलिखित ज्योतिषीय सामग्रियों की पूजा आराधाना निष्ठा और श्रद्धापूर्वक करनी चाहिए। इस लाॅकेट को मंगलवार को प्रातः काल गंगाजल अथवा पंजचामृत से अभिषिक्त कर धूप-दीप-पुष्प से पूजा कर हनुमान चालीसा का पाठ करें। फिर इसे लाल धागे अथवा चेन में धारण करें। इसे धारण करने से शत्रुभय, प्रेतबाधा आदि से मुक्ति मिलती है तथा अपने ऊपर किसी के द्वारा किए गए तांत्रिक प्रयोगों से रक्षा होती है। शनिजनित पीड़ा से ग्रस्त लोगों के लिए यह लाॅकेट धारण करना अत्यंत लाभदायी होता है। हनुमान यंत्र इस यंत्र को मंगलवार अथवा शनिवार को पंचामृत आदि से अभिषिक्त तथा धूप-दीप-नैवेद्य आदि से पूजा कर पूजास्थल पर स्थापित करें। फिर नियमित रूप से इसकी धूप-दीप आदि से पूजा करते रहें। इसके प्रभाव से सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है तथा विद्या-बुद्धि की प्राप्ति होती है। शनि की साढ़ेसाती के समय इसकी नित्य नियमपूर्वक पूजा करने से शनि पारद हनुमान घर में पारद धातु से बनी महावीर हनुमान की मूर्ति स्थापित कर उसकी पूजा करने से शनि की स ा ढ ़े स ा त ी , महादशा आदि के अशुभ फलों से बचाव होता है तथा शुभ फलों की प्राप्ति होती है। मंगलवार को इस मूर्ति की पूजा-प्रतिष्ठा कर स्थापित कर हनुमान के निम्नलिखित मंत्र का 108 बार जप