मरघट वाला हनुमान मंदिर नवीन राहूजा अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दहुजवनकृ-शानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्। सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुतिप्रियभक्तं वातजां नमामि।। जो अतुल बल के धाम, सोने के पर्वत सुमेरु के समान शरीर वाले, दैत्य रूपी वन का ध्वंस करने के लिए अग्निरूप, ज्ञानियों में अग्रगण्य, संपूर्ण गुणों के निधान, वानरों के स्वामी, श्री रघुनाथ जी के प्रिय भक्त पवन पुत्र श्री हनुमान जी को प्रणाम करता हूं। श्रीराम भक्त हनुमान जी के मंदिर हमारे भारतवर्ष में प्रायः सभी प्रमुख जगहों व सभी गांवों में हैं। किंतु कुछ प्रमुख स्थानों पर स्थित श्री हनुमान जी के मंदिर विशेष महत्व रखते हैं जिनकी अपनी एक अलग ही विशेषता है। ऐसा ही एक अति विशिष्ट हनुमानजी का मंदिर दिल्ली में स्थित है जो मरघट वाले बाबा (जमना बाजार हनुमान मंदिर) के नाम से प्रसिद्ध है। पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन, अंतर्राष्ट्रीय बस अड्डा (कश्मीरी गेट) व यमुना नदी के बहुत करीब में स्थित है। यह मंदिर कितना पुराना है इस बात का पता लगाना तो बहुत मुश्किल है पर ऐसा कहा जाता है कि बाबा यहां मूर्ति रूप में स्वयं प्रकट हुए थे। एक अनोखा अद्भुत और विस्मित कर देने वाला तेज है बाबा की मूर्ति में। यूं तो बाबा स्वयं सात्विक गुणों के निधान है। उनके चरित्र स्मरण मात्र से हमें ब्रह्मचर्य व्रत पालन, चरित्र-रक्षण, बल-बुद्धि का विकास, अपने इष्ट भगवान श्रीराम के प्रति अभिमान रहित दास्य-भाव आदि गुणों की शिक्षा प्राप्त होती है। परंतु यहां बाबा के दर्शन के बाद उच्च स्तरीय सात्विक भावनाएं उमड़ने व प्रेरित करने लगती हैं। ऐसा करिश्माई जादू है यहां स्थित मरघट वाले बाबा की मूर्ति में। ऐसा लगता है जैसे बाबा अपने सात्विक गुणों का पिटारा खोल देते हैं। तभी तो नजर हटाने का मन ही नहीं करता और मन करता है बस बार-बार देखते ही रहें बाबा को। मरघट वाले बाबा की जय, मरघट वाले बाबा की जय, सुबह या शाम कभी भी आप मंदिर पहुंचे, यह जयकारा गूंजता ही रहता है। यूं तो नित्य मंदिर में भक्तों का जमावड़ा रहता है। किंतु मंगलवार व शनिवार को विशेष भीड़ रहती है। खासकर मंगलवार वाले दिन तो 1 या 2 घंटे से पहले बाबा के दर्शन नहीं हो पाते इतनी लंबी लाईन लगती है। इस दिन सुबह 4 बजे से लेकर रात्रि 12 बजे तक बाबा का मंदिर दर्शनों के लिए खुला रहता है। समीप में निगम बोध घाट (श्मशान घाट) होने की वजह से ही यह अति प्राचीन हनुमान जी मंदिर मरघट वाले बाबा के नाम से जाना जाता है। यमुना नदी के बहुत नजदीक स्थित यह मंदिर अपने आप में एक अद्भुत संयोग रखता है, पता नहीं यमुना मईया से ऐसा क्या नाता है इस मंदिर का कि जब कभी भी यमुना का पानी चढ़ता है अपने आप इस मंदिर में भी पानी आ जाता है और बाबा की मूर्ति कंधे तक पानी में डूब जाती है और ज्यों ही यमुना का पानी उतरता है त्यों ही मंदिर का पानी भी उतर जाता ें है